Wednesday 8 November 2017

सच बोलेगा तो सिर चढ़कर बोलेगा

वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकारिता पर कई पुस्तकें लिखने वाले जगदीश्वर चतुर्वेदी ने कहा कि हम सच को थोड़ी देर छिपा सकते हैं पर सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। पर सच जब भी बोलेगा सिर चढ़ कर बोलेगा।ये विचार मंगलवार 7 नवंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कालेज में आयोजित सेमिनार में रखे। सेमिनार का आयोजन  वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर रामजीलाल जांगिड के मार्गदर्शन में भारतीय जनसंचार संघ और दौलत राम कालेज के संस्कृत विभाग की ओर से किया गया था।
राष्ट्रीय सेमिनार – मीडिया के समक्ष चुनौतियां

प्रोफेसर चतुर्वेदी ने मोनिका लेविंस्की-बिल क्लिंटन प्रकरण और विकिलिक्स का उदाहरण दिया। पर हमें पत्रकारिता की सीमा को समझना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट बुरा नहीं है। इसने कई तरह के खुलासों को मंच प्रदान किया है।  
टीवी के वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह ने कहा कि पत्रकारिता के सामने चुनौतियां हर कालखंड में रही हैं। हमें पत्रकारों से बहुत उम्मीद पालने से पहले उनके कामकाज की सीमाओं को भी समझना पड़ेगा। जो लोग मीडिया की कार्यशैली को नहीं जानते हैं उनके लिए मीडिया पर उंगली उठा देना, सवाल खड़े करना आसान होता है। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने कहा कि वे खास तौर पर इस संगोष्ठी में हिस्सा लेने और डाक्टर जांगिड से मिलने दिल्ली आया हूं।  

मीडिया से क्रांति की उम्मीद क्यों रखते हैं – सुधांशु रंजन
आखिर हम मीडिया से क्रांति कर देने की उम्मीद क्यों रखते हैं। मीडिया का मूल का काम खबरें देना है। अगर क्रांति होगी तो मीडिया इसकी भी खबर देगा। हालांकि कई बड़े मामलों में मीडिया की पहले से ही तेजी से न्याय मिला है। प्रियदर्शनी मट्टू जैसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं। पर पुलिस, अदालत या एक सरकारी अधिकारी की तरह एक मीडियाकर्मी के पास कोई ताकत नहीं होती। ये विचार टीवी के वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु रंजन ने व्यक्त किए। 
रंजन ने कहा कि 1789 के बाद एंडमंड बर्क ने मीडिया को फोर्थ एस्टेट कहा था पर उसका तात्पर्य संसद की गैलरी में बैठे पत्रकार दीर्घा से था जिससे मुखातिब होकर नेता लोग अपनी बात रखते थे। पर वास्तव में एक मीडिया कर्मी के पास कोई संवैधानिक ताकत नहीं होती।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष रह चुके प्रोफेसर हरिमोहन शर्मा ने मीडिया संस्थानों में पत्रकारिता शिक्षण पर अपने विचार रखते हुए कहा कि जरूरी है कि पत्रकारिता की शिक्षा देने के लिए पत्रकारों की सेवाएं ही ली जाएं। साथ ही उन्होंने पत्रकारिता वर्ग में जरूरी उपकरणों की उपलब्धता की बात रखी।
इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के प्रोफेसर चंद्रकांत प्रसाद सिंह ने कहा कि अच्छा शिक्षक वही है जो छात्रों को विचारधारा के दायरे से उपर उठकर शिक्षा दे। उन्हें ज्ञान के साथ प्रेरणा भी दे। उन्होंने एक शिक्षक के तौर पर डाक्टर जांगिड के अपने छात्रों को अभिप्रेरित करने के तरीके को अनूठे ढंग से याद किया।
डॉक्टर जांगिड का अनूठा जन्म दिन - यह संयोग है कि सात नवंबर कई दशकों तक हिंदी पत्रकारिता के शिक्षक रहे डाक्टर रामजीलाल जांगिड का 78वां जन्मदिन था। इस मौके पर उन्होंने आयोजित सेमिनार में अपने कई पूर्व छात्रों को सम्मानित किया। संगोष्ठी को डॉक्टर देवेश किशोर, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप माथुर, पूर्व आईएएस और गांधीवादी समाजसेवक डॉक्टर कमल टावरी ने भी संबोधित किया।
हमें अपनी भाषा पर गर्व हो - डॉक्टर जांगिड
इस मौके पर डॉक्टर जांगिड ने कहा कि 1947 में अंग्रेजों के भारत से जाते ही अंग्रेजी को अलविदा कह देना चाहिए था। हिंदी समेत भारत की दूसरी भाषाओं से गहरा लगाव है। कई भाषाओं के छात्रों को पढ़ा चुका हूं, पाठ्यक्रम तैयार किए हैं, पर चाहता हूं को हम आप सब अपनी भाषा पर न सिर्फ गर्व करें उसमें ज्यादा से ज्यादा काम भी करें। हमें हिंदी की ताकत पर गर्व करना चाहिए। यह सच है कि भारत में हिंदी नहीं जानने वाला देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। 

सेमिनार में वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन, इग्नू के ओम प्रकाश देवल, शत्रुघ्न सैनी,  दौलतराम कालेज की प्राचार्य डॉक्टर सविता राय, प्रो. राम बख्श, जामिया मीलिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. गिरिश पंत, साध्वी प्रज्ञा भारती, वरिष्ठ पत्रकार अपर्णा द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र साधू  भी मौजूद रहे। दौलतराम कालेज के संस्कृत विभाग की छात्राओं ने सेमिनार के बेहतरीन आयोजन में स्वयंसेविका के रूप में बड़े ही अनुशासन से दिन भर सक्रियता निभाई।
संगोष्ठी में मीडिया और उसके समक्ष चुनौतियों पर कई शोध पत्र पढ़े गए। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रो. लाल बहादुर ओझा ने टीवी मीडिया के सामने चुनौतियों पर अपने विचार रखे। 
अतिथियों को उपहार में औषधीय पौधे
दौलतराम कालेज में 7 नवंबर को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए सभी मेहमानों को उपहार में छोटे छोटे गमलों में औषधीय पौधे प्रदान किए गए। इन गमलों में इलायची, कचनार, मनीप्लांट समेत कई किस्म के पौधे थे। कालेज ने चीनीमिट्टी के गमलों का निर्माण कराया है जिस पर कालेज का लोगो बना है। इस उपहार योजना के पीछे कालेज की प्रिंसिपल डाक्टर सविता राय की दृष्टि है। यह पर्यारण संरक्षण के क्षेत्र में किया गया ऐसा कार्य है जिससे दूसरे आयोजकों को भी प्रेरणा लेने की जरूरत है।  
- विद्युत प्रकाश मौर्य  - vidyutp@gmail.com


 The following personalities were also honoured by Dr. Ramjeelal Jangid  for making valuable contribution in various fields. Prof. (Dr) Devesh Kishore- ‘Life time Achievements Award’ for 45 years of teaching and research in journalism and mass communication, Prof. (Dr.) Hari Mohan Sharma- ‘Samarpit Hindi Sevi Sammaan for working as Co-ordinator (2007-13) of PG Hindi Journalism Diploma Course in the South Campus of Delhi University, Prof. (Dr.) Prem Chand Patanjali- ‘Hindi Sevi Sammaan’ for starting the first and the only three years Degree Course in Hindi Journalism in Delhi University’s Bhim Rao Ambedkar College designed by me in 1994. It is now available in four College of D.U. Prof (Dr.) Jagdeeshwar Chaturvedi of Calcutta University- ‘Samarpit Hindi Sevi Sammaan’ for making Hindi rich by writing several Hindi books on journalism. Prof. (Dr.) Manju Gupta (C.C.S. University, Meerut)- ‘Sankalpvaan Shikshikaa Sammaan’ for spreading the message of ‘Innovation in Education’ in Asia. Prof. (Dr.) Savita Roy- ‘Sankalpvaan Shikshikaa Sammaan’ for making Daulat Ram College as an important centre for women education.
Prof. (Dr.) Aparna Dwivedi- ‘Urjaavaan Yuvaa Pratibhaa Sammaan’ for her valuable contribution in the field of TV Reporting and communication training. Shri Rampal Sharma- ‘Urjaavaan Vyaktitva Sammaan’ for opening two public schools in two backward areas of East Delhi.
Sadhvi Pragya Bharti (Divya Jyoti Jagriti Sansthan) for awakening, inspiring and transforming young minds all over India- ‘Sankalpvaan Naari Sammaan’.
Dr. Jyoti Sachdeva- Founder, ‘DENTO HUB’, GG Block, Vikaspuri, New Delhi- ‘Best Dental Clinic’ devoted to the dental treatment of the less privileged section of the society and Shri Jasmer Singh, Rohtak (Haryana)- ‘Paryavaran Hitaishee Sammaan’
-----

1 comment:

कविता रावत said...

प्रेरक प्रस्तुति ...