tag:blogger.com,1999:blog-8437169853585355566.post8347056932078292983..comments2024-03-21T18:59:19.446+05:30Comments on ........लालकिला: पापू यहीं कहीं हैं...क्योंकि शब्द रहते हैं हमेशा जिंदाVidyut Prakash Mauryahttp://www.blogger.com/profile/03194909434218371694noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8437169853585355566.post-67030998308039717762021-12-07T12:00:02.166+05:302021-12-07T12:00:02.166+05:30सचमुच पापू यहीं कहीं हैं ... मैं भी मुंगेर का हूँ,...सचमुच पापू यहीं कहीं हैं ... मैं भी मुंगेर का हूँ, परन्तु पापू से कभी मिल नहीं पाया . उनके घर की और से कई-कई बार गुजरा, लेकिन मिल न सका . शायद शब्दों में ही न मिल पाने की कसक सालती रही ...Anonymousnoreply@blogger.com