Saturday, 24 November 2018

और अंडमान के लोगों ने उसे मार डाला...


अंडमान निकोबार में कई ऐसे प्रतिबंधित द्वीप हैं जहां भारतीय या विदेशी नागरिकों को जाने से मनाही है। ऐसा उन आदिम जातियों के संरक्षण के ख्याल से किया गया है। उनकी कम होती संख्या चिंता का विषय बन चुकी है। पर साल 2018 के अक्तूबर नवंबर महीने में एक अमेरिकी नागरिक ने सेंटनिलीज लोगों के द्वीप पर जाने की कोशिश की और वह मारा गया।

अंडमान के सेंटिनल द्वीप में नवंबर 2018 में मारे गए 27 साल के अमेरिकी नागरिक जॉन ऐलन चाऊ का मकसद इन अनजान आदिवासियों के बीच ईसाई धर्म का प्रचार करना था। चाऊ ने दो बार इस द्वीप पर पहुंचने की कोशिश की थी। 14 नवंबर को उसकी पहली कोशिश नाकाम रही थी। इसके बाद 16 नवंबर को वह पूरी तैयारी के साथ पहुंचा था। पर गुस्साए आदिवासियों ने उस पर तीर से मार डाला। चाऊ इससे पहले पांच बार अंडमान आ चुका था।
जॉन ऐलन चाऊ सात मछुआरों के साथ बिना इजाजत एडवेंचर ट्रिप पर नॉर्थ सेंटिनल द्वीप गया था। वह सेंटिनेलीज जनजाति के लोगों के साथ मित्रता की कोशिश कर रहा था। पर कहा जा रहा है कि जनजातीय लोगों ने उसकी हत्या कर उसके शव को रेत में ही गाड़ दिया।

अंडमान में सेंटनिलीज के हमले में नवंबर 2018 में मारे गए अमेरिकी युवक पर पहले दिन जनजातीय लोगों ने तीर से हमला किया था। पर छाती पर रखे बाइबिल के कारण उसकी तब जान बच गई। नाव वापस लौटने के बाद उसने नोट्स में लिखा-  हे पिता उन्हें क्षमा कर देना।

दरअसल स्थानीय मछुआरों की सहायता से छोटी सी नाव में उत्तर सेंटनील द्वीप पर जाकर जॉनने 16 नवंबर जनजातीय लोगों के मिलने की कोशिश की थी। उसके हाथ में एक फुटबॉल औरबाइबिल था। उसने द्वीप पर जनजातीय लोगों से बात करने की कोशिश की। पर तब एक दससाल की आसपास के उम्र के सेंटनिलीज ने जॉन एलन पर तीर चलाकर हमला किया था। पर तबउसने अपने सीने पर बाइबिल रखा हुआ था। उसकी जान बच गई। इसके बाद जॉन अपनी नाव परलौट आया। रात को उसने अपने पहले दिन के संस्मरण के नोट्स लिखे थे। इसमें जॉन ने लिखा है- मैंने उनसे कहा, मेरा नाम जॉन है। मैं आपको प्यार करता हूं। जीसस भी आपको प्यार करते हैं।मैं आपके लिए फुटबॉल और मछलियां लाया हूं। पर उसका संवाद सफल नहीं हुआ। हमले सेबचकर वह पहले दिन अपनी नाव पर लौट आया। अगले दिन वह दोबारा द्वीप पर पहुंचा। पर इसबार वह वापस नहीं लौट सका।

अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाउ पिछले माह  16 अक्टूबर को अंडमान निकोबार पहुंचा था।अपने एक दोस्त के घर रुकने बाद उसने सेंटेनिलीज आदिवासियों से मिलने की इच्छा जाहिर कीथी। अंडमान के सीआईडी के अधिकारी ने बाया कि जॉन एलन चाऊ एक ईसाई मिशनरी से जुड़ाथा और वो इन आदिवासियों के बीच धर्म प्रचार करना चाहता था।
 चाउ के परिवार ने भी माफ किया
चाऊ के परिवार ने इंस्टाग्राम पर बयान जारी कर उसके निधन पर दुख जताया है। परिवार नेलिखा है कि वह एक प्यारा पुत्र, भाई, अंकल था। उसके दिल में सेंटनिलीज के प्रति प्यार था। हमउन लोगों को माफ करते हैं जो उसकी मौत के लिए जिम्मेवार हैं। साथ ही हम चाहते हैं कि उसकेउन दोस्तों रिहा कर दिया जाए जिन्होंने अंडमान में उसकी मदद की। परिवार ने अपने बयान में स्वीकार किया कि उसका बेटा ईसाई मिशनरी था। लेकिन वह एक फुटबॉल कोच और पर्वतारोहीभी था। वह दूसरों की मदद करने को तत्पर रहता था।
अंडमान के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने मीडिया को बताया चाऊ छठी बार पोर्ट ब्लेयर की यात्रा कर रहा था। उसने मछुआरों को उत्तरी सेंटिनल द्वीप जाने में मदद के लिए25 हजार रुपये दिए। मछुआरे 15 नवंबर की रात उन्हें आइलैंड के पश्चिमी सीमा तक एक छोटी नाव से ले गए। वहां से अगले दिन चाऊ एक नाव लेकर अकेले ही आइलैंड तक गए। पुलिस ने 13 पन्नों का नोट अपने कब्जे में ले लिया है जिसे चाऊ ने लिखा था और द्वीप पर जाने से पहले मछुआरों को सौंप दिया था।
60 हजार पुराना आदिवासियों का कबीला
पोर्ट ब्लेयर से 50  किमी दूर सेंटिनेल द्वीप पर दुनिया से कटे आदिवासियों की तादाद बेहद कम है। इस द्वीप पर आदिवासियों का यह बेहद विलुप्तप्राय समुदाय रहता है। अंडमान निकोबार के नॉर्थ सेंटिनल द्वीप में 60 हजार साल पुराना आदिवासियों का कबीला है। इस समूह से मिलने की इजाजत किसी को नहीं है। साल 2006 में रास्ता भटकर सेंटिनेल द्वीप पर पहुंचे दो नाविकों को भी सेंटिनेलीज ने मार डाला था।
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Friday, 16 November 2018

मेहनत के बल मुकाम हासिल कर रहीं महिलाएं

आज पत्रकारिता में महिलाएं अपनी मेहनत के बल पर मुकाम हासिल कर रही हैं। जिन महिलाओं ने सतत संघर्ष का रास्ता चुना है उन्हें पहचान मिली है। मीटू कंपेन और कार्य स्थल पर शोषण की चर्चाओं के बीच हालात इतने निराशाजनक नहीं है जितने कि सुनने में आ  रहे हैं। कुछ इस तरह के विचार छनकर आए 14 नवंबर को हिंदू कालेज के सेमिनार हाल में आयोजित हुए मीडिया में महिलाएं – चुनौतियां और भविष्यपर हुए सेमिनार में। कार्यक्रम का आयोजन हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा शिक्षक डॉक्टर रामजी लाल जांगिड के सानिध्य में भारतीय जनसंचार संघ और हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के नारी विकास प्रकोष्ठ द्वारा किया गया ।

रामजी सुतार को भारत गौरव सम्मान
सेमिनार की शुरुआत में देश के जाने में मूर्तिकार राम वन जी सुतार को भारत गौरव सम्मान से नवाजा गया। 93 सालके रामवन जी सुतार जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची 182 मीटर की सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनानेमें अपना योगदान किया है वे इस आयोजन के हीरो रहे। हर कोई उनसे मिलना बातें करना और उनके साथ एक सेल्फी खिंचवाने को आतुर था। सीधे, सरल और सौम्य रामजी ने भी सबको मौका दिया।
सम्मान समारोह के तहत आधात्म से युवाओं को जोड़कर सतत समाजसेवा करने वाली साध्वी प्रज्ञा भारती को भारत गौरव सम्मान से नवाजा गया। वहीं हरियाणा सरकार के पूर्व मुख्य सचिव और राम पर दो पुस्तकों के लेखक प्रोफेसर राम सहाय शर्मा,  कुष्ठ रोगियो के लिए लगातार काम करने वाले झारखंड के लक्ष्मी निधि, देश की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले सजग युवा पत्रकार संजय मिश्र, सम्मोहन चिकित्सा के विशेषज्ञ प्रोफेसर राम प्रकाश शर्मा, आयुर्वेद पर कई पुस्तकों के लेखक प्रोफेसर हीरा लाल शर्मा समेत कई लोगों को समाज में सार्थक बदलाव लाने के लिए उल्लेखनीय योगदान करने लिए सम्मानित किया गया।


चलो गांव की बात करें - इस मौके पर सिविल सेवा छोड़ समाज सेवा में आने वाले डाक्टर कमल टावरी ने कहा कि तमाम पेंशन पाने वाले और समाज सेवा मेंरुचि रखने वाले लोग अगर आएं तो बिना किसी सरकारी फंड के निजी प्रयासों से देश के गावों के सूरत बदल सकते हैं। देश के 8000 प्रखंडों की सूरत बदलने और युवाओं को रोजगार देने के लिए ऐसे लोगों को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अ-सरकारी काम ही असरकारी हो सकता है।  


वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह और प्रदीप माथुर ने मीडिया में कामकाज के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि मीडिया की दुनिया वास्तव में वैसी नहीं है जैसी बाहर से लोगों को लगती है।


इस मौके पर दानापानी ब्लॉग के लेखक और मॉडरेटर विद्युत प्रकाश मौर्य को राष्ट्रीय एकता सम्मान प्रदान किया गया। ब्लॉगिंग के द्वारा देश के 35 राज्यों के समाज और संस्कृति से परिचित कराने और शाकाहार को बढावा देने के लिए उन्हे इस सम्मान के लिए चुना गया। 
मुश्किलों में रास्ता बनाएं - 

मीडिया में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्ष पर जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर शिल्पी झा ने प्रकाश डाला। शिल्पी झा ने कहा, मुश्किलें तो आएंगी पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है, अगर आपमें प्रतिभा है तो रास्ते खुलते रहेंगे। डाक्टर श्याम शर्मा ने रेडियो और दूरदर्शन में महिलाओं की स्थित पर चर्चा की। वहीं विद्युत प्रकाश ने ट्रेवल ब्लागिंग में महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।



कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत हिंदू कालेज के प्रोफेसर रामेश्वर राय और वीमेन डेवलपमेंट सेल की दीपिका शर्मा ने किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र की अध्यक्षता जानकीदेवी मेमोरियल कालेज की प्राचार्य डॉक्टर स्वाति पाल ने की।


निष्पक्षता बनाए रखना चुनौती - इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षक डाक्टर रामजीलाल जांगिड ने कहा कि मीडिया आज हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। मीडिया से कोई भी अछूता नहीं रह सकता है। इसलिए हर सत्ता मीडिया पर अपना काबू रखना चाहती है। ऐसे दौर में मीडिया की निष्पक्षता बनाए रखना पत्रकारों के लिए चुनौती है। इस मौके पर दुनिया के 2000 से ज्यादा भाषायी पत्रकारों को प्रशिक्षित कर चुके डॉक्टर जांगिड को सभी लोगों ने उनके 80 साल पूरे करने पर बधाई भी दी। 

महिला पत्रकारों मे पैनी दृष्टि -  राजकीय महिला आवासीय पोलीटेक्निक  जोधपुर में डाक्टर अनुलता गहलोत ने मीडिया में स्त्रियों के संघर्ष और उनकी क्रमिक तौर पर बढ़ती पहचान पर शोध पत्र पेश किया। उनका विचार था कि महिला पत्रकारों में प्रतिभा के साथ पैनी दृष्टि भी है। वे संवेदनशीलता,दक्षता और आत्मविश्वास से भरी हैं। अभी हिंदी पत्रकारिता का स्वर्ण काल आना शेष है। पर इस काल में महिलाओं की विशेष भागीदारी होगी। 

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार और रेलवे से अवकाश प्राप्त जगदीश चंद्र, प्रिंट और टीवी के वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया प्लानर रामहित नंदन, लेखिका पारुल जैन समेत मीडिया जगत की प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं। शिक्षा जगत से डाक्टर शारदा जैन, डाक्टर अनीता गर्ग (दौलत राम कॉलेज) और दौलत राम कालेज की प्रिंसिपल डाक्टर सविता राय ने भी अपनी मौजूदगी से कार्यक्रम की शोभा बढाई। 

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( SEMINAR, MEDIA, HINDU COLLEGE )