Tuesday 21 May 2019

इला पाल चौधरी - नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ काम किया


(महिला सांसद - 68 ) - स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल से संसद में पहुंचने वाली महिलाओं में इला पाल चौधरी का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। बंगाल में शिक्षा के प्रसार में उनकी बड़ी भूमिका थी। उन्होंने शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भी काफी काम किया।

इला पाल चौधरी ने दूसरी लोकसभा के चुनाव में 1957 में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के नबादीप क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ काम किया था और बंगाल में कई स्कूलों की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई। सिलिगुड़ी में उनके नाम पर बाद में हिंदी हाई स्कूल खोला गया है।
लोकसभा में प्रखर वक्ता
इला पाल चौधरी लोकसभा की प्रखर वक्ताओं में से एक थीं। दूसरी लोकसभा के चुनाव में नबादीप में इला पाल ने स्वतंत्र उम्मीदवार कुमारेश चंद्र को भारी मतों से पराजित किया था। पर वे 1962 में तीसरी लोकसभा के चुनाव में आजाद उम्मीदवार हरिपदा चौधरी से पराजित हो गईं। इसके बाद इला पाल चौधरी 1968 में पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतकर एक बार फिर लोकसभा में पहुंची। इस बार उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार एसएस सान्याल को पराजित किया।
जमींदार घराने में विवाह
इला पाल का एक अमीर बंगाली परिवार से आती थीं। उनका विवाह नादिया जिले के बड़े जमींदार अमिय नंदन पाल चौधरी के साथ हुआ। उनके ससुर बिप्रदास पाल चौधरी ब्रिटिश भारत के बड़े उद्योगपतियों में गिने जाते थे। पर परिवार का विलासितापूर्ण जीवन छोड़कर उन्होंने राजनीति की रपटीली राहों को चुना। कांग्रेस पार्टी ने दूसरी लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया।
नेताजी के साथ
इला पाल ने युवावस्था में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सदस्य ली। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रियता से हिस्सा लिया। इला की मुलाकात कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ हुई और वे उनकी टीम में काम करने लगीं। नेताजी भी उनपर काफी भरोसा रखते थे। बाद में वे कोलकाता में कांग्रेस पार्टी की कई महिला शाखाओं की अगुवाई करने लगीं।
शिक्षा पर जोर
एक सांसद के तौर पर बात करें तो अपनी दो ससंदीय पारी में इला पाल चौधरी ने पश्चिम बंगाल में महिला शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने अपने निजी प्रयास से बंगाल में कई स्कूलों की स्थापना करवाई। सिलिगुड़ी और दार्जिलिंग में तो उनके नाम पर कई स्कूलों की स्थापना की गई है। उन्होंने बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भी काफी काम किया।
सफरनामा
1908 में कोलकाता में इला पाल का जन्म हुआ।
1957 में दूसरी लोकसभा में नबादीप से चुनीं गईं
1968 में कृष्णानगर से लोकसभा उपचुनाव जीता।
1975 में 9 मार्च को कोलकाता में उनका निधन हो गया।


1 comment:

manuj saikia said...

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