Tuesday 5 May 2009

उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती है बुद्धि


आदमी के बुद्धिमान होने में उसके उम्र का भी संबंध है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है उसके साथ ही आदमी की बुद्धि भी बढ़ती जाती है। इस तरह के कुछ नए शोध आए हैं। वैसे बहुत से लोगों को हमेशा यह खुशफहमी रहती है कि वह बड़ा बुद्धिमान है। पर कई साल बाद जाने के बाद कोई आदमी जब खुद के जीवन में पीछे मुड़कर देखता है तो वह यह पाता है कि मैं पांच साल पहले अमुक बिंदु पर गलत सोचता था। भारतीय संस्कृति में जब किसी व्यक्ति को 29वें से 32 दांत निकलने आरंभ होते हैं तो उसे अक्ल की दाढ़ कहते हैं। यानी 32 दांत निकल जाने के बाद ही पूरी तरह बुद्धिमान माना जाता है।


हालांकि पूरी दुनिया में इस बात पर विरोधाभास है कि आदमी उम्र से बुद्धिमान होता है या कि ज्यादा अध्ययन कर लेने से। पर कुछ ऐसे विंदु हैं जो हमें सोचने को मजबूर करते हैं कि बुद्धिमान होने में उम्र की भी अपनी भूमिका है। जैसे आजकल कई सेक्टर में दफ्तरों का सारा कामकाज कम उम्र के लोग निपटा रहे हैं। खासकर निजी क्षेत्र में युवा सीईओ की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पर अनुभव जन्य ज्ञान रखने वालों की उपयोगिता अभी खत्म नहीं हुई है। जाहिर है कि अनुभव तो उम्र के बढ़ने के साथ ही बढ़ता है। कई संस्थानों में अनुभवी लोग उसके एसेट की तरह होते हैं। उन्हे बड़े सम्मान के साथ रखा जाता है। भले ही नेतृत्व की कमान युवा लोगों के हाथ में दे दी जाती है पर उम्रदराज रोगों लोगों के अनुभव का लाभ लेने की हमेशा कोशिश की जाती है।

कहा जाता है इतिहास अपने को दुहराता है। कुछ घटनाएं तो नई घटती हैं। वहीं बहुत सी घटनाओं की आवृति होती रहती है। किसी नई समस्या के आने पर या पुरानी जैसी समस्या के दुबारा आने पर अनुभवी लोगों को उससे लड़ने में सुविधा मिलती है। इसलिए उम्र का बुद्धिमता से सीधा संबध होता है। यह इस बात पर भी निर्भऱ करता है कि हर आदमी अपने आसपास होने वाली घटना से कितना अधिक प्रेरणा ले पाता है और उसके अनुरूप कदम उठाता है।

जैसे शादी-शुदा लोग कुआंरों की तुलना में ज्यादा अनुभवी होते हैं। शादी के बाद हर आदमी को परिवार चलाने और विभिन्न तरह के रिश्तों के साथ सामंजस्य बिठाने का अनुभव हो जाता है। खास तौर पर बीमार होने पर या किसी एक्सीडेंट जैसी घटनाओं के समय हमें अनुभवी लोगों की जरूरत पड़ती है। इसलिए आप कभी किसी उम्रदराज आदमी की उपेक्षा न करें बल्कि उसकी उम्र के साथ अर्जित की गई बुद्धिमता के कुछ सीखने की कोशिश करें। 

वो कहावत है न कि ये बाल हमने धूप में नहीं सफेद किए हैं। कोई आदमी जब जवान होता है तो जवानी के जोश में कुछ गलतियां करता पर जैसे-जैसे उसका अनुभव बढ़ता है वह ऐसी गलतियां दुहराने के बजाए परिपक्वता से निर्णय लेने लगता है। वह किसी को जवाब देने के बजाय कूटनीतिक बुद्धि से काम लेने लगता है। यानी हम देख सकते हैं किसी व्यक्ति के काम काज आचार व्यवहार में उसके उम्र का असर दिखाई देता है। अक्सर जब कोई अनुभवी सलाह देता है तो युवा वर्ग उसे समझता है कि सामने वाला तो सठिया गया है। पर हो सकता है वह सठिया हुआ आदमी आपको किसी विषय पर अति गूढ़ सलाह दे रहा हो इसलिए आप उसके कदापि हल्के में न लें।

-माधवी रंजना

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