Tuesday 18 May 2010

रेल मंत्री शर्म करें

रेलमंत्री का ये बयान शर्मशार करने वाला है कि नई दिल्ली स्टेशन पर रविवार को जो हादसा हुआ उसमें यात्रियों की गलती थी। रेलवे एक सेवा है। सारे यात्री रेलयात्रा के एवज में किराया देते हैं।

 16 मई को नई दिल्ली स्टेशन पर जो लोग जुटे थे वे सब घर जाने के लिए अपनी अपनी ट्रेन पकड़ना चाहते थे। इन सभी यात्रियों ने ट्रेन का टिकट खरीदा हुआ था। जाहिर है रेलवे के लिए वे सभी लोग उपभोक्ता की तरह हैं। त्योहार, गर्मी की छुट्टी और शादी के मौसम में रेलवे अतिरिक्त ट्रेने चलाता है तो वह यात्रियों को कोई खैरात नहीं बांटता बल्कि इसकी एवज में कमाई करता है। अगर वह लोगों को यात्रा के टिकट बेचता है तो उनके लिए बैठने के इंतजाम करना भी उसकी जिम्मेवारी बनती है। बिना पूरी घटना की जांच पड़ताल किए ममता बनर्जी जिस तरह टिप्पणी कर दी वह लोकतंत्र के लिए घातक है। बिहार के लोग गरीब जरुर हैं लेकिन वे लोग जिन राज्यों में जाकर नौकरी करते हैं वहां मेहनतकश होते हैं। त्योहार और शादियों के मौसम में हर कोई अपने गांव घर जाना चाहता है। भला ममता बनर्जी अपने रेलमंत्री के पुनीत दायित्वों को छोड़कर ज्यादा समय बंगाल में गुजारती हैं, आसन्न विधान सभा चुनाव में उन्हें मुख्मंत्री कुरसी नजर आ रही है, लेकिन ममता दीदी को ये समझाना चाहिए कि जैसी बंगाल की जनता है वैसी ही बिहार की जनता। अगर तृणमूल के लोग बंगाल को लेकर बेहद भावुक हैं तो उन्हें बिहार के लोगों का भी दर्द समझाना चाहिए। कुछ नहीं तो एक अच्छे सेवा प्रदाता के नेता रेलवे को अपने यात्रियों ( उपभोक्ताओं ) का पूरा ख्याल तो रखना ही चाहिए।
- विद्युत प्रकाश मौर्य

1 comment:

डॉ महेश सिन्हा said...

बेशर्मों के सामने गा रहे है
शर्म करो भाई शर्म करो