Friday 27 February 2015

अंधाधुंध नई ट्रेनें नहीं, सुरक्षा और संरक्षा पर जोर

दुनिया कौ चौथा बड़ा रेल नेटवर्क और सफर के लिहाज से सबसे सस्ता नेटवर्क है भारतीय रेल। 1924 से ही रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की पंरपरा चली आ रही है। देश का सबसे बड़ा परिवहन का साधन होने के कारण रेल बजट को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता रहती है। माना जा रहा है कि इस बार सुरेश प्रभु द्वारा पेश किए जाने वाले रेल बजट में प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की झलक दिखाई दे सकती है। वहीं अंधाधुंध ट्रेनों के ऐलान के बजाए रेलवे में नई जान फूंकने पर जो रहेगा।



रेल बजट से देश की पांच बडी उम्‍मीदें

-    तत्काल टिकट पर मिले कुछ रिफंड। फिलहाल तत्काल टिकट कैंसिल कराने पर कुछ नहीं मिलता। लोग यह भी चाहते हैं कि तत्काल टिकट 48 घंटे पहले बुक हो।

-    कुछ लोग चाहते हैं कि लोअर बर्थ के लिए एक्स्ट्रा चार्ज वसूला जाए। वहीं साइड अपर बर्थ के लिए राशि कम की जाए।

-    बड़े रेलवे स्टेशनों पर सामन ढोने के लिए एयरपोर्ट की तरह ट्राली का इंतजाम हो। कुली बहुत पैसे मांगते हैं।

-    मेट्रो शहरों में प्लेटफार्म टिकट की कीमत महंगी की जाए जिससे की स्टेशनों पर भीड़ भाड़ को कम किया जा सके।

-    सफर के दौरान बेहतर गुणवत्ता वाला भोजन मुहैय्या कराने पर जोर होना चाहिए।



टाइम पर चलें ट्रेनें
ज्यादातर बड़े स्टेशनों पर रेलगाड़ियों का दबाव है। प्लेटफार्म का विस्तार नहीं होने के कारण रेलगाड़ियां आउटर सिग्नल पर रूक जाती हैं, जिससे ट्रेन लेट होती है। लखनऊ, इलाहाबाद, मुगलसराय, पटना जैसे स्टेशन काफी व्यस्त हैं।
हर साल 100 के आसपास नई ट्रेनों का ऐलान जरूर हो जाता है। पर देश के व्यस्त मार्ग पर पटरियों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने से पटरियों पर ट्रेनों का बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे रेलगाड़ियां लेट होती हैं।

स्‍टेशनों पर हो सफाई
तमाम बड़े स्टेशनों पर स्वच्छता के इंतजाम नाकाफी हैं। पिछले रेल बजट में सफाई पर 40 फीसदी बजट में इजाफा हुआ था। 50 स्टेशनों पर आउटसोर्सिंग से सफाई का प्रावधान किया गया। 400 रेलगाडियों में ऑनबोर्ड हाउसकिपिंग शुरू की गई है।

कैसे रूके हादसे
रेलवे में संरक्षा के मोर्चे पर काफी कमियां हैं। पिछले एक सालों में समपार फाटकों पर वाहनों की टकराने की कई घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है।
11,563 हजार मानव रहित रेल फाटकों को खत्म करना है बड़ा लक्ष्य।
59 फीसदी हादसे मानव रहित फाटकों पर ही होते हैं।
हाल के रेल हादसे
13 फरवरी 2015 – बेंगलुरू – 12 लोगों की मौत
16 दिसंबर 2014 नवादा – 5 की मौत
1 अक्तूबर 2014 गोरखपुर – 6 यात्रियों की मौत
24 जुलाई 2014 – हैदराबाद- 16 बच्चों की मौत

पटरियों का रखरखाव
25 साल पर मुख्य लाइन और 35 साल पर ब्रांच लाइनें बदली जानी चाहिए। पर तमाम जगह ऐसा नहीं हो पाता। रेल पटरी कमजोर हो जाने से आए दिन फ्रैक्चर होते हैं जिससे बड़ा हादसा होने का अंदेशा रहता है।

सुरक्षा
रेलगाड़ियों में लूटपाट और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।  बड़े स्टेशनों पर सुरक्षा व्यस्था दुरुस्त नहीं है। कई बार बैगेज स्कैनर काम नहीं करते।
32 फीसदी ट्रेनों में ही सुरक्षा के लिए पहरेदार होते हैं, बाकी ट्रेनें भगवान भरोसे चलती हैं।
17 हजार पद रिक्त हैं रेलवे सुरक्षा बल में।  इसलिए तमाम चलती ट्रेनों में जवानों की तैनाती नहीं हो पाती।
सुरक्षित हो यात्रा
रेल यात्री राष्ट्रीय स्तर पर हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने की मांग कर रहे हैं जिससे चलती ट्रेन में यात्री किसी भी तरह की वारदात की शिकायत दर्ज करा सकें। रेलवे की योजना भी है पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
 


सच हो बुलट ट्रेन का सपना
पिछले रेल बजट में मुंबई अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाए जाने के लिए अध्ययन कराने का ऐलान किया गया था। पर इसमें अभी कोई खास प्रगति नहीं हुई है। दिल्ली आगरा के बीच हाई स्पीड ट्रेन का ट्रायल हो चुका है। पर इस ट्रैक पर हाई स्पीड ट्रेन अभी शुरू नहीं की जा सकी है।

अच्छी गुणवत्ता का भोजन
पिछले रेल बजट में जनता भोजन के लिए 51 जन-आहार आऊटलेट खोलने का ऐलान किया गया था। पर देश के ज्यादातर स्टेशनों पर अच्छी गुणवत्ता का भोजन नहीं मिलता। चलती ट्रेन में पेंट्री कार में मिलने वाले भोजन को लेकर लोगों को काफी शिकायते हैं। कई ट्रेनों में ऑनलाइन खाना बुक कराने की सुविधा शुरू की गई है। पर इस सेवा में खाने की थाली काफी महंगी है।

भारतीय रेल

14300 रेलगाड़ियां चलती हैं हर रोज देश में
2.5 करोड़ से ज्यादा लोग सफर करते हैं हर रोज रेल से
रेलवे की कमाई
12 फीसदी हुई रेलवे की कमाई में वृद्धि माल ढुलाई से
86,000 करोड़ हुई रेलवे की कमाई माल ढुलाई से ( अप्रैल 14 से जनवरी 15 के बीच)

नई रेल लाइनें बिछाने में फिसड्डी हैं हम
हम भले ही दुनिया के चौथा बड़ा रेल नेटवर्क होने का दावा करें लेकिन नई रेल लाइनें बिछाने के मामले में आजादी के बाद की ज्यादातर सरकारें फिसड्डी रही हैं। भारतीय रेल की देश में यात्री परिवहन और माल ढुलाई में बड़ी भूमिका है। पर देश का बहुत बड़ा हिस्सा अभी रेल की सीटी सुनने का इंतजार कर रहा है। कई राज्यों की राजधानियां और देश के कई जिला मुख्यालय अभी रेल नेटवर्क पर नहीं हैं।

65436 किलोमीटर है भारतीय रेल कुल लंबाई ( 2012-13) 
23541 किलोमीटर ( 36 फीसदी) लाइन हैं विद्युतीकृत।
61,240 किलोमीटर का नेटवर्क था 1980 में।
53,596 किमी ( दुनिया कासबसे बड़ा नेटवर्क) था 1951 में नेटवर्क

42 निजी रेल कंपनियों को मिलाकर 1951 में राष्ट्रीयकरण कर भारतीय रेल की स्थापना हुई
63 साल में सिर्फ 11,000 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई गईं।
34 साल में देश में महज 3000 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई गई हैं। ( 1980 के बाद)

निजी क्षेत्र की भागीदारी
पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्‍त उद्यम कंपनी है


राज्यों को लगी है उम्मीद
उत्तर प्रदेश
इलाहाबाद में नया रेल पुल बनाने की मांग, जिसे इलाहाबाद जंक्शन पर बोझ कम होगा और रेलगाड़ियों की लेटलतीफी भी कम हो सकेगी।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल को चाहिए बिलासपुर और नालागढ़ जैसे शहरों के लिए रेल लिंक। राज्य में सिर्फ 44 किलोमीटर ब्राडगेज नेटवर्क है।
बिहार को उम्मीद
मधेपुरा विद्युत इंजन कारखाना का काम शुरु नहीं हुआ। छपरा पहिया कारखाने से अभी उत्पादन शुरू नहीं। पटना और मुंगेर में रेल पुल प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। पटना से नई दिल्ली और मुंबई के लिए है नई ट्रेनों की मांग।
ये भी है मांग
हाजीपुर – बछवाड़ा रेल मार्ग का दोहरीकरण
मुजफ्फरपुर मोतिहारी नरकटियागंज रेल खंड का विद्युतीकरण।
मध्य प्रदेश
भोपाल से पुणे और बैंगलुरु के लिए चाहिए सीधी रेल सेवा। रामगंज (राजस्थान) भोपाल, रतलाम डूंगरपुर नई ब्राडगेज लाइनों पर काम में प्रगति नहीं
ललितपुर सिंगरौली लाइन, जबलपुर-बालाघाट आमन परिवर्तन का काम फंड की कमी के कारण धीमी गति से चल रहा है।

2014 के रेल बजट में
58 नई रेलगाड़ियां चलाने की घोषणा की थी डीवी सदानंद गोड़ा ने जुलाई में पेश रेल बजट में
ये ट्रेने नहीं चलीं
नई दिल्ली से वाराणसी एक्सप्रेस (प्रतिदिन) – अभी तक नहीं चली




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