अगर आप भारत के
पूर्वोत्तर राज्यों को जानना चाहते हैं तो आपके लिए बेहतरीन किताब हो सकती है लाल
नदी नीले पहाड़। वैसे हिंदी में पूर्वोत्तर पर बहुत कम किताबें लिखी गई हैं। इन
सबके बीच एक ऐसी समग्र किताब जो आपको पूर्वोत्तर के आठ राज्यों से परिचित कराए,
इसकी तलाश इस किताब के साथ आकर खत्म होती है। रविशंकर रवि की इस पुस्तक में कुल 53
आलेख हैं। इनमें से ज्यादातर आलेख संस्मरण या फिर रिपोर्ताज की शैली में हैं। इसलिए
हर पन्ने को पढ़ने हुए आगे बढ़ना रोचकता लिए हुए है। अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय,
मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम, हर राज्य पर आपको कुछ आलेख यहां पढ़ने को मिल
जाएंगे। पर सबसे अच्छी बात है कहने की शैली, जो अत्यंत सरल और सधे हुए शब्दों में
है। लेखक रविशंकर रवि 1989 में पूर्वोत्तर गए तो फिर वहीं के होकर रह गए। पुस्तक
में उनकी तीन दशक की पूर्वोत्तर की पत्रकारिता के अनुभव को बखूबी महसूस किया जा
सकता है। पुस्तक के शुरुआती लेखों में असम के महान संगीतकार, गायक भूपेन हजारिका
से उनकी मुलाकात का प्रसंग आता है। आगे के कुछ अध्याय में भूपेन दादा की मृत्यु और
उनकी संपत्ति को लेकर विवाद का भी प्रसंग है।
पुस्तक उन लोगों के
लिए एक दोस्त की और गाइड की तरह भी काम करती है जो पूर्वोत्तर के राज्यों में
घूमने की तमन्ना रखते हैं। दरअसल पूर्वोत्तर के कई राज्य खासकर अरुणाचल, सिक्किम
और मेघालय बेइंतहा खूबसूरती समेटे हैं, पर वहां सैलानियों की आमद अपेक्षाकृत कम
है। अपने कई लेखों में लेखक ये बताते हैं कि अरुणाचल घूमना कितना भयमुक्त है। साथ
ही पूर्वोत्तर के अधिकांश क्षेत्रों में एक पर्यटक के तौर पर जाने पर आपको भयभीत
होने की कोई जरूरत नहीं है। पुस्तक में लेखक की अरुणाचल प्रदेश की कई यात्राओं का
विवरण है। लाल नदी नीले पहाड़ ब्रह्मपुत्र नदी और इससे जुड़े कई मिथ और हकीकत का
भी खुलासा करती है। आपको दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली में भी ले जाती है,
तो कभी असम के चाय बगानों में भी सैर कराती है। इसमें कई आलेख ऐसे हैं जो आपको पूर्वोत्तर
के राज्यों की पर्व त्योहार और सांस्कृतिक विशेषताओं से रुबरू कराते हैं। एक आम
हिंदुस्तानी के लिए कई जानकारियां चमत्कृत करने जैसी हैं। उनके पढ़ते हुए ऐसा लग
सकता है कि क्या हमारे देश में ऐसा भी होता है।
पुस्तक के कई लेख पहले विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं पर उनका लेखक ने बाद में संस्मरण शैली में परिमार्जन किया है, जो पढ़ने को और भी रोचक बना देता है। हालांकि कई लेखों में रचना काल का जिक्र किया जाता तो बेहतर होता। वे सभी अध्येता जो देश की सांस्कृति विभिन्नता के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं, लाल नदी नीले पहाड़ एक बहुमूल्य पुस्तक है, जिसे पढ़ने का मौका आपको गंवाना नहीं चाहिए।
पुस्तक के कई लेख पहले विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं पर उनका लेखक ने बाद में संस्मरण शैली में परिमार्जन किया है, जो पढ़ने को और भी रोचक बना देता है। हालांकि कई लेखों में रचना काल का जिक्र किया जाता तो बेहतर होता। वे सभी अध्येता जो देश की सांस्कृति विभिन्नता के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं, लाल नदी नीले पहाड़ एक बहुमूल्य पुस्तक है, जिसे पढ़ने का मौका आपको गंवाना नहीं चाहिए।
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पुस्तक – लाल नदी नीले पहाड़
- लेखक - रवि
शंकर रवि
- मूल्य – 250 रुपये पृष्ठ – 264 ( पेपरबैक)
- प्रकाशक - बोधि प्रकाशन, जयपुर
पुस्तक
कैसे प्राप्त करें
लिखें - श्री माया मृग, बोधि प्रकाशन,
जयुपर-
फोन नं-9829018087 या 0141-2503989
पता - बोधि प्रकाशन, एफ/77, सेक्टर-9, रोड न.11, करतारपुरा
इनडस्ट्रीयल एरिया, बाइस गोदाम, जयपुर – 302006 (राजस्थान)
इनडस्ट्रीयल एरिया, बाइस गोदाम, जयपुर – 302006 (राजस्थान)
Email : bodhiprakashan@gmail.com
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- विद्युत प्रकाश मौर्य ( vidyutp@gmail.com )
2 comments:
बहुत जानकारी परक पुस्तक समीक्षा । धन्यवाद
धन्यवाद, आप किताब मंगाएं भी
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