Saturday 9 July 2016

दुनिया में महिला शासकों का बढ़ता कारवां

दुनिया के 22 ऐसे देश हैं जिनमे शासन की बागडोर इन दिनों महिलाओं के हाथ में है। यह ऐतिहासिक तौर पर एक रिकॉर्ड है। ताजा घटनाक्रम में आस्ट्रिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति की कमान शुक्रवार 8 जुलाई को डोरिस बुरेस ने संभाली है। दो महीने पहले ही एशियाई देश ताइवान ने साई इंग वन को अपनी पहली महिला राष्ट्रपति के तौर पर चुना था।

ब्रिटेन में होगी महिला पीएम
ब्रेग्जिट मामले में हार के बाद इस्तीफे की घोषणा करने वाले ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन के उत्तराधिकारी की दौड़ में गृह मंत्री थेरेसा मे और ऊर्जा मंत्री आंद्रेया लेडसम को अंतिम उम्मीदवारों के तौर पर चुना गया। इसके बाद ब्रिटिश और विश्व मीडिया में इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि थैचर के बाद जल्द ही ब्रिटेन को दूसरी महिला प्रधानमंत्री मिलेगी।
हिलेरी का होगा अमेरिका
इस साल हो रहे अमेरिकी चुनाव में अगर डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को जीत मिलती है तो दुनिया के सबसे ताकतवर देश की कमान भी एक महिला के हाथ में होगी।


मर्केल सबसे शक्तिशाली महिला
जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल के हाथ में पिछले 11 साल से देश की कमान है। फोर्ब्स पत्रिका पिछले छह सालों से लगातार उन्हें दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला घोषित कर रही है।
2016 के अप्रैल में भारी जीत के बाद आंग सान सूकी म्यांमार की स्टेट काउंसेल के पद पर हैं।
2005 से एंजेला मर्केल जर्मनी की चांसलर हैं।
2011 से डेलिमा रुसेफ ब्राजील की राष्ट्रपति हैं।
2009 ने शेख हसीना वाजेद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।
2015 से विद्या देवी भंडारी नेपाल की राष्ट्रपति हैं।
2015 से अमीना गुरीब फाकिम मॉरीशस की राष्ट्रपति हैं।
2011 में यिंग्लुक शिनावात्रा थाइलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं

पहली बार
1960 में श्रीलंका में पति की हत्या के बाद श्रीमावो भंडारनायके दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं
1986 में मारिया कोराजोन अकीनो पहली बार फिलिपींस की महिला राष्ट्रपति बनकर चर्चा में आई।
1966 में इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, अपने तकरीबन दो दशक के कार्यकाल में देश की दशा दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाई
1988 में जुल्फीकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं
1236 में दिल्ली की गद्दी संभालने वाली रजिया सुल्तान को भारत की पहली महिला शासक माना जाता है।



Saturday 2 July 2016

क्या है बादल फटना यानी क्लाउडब्रस्ट

बादल फटना जिसे अंग्रेजी में क्लाउडब्रस्ट कहते हैं, एक छोटे से दायरे में काफी बड़ी मात्रा में अचानक बारिश होना है। ऐसा तब होता है जब वातावरण में दबाव बेहद कम हो जाता है। आमतौर पर बादल अचानक एक दूसरे से या फिर किसी पहाड़ी से टकराते हैं, तब अचानक भारी मात्रा में पानी बरसता है। यह प्रक्रिया ज्यादा ऊंचाई पर नहीं होती। इसमें 100 मिलीमीटर प्रतिघंटा या उससे भी तेज रफ्तार से बारिश होती है जिससे बाढ़ जैसा मंजर दिखने लगता है।
भारी नमी से लदी हवा अपने रास्ते में जब पहाड़ियों से टकराती है तो बादल फटने की घटना होती है। हिमालय क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वहां ऐसी घटनाएं ज्यादा देखने को मिलती हैं।

तेज आंधी के साथ बारिश
बादल फटने के दौरान आमतौर पर गरज और बिजली चमकने के साथ तेज आंधी के साथ भारी बारिश होती है। एक साथ भारी मात्रा में पानी गिरने से धरती उसे सोख नहीं पाती और बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है और चारों तरफ तबाही मच जाती है। बीच में यदि हवा बंद हो जाए तो बारिश का समूचा पानी एक छोटे इलाके में एकाएक जमा होकर फैलने लगता है।

पहाड़ों पर ज्यादा घटनाएं - बादल फटने की अधिकतर आपदाएं पहाड़ी क्षेत्रों में ही होती हैं। जैसे की हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर आदि।

02 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश चंद मिनटों में ही हो जाती है बादल फटने पर। जिस कारण से भारी तबाही मचती है।

2500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर अक्सर बादल के फटने की घटना देखने में आती है।
2005 में 26 जुलाई को मुंबई में गर्म हवा से टकराने से हुई थी बादल फटने की घटना, आमतौर पर मैदानी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं कम देखने को मिलती हैं।
ताजा घटनाएं
29 मई 2016 को उत्तराखंड में बादल फटा, 4 की मौत
11 मई 2016 में शिमला के पास सुन्नी में बादल फटा, भारी तबाही
08 अगस्त 2015 मंडी में बादल फटा, 5 की मौत