Wednesday 7 August 2019

फेनी के उस पार: यात्रा के साथ संस्कृति से रूबरु कराती पुस्तक

फेनी के उस पार महज एक यात्रा वृतांत नहीं है। पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा पर लिखी यह पुस्तक वहां के जनजातियों के जीवन पर बड़ी सूक्ष्म रूप से प्रकाश डालती है। मैं दो बार त्रिपुरा की यात्रा कर चुका हूं पर पुस्तक पढ़ते हुए यूं लगा कि तीसरी यात्रा पर निकल चुका हूं.  लेखक सांवरमल सांगनेरिया की यह पुस्तक 2016 में आई थी। पुस्तक का प्रकाशन बोधि प्रकाशन जयपुर ने किया है।
पुस्तक राज्य के सभी प्रमुख जनजाति से आपका परिचय कराती है। लेखक ने राज्य हर हिस्से की यात्रा की है। राज्य के काले दौर यानी उग्रवादी काल पर भी प्रकाश डालती है। पुस्तक में चित्र  नहीं हैं पर लेखक ने शब्दों से अनूठा संसार खींचा है। पुस्तक की भाषा में प्रवाह है जो पाठक को अपने साथ बांधे रखता है। फेनी उस नदी का नाम है जो भारत बांग्लादेश की सीमा पर बहती है। लेखक राज्य की दस नदियों बारे में बड़ी रोचकता से चर्चा करते हैं। पूर्वोत्तर में रूचि रखने वाले हर व्यक्ति के लिए यह पुस्तक पठनीय है।

इससे पहले पूर्वोत्तर पर रविशंकर रवि की पुस्तक लाल नदी नीले पहाड़ पढ़ने को मिली थी। हिंदी में पूर्वोत्तर पर बहुत कम यात्रा साहित्य लिखा गया है। इस कमी के बीच फेनी के उस पार एक अनमोल पुस्तक है। 

पुस्तक : फेनी के उस पार
प्रकाशक : बोधि प्रकाशनजयपुर
मूल्य : 200 रुपये
पुस्तक कैसे प्राप्त करें

लिखें - श्री माया मृगबोधि प्रकाशन, जयपुर-
फोन नं-9829018087 या 0141-2503989 
Email : bodhiprakashan@gmail.com
पता - बोधि प्रकाशन,  एफ/77, सेक्टर-9, रोड न.11, करतारपुरा 
इंडस्ट्रियल एरियाबाइस गोदामजयपुर – 302006 (राजस्थान) 



: विद्युत प्रकाश मौर्य Email- vidyutp@gmail.com

मेरी त्रिपुरा की यात्रा पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं...