Saturday 13 November 2010

प्यार में कुत्ता होना ( व्यंग्य )

कलम उठाते ही मैं उन कुत्तों से क्षमा मांग लेना चाहता हूं जो स्वामीभक्त होते हैं। प्यार में कुत्ता होने से हमारा तात्पर्य वैसे कुत्तों से है जो आवारा होते हैं। मांस के टुकड़े की तलाश में दूर-दूर तक भटकते रहते हैं। अखबारी भाषा में फ्री लांसर होते हैं। उनकी सी.आर. लिखने के लिए उनके उपर कोई अधिकारी या स्वामी नहीं होता। अंग्रेजी में एक कहावत है वांडरिंग वन गेदर्स हनी...यानी शहद उन्हें ही मिलता है जो भटकते हैं। इसलिए इस कहावत से प्रेरणा लेकर मुझे लगता है कि अच्छा प्यार पाने के लिए कुत्तों की तरह भटकने में कोई बुराई नहीं है।
आज की आधुनिक होती नव यौवनाओं की दो पसंद खास होती जा रही है। एक कुत्ता पालना और दूसरा कुत्ता टाइप प्रेमी पालना। अब कुत्ता टाइप प्रेमी बनने के लिए आपके अंदर कुछ खास योग्यताएं होनी चाहिए। पहली जंजीर में बंधे रहना और उतना ही उछलना जितना की ढीली हो जंजीर। बिस्कुट तथा ब्रेड खाना और अपनी स्वामिनी ( या प्रेयसी ) के लिए आइसक्रीम लाना। राह चलते आपकी स्वामिनी के पुराने कुत्ते ( या प्रेमी) मिल जाएं तो उनके प्रति सदभावनापूर्ण विचार रखना।

अगर आप परमानेंट तौर पर पालतू प्रेमी ( या कुत्ता ) बने रहना चाहते हैं तो भूंकने के मामले में नितांत सावधानी बरतनी चाहिए। कभी भी अधिक बिस्कुट प्राप्त करने के लिए या तफरीह में आजादी के लिए भूंकिए मत। वरना आपके स्स्पेंड तदुपरांत डिसमिस किए जाने की संभावना बढ़ जाएगी।अगर आप अपने प्रेम में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाए रखना चाहते हैं तो इस चौपाई पर अमल करें- जाही विधि रखे राम ताही विधि रहिए। यानी वृंदावन में रहना है तो राधे राधे कहना ही होगा।

अगर आप कदम कदम पर रिस्क लेने और चैलेंज स्वीकार करने के आदी हैं तो आवारा कुत्तों सा प्रेम किजिए। नहीं रिस्क ले सकते तो सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाइए। कालकुलेटेड रिस्क ही लिजिए। अपने सूंघने की शक्ति का विशेष इस्तेमाल किजिए। स्वाभिमान, पुरूषार्थ, नैतिकता जैसे शब्दों को अपने शब्दकोश से निकालकर बंगाल की खाड़ी में डूबो दीजिए।

आप नए जमाने के प्रेमी हैं। बेशक भूंकिए मगर काटिए मत। किसी बड़े आशिक ने कहा था प्रेम सब कुछ सह सकता है मगर उपेक्षा नहीं। इस कथन को भूल जाइए, चाहे कितनी भी उपेक्षा मिले 'आशाएं' मत छोड़िए। उनकी गली का पता मत भूलिए। मौसम के बदलने और फिर से बहार का इंतजार कीजिए। जैसे किसी मशहूर शायर ने कहा था..

तेरे जितने भी चाहने वाले होंगे

होठों पे हंसी और पांवों में छाले होंगे।

पांवों के छाले का दर्द भूलकर मेहंदी वाले हाथों की लचक का ख्याल रखिए। यकीन मानिए आपके कुत्तापन पर उनको एक न एक दिन तरस जरूर आएगा। परंतु स्वामीभक्ति कभी मत दिखाइए। मध्यकालीन राजाओं के दरबारी कवियों की तरह तारीफ में सिजदे पढ़ने की काबलियत का विकास किजिए।

संस्कृत में विद्यार्थियों के पांच गुणों की चर्चा आती है। काग चेष्टा( कौवे की तरह कोशिश ), वको ध्यानम ( बगुले की तरह ध्यान ), स्वान निद्रा ( कुत्ते की तरह नींद ), अल्पाहारी ( कम भोजन करने वाला) और गृह त्यागी ( घर छोड़ देने वाला) । ये सब गुण आज के विद्यार्थियों से बहुत दूर जा रहे हैं पर कुत्ता टाइप प्रेमियों के बहुत करीब हैं।

अपनी स्वामिनी पर कभी अविश्वास मत किजिए, चाहे वह आपके सामने ही सफेद झूठ क्यों न बोले। जी हां प्रेम में कभी अविश्वास न करें चाहें वह आपको कितना भी दुख क्यों न पहुंचाता हो ( नेवर डिस्ट्रस्ट द लव इवेन इफ इट गिव्स शारो टू यू )

इक्कीसवीं सदी में आपके जैसे प्रमियों की दास्तान कही और सुनी जाएगी। बकौल शायर-





है रीत आशिकों की तन मन निशार करना। 
रोना सितम उठाना और उनसे प्यार करना।

अपनी स्वामिनी को अपने प्रेम का विश्वास दिलाने के लिए बार बार अपने कुत्ता होने की याद जरूर दिलाते रहें- उन्हें यंकी दिलाने के लिए यह कविता सुनाएं-

मैं तुम्हारे प्यार में कुत्ता हो गया...
यकीं नहीं आता तो सुनो- भों-भों- भों!!!

- विद्युत प्रकाश मौर्य 


3 comments:

सुनीता सिंह said...

कुत्ते भले ही स्वामीभक्त माने जाते हों पर प्यार के मामले में कुत्तों पर कभी भरोसा नहीं किया गया है...इसीलिए तो युवतियां अपने प्रेमी को मिठी झिड़क से ही कुत्ता ना बनने की ताकीद कर देती हैं...शायद आपने भी सुना होगा...

sam seo said...

pyaar aur haar yeh dono shabd hi kutton se hain.....
newspaper

अविनाश वाचस्पति said...

प्‍यार में बंदर भी होते होंगे
और होते होंगे
सिकंदर भी

कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स के अवसर पर चूहे से चैट

बेबस बेकसूर ब्‍लूलाइन बसें