Friday 17 September 2010

कई सालों बाद-2

दिल्ली में साल 2011 में हुई जोरदार बारिश के बाद मेरी भावनाएं कुछ इस तरह उमड़ी। आम तौर पर दिल्ली में बारिश बहुत कम होती है। 

कई सालों बाद   



दूर देश जा बसी प्रेयसी का


आया है लंबा सा खत


खत में है ढेर सारी


नन्ही नन्ही खुशियां


कुछ मोती कुछ सीप


लेकिन हम कहां रखे सहेज कर


ये खुशियां


हमारे पास नहीं है


इतनी लंबी चादर


कई सालों बाद


आई है सुहाने बचपन की याद


जब नौ दिन तक लगातार


हुई थी बरसात


खेतों ने ली थी


लंबे अंतराल बाद


सुख की एक लंबी अंगडाई.....


लेकिन अब इन कंक्रीट के जंगलों में


जीवन को खुल कर जीने की जगह


कहां बची..


हम बार बार अपनी


पुरानी प्रेयसी के खत


के लिफाफे को उलट पलट कर


देखते हैं लेकिन नहीं मिलता


एकांत जहां बैठकर


इस खत को बांचे.


और बहाएं ढेर सारे आंसू


कि सितम हमने खुद पर ही ढाए हैं


इतने सालों से


कि तुझे हम क्या देंगे


खत का जवाब


कई सालों बाद आया है


दूर देश जा बसी प्रेयसी का


लंबा सा खत....


- विद्युत प्रकाश मौर्य ।

Tuesday 14 September 2010

कई सालों बाद-1

कई सालों बाद



कई सालों बाद मेरे शहर में


जमकर बदरा बरसे हैं


कई सालों बाद


आसमान ने धरती के सीने पर


अपनी ढेर सारी रूमानियत उडेली है


कई सालों बाद


मानो युग युग से प्यासी


धरती की गोद हो गई है


हरी भरी


कई सालो बाद


विरह की आग में जलती स्त्री ने


लूटा है ढेर सारा


अपने प्रियतम का सुख।


कई सालों से सूखे


नदी नालों कुएं बावड़ियों में


दिखा है


यौवन का उफान


कई सालों से


जलधारा जा रही थी


नीचे और नीचे


पाताल की ओर


एक बार फिर उसे


आसमान का प्यार खींच लाया है


थोड़ा उपर...


निष्ठुर और बेदर्द लोगों के शहर में


हुई है प्रकृति की मेहरबानी


कई सालों बाद


लेकिन हम नहीं थे तैयार


आसमान का इतना प्यार को


सहेज को रख पाने के लिए


हमारे पास नहीं थे घड़े


इतनी रसधार को समेट पाने के लिए


हमारी दुनिया हो गई है


इतनी छोटी


कि हम नहीं बटोर पा रहे हैं


आसमां का इतना सारा प्यार


दुखी होकर हम कह रहे हैं


जाओ रे बदरा


कहीं दूर देश जाकर बरसो


की सालो बाद आसमां ने


उड़ेला है धरती पर ढेर सारा प्यार...


- विद्युत प्रकाश


- 13 सितंबर 2010 ( दिल्ली में कई सालों बाद जमकर हो रही बरसात पर )