अंडमान निकोबार में कई ऐसे
प्रतिबंधित द्वीप हैं जहां भारतीय या विदेशी नागरिकों को जाने से मनाही है। ऐसा उन
आदिम जातियों के संरक्षण के ख्याल से किया गया है। उनकी कम होती संख्या चिंता का
विषय बन चुकी है। पर साल 2018 के अक्तूबर नवंबर महीने में एक अमेरिकी नागरिक ने
सेंटनिलीज लोगों के द्वीप पर जाने की कोशिश की और वह मारा गया।
अंडमान के सेंटिनल द्वीप में
नवंबर 2018 में मारे गए 27 साल के अमेरिकी नागरिक जॉन ऐलन चाऊ का मकसद इन अनजान
आदिवासियों के बीच ईसाई धर्म का प्रचार करना था। चाऊ ने दो बार इस द्वीप पर
पहुंचने की कोशिश की थी। 14 नवंबर को उसकी पहली कोशिश नाकाम रही थी। इसके बाद 16
नवंबर को वह पूरी तैयारी के साथ पहुंचा था। पर गुस्साए आदिवासियों ने उस पर तीर से
मार डाला। चाऊ इससे पहले पांच बार अंडमान आ चुका था।
जॉन ऐलन चाऊ सात मछुआरों के साथ
बिना इजाजत एडवेंचर ट्रिप पर नॉर्थ सेंटिनल द्वीप गया था। वह सेंटिनेलीज जनजाति के
लोगों के साथ मित्रता की कोशिश कर रहा था। पर कहा जा रहा है कि जनजातीय लोगों ने
उसकी हत्या कर उसके शव को रेत में ही गाड़ दिया।
अंडमान में सेंटनिलीज के हमले
में नवंबर 2018 में मारे गए अमेरिकी युवक पर पहले दिन जनजातीय लोगों ने तीर से
हमला किया था। पर छाती पर रखे बाइबिल के कारण उसकी तब जान बच गई। नाव वापस लौटने
के बाद उसने नोट्स में लिखा- हे पिता
उन्हें क्षमा कर देना।
दरअसल स्थानीय मछुआरों की
सहायता से छोटी सी नाव में उत्तर सेंटनील द्वीप पर जाकर जॉनने 16 नवंबर जनजातीय
लोगों के मिलने की कोशिश की थी। उसके हाथ में एक फुटबॉल औरबाइबिल था। उसने द्वीप
पर जनजातीय लोगों से बात करने की कोशिश की। पर तब एक दससाल की आसपास के उम्र के
सेंटनिलीज ने जॉन एलन पर तीर चलाकर हमला किया था। पर तबउसने अपने सीने पर बाइबिल
रखा हुआ था। उसकी जान बच गई। इसके बाद जॉन अपनी नाव परलौट आया। रात को उसने अपने
पहले दिन के संस्मरण के नोट्स लिखे थे। इसमें जॉन ने लिखा है- मैंने उनसे कहा,
मेरा नाम जॉन है। मैं आपको प्यार करता हूं। जीसस भी आपको प्यार करते
हैं।मैं आपके लिए फुटबॉल और मछलियां लाया हूं। पर उसका संवाद सफल नहीं हुआ। हमले
सेबचकर वह पहले दिन अपनी नाव पर लौट आया। अगले दिन वह दोबारा द्वीप पर पहुंचा। पर
इसबार वह वापस नहीं लौट सका।
अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाउ
पिछले माह 16 अक्टूबर को अंडमान निकोबार
पहुंचा था।अपने एक दोस्त के घर रुकने बाद उसने सेंटेनिलीज आदिवासियों से मिलने की
इच्छा जाहिर कीथी। अंडमान के सीआईडी के अधिकारी ने बाया कि जॉन एलन चाऊ एक ईसाई
मिशनरी से जुड़ाथा और वो इन आदिवासियों के बीच धर्म प्रचार करना चाहता था।
चाउ के परिवार ने भी माफ किया
चाऊ के परिवार ने इंस्टाग्राम
पर बयान जारी कर उसके निधन पर दुख जताया है। परिवार नेलिखा है कि वह एक प्यारा
पुत्र,
भाई, अंकल था। उसके दिल में सेंटनिलीज के
प्रति प्यार था। हमउन लोगों को माफ करते हैं जो उसकी मौत के लिए जिम्मेवार हैं।
साथ ही हम चाहते हैं कि उसकेउन दोस्तों रिहा कर दिया जाए जिन्होंने अंडमान में
उसकी मदद की। परिवार ने अपने बयान में स्वीकार किया कि उसका बेटा ईसाई मिशनरी था।
लेकिन वह एक फुटबॉल कोच और पर्वतारोहीभी था। वह दूसरों की मदद करने को तत्पर रहता
था।
अंडमान के डीजीपी दीपेंद्र पाठक
ने मीडिया को बताया चाऊ छठी बार पोर्ट ब्लेयर की यात्रा कर रहा था। उसने मछुआरों
को उत्तरी सेंटिनल द्वीप जाने में मदद के लिए25 हजार रुपये दिए। मछुआरे 15 नवंबर
की रात उन्हें आइलैंड के पश्चिमी सीमा तक एक छोटी नाव से ले गए। वहां से अगले दिन
चाऊ एक नाव लेकर अकेले ही आइलैंड तक गए। पुलिस ने 13 पन्नों का नोट अपने कब्जे में
ले लिया है जिसे चाऊ ने लिखा था और द्वीप पर जाने से पहले मछुआरों को सौंप दिया
था।
60 हजार पुराना आदिवासियों का
कबीला
पोर्ट ब्लेयर से 50 किमी दूर सेंटिनेल द्वीप पर दुनिया से कटे
आदिवासियों की तादाद बेहद कम है। इस द्वीप पर आदिवासियों का यह बेहद विलुप्तप्राय
समुदाय रहता है। अंडमान निकोबार के नॉर्थ सेंटिनल द्वीप में 60 हजार साल पुराना
आदिवासियों का कबीला है। इस समूह से मिलने की इजाजत किसी को नहीं है। साल 2006 में
रास्ता भटकर सेंटिनेल द्वीप पर पहुंचे दो नाविकों को भी सेंटिनेलीज ने मार डाला
था।
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