Monday 20 October 2014

किसान नेता देशमुख ने रचा इतिहास

पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने वाले 88 साल के गणपत राव देशमुख ने इतिहास रच दिया है। वे 11वीं बार चुनाव जीतने वाले वे वे देश के लोकतंत्र के इतिहास में एकमात्र विधायक बन गए हैं।


दो साल पहले 2012 में उन्होंने विधानसभा में अपनी स्वर्ण जयंती मनाते हुए 50 साल पूरे किए थे तब उन्हें सम्मानित किया गया था। राजनीति के लंबे सफर में उन्होंने ज्यादा वक्त विपक्ष की बेंच पर गुजारा है, पर वे राज्य में दो बार 1978 और 1999 में मंत्री भी रह चुके हैं।
क्षेत्र में देशमुख का इतना सम्मान है कि इस बार एनसीपी ने गणपत राव के खिलाफ यहां से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। सतारा और सांगली जिले की सीमा से लगा हुआ संगोल सोलापुर जिले का छोटा सा शहर है। देशमुख का ये इलाका सूखा प्रभावित है। लगातार किसानों की समस्याएं उठाने वाले देशमुख के खिलाफ संगोल में 1962 के बाद आज तक किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के नेता को सफलता नहीं मिल पाई। 

गणपत राव देशमुख 

  • - 25,224 मतों से इस बार शिवसेना के शाहजीबापू पाटिल को हरा 11वीं बार जीते।  
  • - 2009 में उन्होंने 10वीं बार जीत कर तमिलनाडु के करुणानिधि की बराबरी की थी। 
  • - 52 साल से वे लगातार संगोला सीट से जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  • - 1962 में पहली बार सोलापुर जिले की संगोला सीट से जीता था चुनाव।

मात्र 44 लाख की संपत्ति
- 1956 में पुणे विश्वविद्यालय से स्नातक गणपत राव निहायत सादा जीवन जीते हैं। पांच दशक से ज्यादा विधायक और मंत्री रहने वाले देशमुख की कुल चल और अचल संपत्ति मात्र 44 लाख रुपये है। 

मार्क्सवाद से प्रभावित
गणपत राव पुणे में अध्ययन के दौरान माक्र्सवादी विचारधारा के संपर्क में आए। वे आज भी मानते हैं कि माक्र्सवाद और गांधीवादी विचार ही समाज में बदलाव ला सकते हैं। 
--- vidyutp@gmail.com

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