Sunday 4 December 2011

देव साहब ...अभी दिल भरा नहीं था....


देवानंद ( 1923-2011 ) - अभी ना जाओ कि दिल अभी भरा नहीं...
जिंदगी को जिंदादिली से जीने का नाम था देवानंद। कई लोग साठ का हो जाने पर खुद को रिटायर मानते है। लेकिन देवानंद 88 साल की उम्र तक जिंदगी को उसी तरह जीते रहे जैसे कोई 22-23 का आदमी जीता है। आखिरी दम तक फिल्में बनाते रहे। भविष्य की योजनाएं बनाते रहे। कोई उन्हें कभी बूढ़ा कहने की कभी जुर्रत नहीं कर सका। ये अलग बात है कि उनकी स्वामी दादा ( 1982 ) के बाद आखिरी दौर की बनाई सभी फिल्में बाक्स आफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा सकीं। लेकिन इन सबसे देवानंद को कोई फर्क नहीं पड़ता था। वे एक सच्चे फिल्मकार थे इसलिए आखिरी दौर तक पूरी ऊर्जा और उत्साह से लबरेज रहे। वे आजकल के युवाओं के प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं, जो प्यार में धोखा खाने के बाद महीनों रोते हैं या फिर जिंदगी में कई बार आत्मघाती कदम उठाते हैं। 
देव साहब ने सुरैया को जी भर के प्यार किया। लेकिन वे सुरैया को पा नहीं सके। लेकिन देव साहब को जिंदगी से फिर भी कभी शिकायत नहीं रही। देव साहब ने जिंदगी की निराशा जनक स्थितियों से भी प्रेरणा ली। हर पल जिंददगी में रंग भरा। एक बार एक इंटरव्यू में बोले कि 35 के बाद हर किसी के बाल सफेद हो जाते हैं। मैं अपने बालों को काला करता हूं। 80 के पार जाने के बाद भी रंग बिरंगे कपड़े पहनता हूं तो भला इसमें बुराई क्या है। 88 साल का जीवन दीर्घायू ही कहा जाएगा।
चार साल पहले 26 सितंबर को 84 साल की उम्र में उनकी आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ का विमोचन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया। अपनी आत्मकथा में देवानंद ने सुरैया को याद किया है। सुरैया को याद करके वे भावुक भी हुए हैं।
सुरैया के साथ उनकी कनबतियों ने रोमांस की एक नई दास्तां को जन्म दे दिया। इसके अफसाने आज भी देवानंद का नाम आते ही फिजां में तैरने लगते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उस मासूम प्यार की कहानी इस किताब में भी दर्ज है देवानंद ने तपाक से कहा था कि जी, बिलकुल। इसमें उसका जिक्र है। इसमें उससे भी ज्यादा है जितना जमाना जानता है। दुनिया वाले ये जानते हैं कि देवानंद सुरैया को कभी भुला नहीं पाए और अक्सर उन्होंने सुरैया को अपनी जिंदगी का प्यार कहा है। वह भी इस हकीकत के बावजूद कि उन्होंने बाद में अभिनेत्री कल्पना कार्तिक से विवाह कर लिया था। वर्ष 2005 में जब सुरैया का निधन हुआ तो देवानंद उन लोगों में से एक थे जो उनके जनाजे के साथ थे।
सुरैया इकलौती बेटी थीं , बला की ख़ूबसूरत थीं । एक साथ में काम करने वाले हीरो से प्यार कर बैठीं । वो हीरो देवानंद थे। काफी अरसे तक मोहब्बत ने इंतजार किया । पर इकलौती बिटिया ने एक आखरी दीवार नही लांघी। मोहब्बत का दामन सुरैया ने नही छोड़ा । उन्होंने कभी शादी नही की। 2004 में सुरैया नही रहीं । कैसा कठिन फ़ैसला रहा होगा सुरैया का यूं अकेले रहना।

 देवानंद ने ये कह दिया कि मुहब्बत कभी मरती नहीं है लेकिन उन्होने अपनी मुहब्बत को भी सरेआम रूसवा नहीं किया, बल्कि उसे एक अमर कहानी बना डाला। बहुत लोकप्रिय गीत है देव साहब कि एक फिल्म का...अभी ना जाओ की दिल अभी भरा नहीं...उनके नहीं रहने पर ये गीत बार बार याद आता है...वाकई देव साहब आप जल्दी चले गए दिल तो अभी भरा नहीं था....
- विद्युत प्रकाश मौर्य
(DEVANAND, FILMS) 



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