Saturday 2 July 2016

क्या है बादल फटना यानी क्लाउडब्रस्ट

बादल फटना जिसे अंग्रेजी में क्लाउडब्रस्ट कहते हैं, एक छोटे से दायरे में काफी बड़ी मात्रा में अचानक बारिश होना है। ऐसा तब होता है जब वातावरण में दबाव बेहद कम हो जाता है। आमतौर पर बादल अचानक एक दूसरे से या फिर किसी पहाड़ी से टकराते हैं, तब अचानक भारी मात्रा में पानी बरसता है। यह प्रक्रिया ज्यादा ऊंचाई पर नहीं होती। इसमें 100 मिलीमीटर प्रतिघंटा या उससे भी तेज रफ्तार से बारिश होती है जिससे बाढ़ जैसा मंजर दिखने लगता है।
भारी नमी से लदी हवा अपने रास्ते में जब पहाड़ियों से टकराती है तो बादल फटने की घटना होती है। हिमालय क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वहां ऐसी घटनाएं ज्यादा देखने को मिलती हैं।

तेज आंधी के साथ बारिश
बादल फटने के दौरान आमतौर पर गरज और बिजली चमकने के साथ तेज आंधी के साथ भारी बारिश होती है। एक साथ भारी मात्रा में पानी गिरने से धरती उसे सोख नहीं पाती और बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है और चारों तरफ तबाही मच जाती है। बीच में यदि हवा बंद हो जाए तो बारिश का समूचा पानी एक छोटे इलाके में एकाएक जमा होकर फैलने लगता है।

पहाड़ों पर ज्यादा घटनाएं - बादल फटने की अधिकतर आपदाएं पहाड़ी क्षेत्रों में ही होती हैं। जैसे की हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर आदि।

02 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश चंद मिनटों में ही हो जाती है बादल फटने पर। जिस कारण से भारी तबाही मचती है।

2500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर अक्सर बादल के फटने की घटना देखने में आती है।
2005 में 26 जुलाई को मुंबई में गर्म हवा से टकराने से हुई थी बादल फटने की घटना, आमतौर पर मैदानी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं कम देखने को मिलती हैं।
ताजा घटनाएं
29 मई 2016 को उत्तराखंड में बादल फटा, 4 की मौत
11 मई 2016 में शिमला के पास सुन्नी में बादल फटा, भारी तबाही
08 अगस्त 2015 मंडी में बादल फटा, 5 की मौत



1 comment:

कविता रावत said...

अच्छी जानकारी