Tuesday 23 November 2010

बेगानी की शादी में अब्दुल्ला दीवाना ( व्यंग्य)

गाना बहुत पुराना है पर अपना मतलब आज भी रखता है। बेगानी की शादी में अब्दुला को भला क्या मतलब । पर उसे हर फटी में अपनी टांग अड़ाने की आदत है ना। अब देश भर के ज्योतिषी यह गणना कर बताने में लगे हैं कि अभिषेक व एश्वर्य राय की शादी कितनी टिकाउ हो सकेगी। कई ज्योतिषियों ने तो अपनी गणना के आधार पर यह बता दिया है कि यह शादी ज्यादा नहीं चलने वाली है। अरे भाई अभी तो सात फेरे भी नहीं पड़े शुभ शुभ तो बोलो। कई जगह टूटते टूटते तो जाकर दो दिल जुड़े क्या हुआ जो लड़की लड़के से तीन साल बड़ी है। सुनील दत्त से नरगिस भी तीन साल बड़ी थी। सचिन तेंदुलकर की श्रीमती जी वही अपनी डाक्टर साहिबा भी उनसे उम्र में बड़ी हैं। शादियां खूब चलीं। तुम दिल जलों को क्या पता।

अब अपनी ऐश पर आरोप है कि उन्होंने कईयों का दिल तोड़ा। सल्लू मियां उसे पब्लिकली अपनी प्रापर्टी समझने की गलती कर बैठे। अपने विवेक ओबराय भी काफी समय तक सेवा भाव से लगे रहे। पर बन्नी को तो जिसके घर जाना था वहीं जाएगी। अब यह तो सबको पता है कि दिल बड़ी नाजुक चीज होती है। यह टूटने और जु़ड़ने की ही चीज होती है। वो क्या गाना था शीशा हो या दिल हो टूट जाता है। अब ऐश जैसी अनार हो तो कई बीमार होंगे ही। कईयों का दिल जुड़ेगा भी और टूटेगा भी। अब भला इसमें ऐश का क्या दोष है। पर अभी देश भर के कई ज्योतिषी बीमार हुए पड़े हैं। वे दिन रात यह गणना करने में व्यस्त हैं कि आखिर यह शादी कितनी स्थायी सिद्ध होने वाली है। 
कई ज्योतिषियों को यह मलाल है कि बच्चन परिवार ने उनसे आकर कंसल्टेंसी क्यों नहीं ली। ऐसे में वे मीडिया का सलाह देने में लगे हैं। अभिषेक का फलां ग्रह कमजोर है तो ऐश का फलां ग्रह मजबूत है। उनके बीच संबंध टिकाउ नहीं दिखाई देते। अब यह तो सबको पता है कि पति पत्नी के संबंधों में झगड़े होते ही हैं और कई अरेंज मैरेज वाले रिश्तों में भी बात में खटास आती है। जिस शादी में हजारों लोग शिरकत करते हैं वैसी शादियां भी टूटती हैं। फिर फिल्मी सितारों की शादी के क्या कहने। कई ऐसे जोड़े हैं जिन्होंने पति पत्नी के रिश्ते को सालों भर ढोया है। अब अगर दो दिल मिल रहे हैं तो दुनिया को चाहिए कि उन्हें आशीर्वाद दें। हमारे बिग बी साहब को जल्दी है। वे चाहते हैं कि वे जल्दी से दादा बनें। तो देश भर के ज्योतिषियों को भी चाहिए कि वे सात फेरे होनें दें इसमें कोई अड़ंगा न लगाएं। हमारे अभिषेक बबुआ की एक मंगनी पहले भी तय होकर टूट चुकी है। ऐसे में इलाहाबाद के लोग भी चाहते हैं कि उनके बबुआ का जल्दी से विवाह हो जाए। देखा आपने जैसे ही उनकी मंगनी की खबर पहुंची अमिताभ बच्चन के पुश्तैनी घर के आसापास के लोगों ने खूब पटाखे फोड़े।



अब भला ऐश की शादी हो रही है तो विवेक ओबराय भी चुपचाप हैं। सल्लू मियां भी चुपचाप तमाशा देखने को मजबूर हैं यह अलग बात है कि वे अंदरही अंदर सुबक रहे हों। उनकी उम्र सुना है चालीस के पार कर गई है। एक शायर ने लिखा थाहेलल हेलल भइंसिया पानी मेंमोर शादी न भइल जवानी में। अब सल्लू मिंया अगर शादी कर भी लें तो भला कितने साल विवाहित जीवन का सुख भोग पाएंगे। इसलिए उनके साथ की हीरोइनों को उनसे सिर्फ सहानुभूति भर है। इसलिए मिंया हम तो कहते हैं जहां भी बाजा बज रहा हो बजने तो तुम भी थोड़े से ठुमके लगा लो पर यह नहीं कहो कि अमुक शादी नहीं हो सकती है। अगर हो सकती है तो चल नहीं सकती है। बहरहाल ऐश भाभी और अभिषेक बबुआ को हमारी ओर से शुभकामनाएं। दिल जलों दूर रहो....
-vidyutp@gmail.com 

Saturday 13 November 2010

प्यार में कुत्ता होना ( व्यंग्य )

कलम उठाते ही मैं उन कुत्तों से क्षमा मांग लेना चाहता हूं जो स्वामीभक्त होते हैं। प्यार में कुत्ता होने से हमारा तात्पर्य वैसे कुत्तों से है जो आवारा होते हैं। मांस के टुकड़े की तलाश में दूर-दूर तक भटकते रहते हैं। अखबारी भाषा में फ्री लांसर होते हैं। उनकी सी.आर. लिखने के लिए उनके उपर कोई अधिकारी या स्वामी नहीं होता। अंग्रेजी में एक कहावत है वांडरिंग वन गेदर्स हनी...यानी शहद उन्हें ही मिलता है जो भटकते हैं। इसलिए इस कहावत से प्रेरणा लेकर मुझे लगता है कि अच्छा प्यार पाने के लिए कुत्तों की तरह भटकने में कोई बुराई नहीं है।
आज की आधुनिक होती नव यौवनाओं की दो पसंद खास होती जा रही है। एक कुत्ता पालना और दूसरा कुत्ता टाइप प्रेमी पालना। अब कुत्ता टाइप प्रेमी बनने के लिए आपके अंदर कुछ खास योग्यताएं होनी चाहिए। पहली जंजीर में बंधे रहना और उतना ही उछलना जितना की ढीली हो जंजीर। बिस्कुट तथा ब्रेड खाना और अपनी स्वामिनी ( या प्रेयसी ) के लिए आइसक्रीम लाना। राह चलते आपकी स्वामिनी के पुराने कुत्ते ( या प्रेमी) मिल जाएं तो उनके प्रति सदभावनापूर्ण विचार रखना।

अगर आप परमानेंट तौर पर पालतू प्रेमी ( या कुत्ता ) बने रहना चाहते हैं तो भूंकने के मामले में नितांत सावधानी बरतनी चाहिए। कभी भी अधिक बिस्कुट प्राप्त करने के लिए या तफरीह में आजादी के लिए भूंकिए मत। वरना आपके स्स्पेंड तदुपरांत डिसमिस किए जाने की संभावना बढ़ जाएगी।अगर आप अपने प्रेम में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाए रखना चाहते हैं तो इस चौपाई पर अमल करें- जाही विधि रखे राम ताही विधि रहिए। यानी वृंदावन में रहना है तो राधे राधे कहना ही होगा।

अगर आप कदम कदम पर रिस्क लेने और चैलेंज स्वीकार करने के आदी हैं तो आवारा कुत्तों सा प्रेम किजिए। नहीं रिस्क ले सकते तो सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाइए। कालकुलेटेड रिस्क ही लिजिए। अपने सूंघने की शक्ति का विशेष इस्तेमाल किजिए। स्वाभिमान, पुरूषार्थ, नैतिकता जैसे शब्दों को अपने शब्दकोश से निकालकर बंगाल की खाड़ी में डूबो दीजिए।

आप नए जमाने के प्रेमी हैं। बेशक भूंकिए मगर काटिए मत। किसी बड़े आशिक ने कहा था प्रेम सब कुछ सह सकता है मगर उपेक्षा नहीं। इस कथन को भूल जाइए, चाहे कितनी भी उपेक्षा मिले 'आशाएं' मत छोड़िए। उनकी गली का पता मत भूलिए। मौसम के बदलने और फिर से बहार का इंतजार कीजिए। जैसे किसी मशहूर शायर ने कहा था..

तेरे जितने भी चाहने वाले होंगे

होठों पे हंसी और पांवों में छाले होंगे।

पांवों के छाले का दर्द भूलकर मेहंदी वाले हाथों की लचक का ख्याल रखिए। यकीन मानिए आपके कुत्तापन पर उनको एक न एक दिन तरस जरूर आएगा। परंतु स्वामीभक्ति कभी मत दिखाइए। मध्यकालीन राजाओं के दरबारी कवियों की तरह तारीफ में सिजदे पढ़ने की काबलियत का विकास किजिए।

संस्कृत में विद्यार्थियों के पांच गुणों की चर्चा आती है। काग चेष्टा( कौवे की तरह कोशिश ), वको ध्यानम ( बगुले की तरह ध्यान ), स्वान निद्रा ( कुत्ते की तरह नींद ), अल्पाहारी ( कम भोजन करने वाला) और गृह त्यागी ( घर छोड़ देने वाला) । ये सब गुण आज के विद्यार्थियों से बहुत दूर जा रहे हैं पर कुत्ता टाइप प्रेमियों के बहुत करीब हैं।

अपनी स्वामिनी पर कभी अविश्वास मत किजिए, चाहे वह आपके सामने ही सफेद झूठ क्यों न बोले। जी हां प्रेम में कभी अविश्वास न करें चाहें वह आपको कितना भी दुख क्यों न पहुंचाता हो ( नेवर डिस्ट्रस्ट द लव इवेन इफ इट गिव्स शारो टू यू )

इक्कीसवीं सदी में आपके जैसे प्रमियों की दास्तान कही और सुनी जाएगी। बकौल शायर-





है रीत आशिकों की तन मन निशार करना। 
रोना सितम उठाना और उनसे प्यार करना।

अपनी स्वामिनी को अपने प्रेम का विश्वास दिलाने के लिए बार बार अपने कुत्ता होने की याद जरूर दिलाते रहें- उन्हें यंकी दिलाने के लिए यह कविता सुनाएं-

मैं तुम्हारे प्यार में कुत्ता हो गया...
यकीं नहीं आता तो सुनो- भों-भों- भों!!!

- विद्युत प्रकाश मौर्य