Friday 5 March 2021

पहाड़ों की सैर कराती पुस्तक - हिमालय की वादियों में

बहुत पहले एक फिल्म आई थी हिमालय की गोद में। मनोज कुमार माला सिन्हा की इस फिल्म की शूटिंग हिमाचल की वादियों में हुई थी। अब एक नई पुस्तक मेरे हाथ में है – हिमालय की वादियों में। यात्रा वृतांत श्रेणी की इस पुस्तक के रचयिता है डॉक्टर सुखनंदन सिंह। आध्यात्मिक पृष्ठभूमि वाले शोधार्थी सुखनंदन सिंह की कलम से हिमालय को महसूस करना करना एक अलग किस्म का आनंदित करने वाला अनुभव है।

कुल 243 पृष्ठों की पुस्तक आपको उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई अनछूए और अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय स्थलों की सैर पर ले जाती है। कोई भी व्यक्ति चाहकर भी सभी स्थलों का भ्रमण तो नहीं कर सकता न। तो कई बार दूसरे लेखकों की यात्राओं को पढ़ना भी बड़ा सुखकर लगता है।

लेखक खुद हिमाचल के रहने वाले हैं। कुल्लू की वादियों में उनका बचपन गुजरा। पर पुस्तक की शुरुआत उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र की उनकी कुछ यात्राओं से ही होती है।

लेखक ने ऋषिकेश के पास स्थित नीलकंठ की तो कई बार यात्राएं की हैं। वे नीलकंठ के जाने के चार मार्गों के अनुभव साझा करते हैं। आमतौर पर हम दो मार्ग के बारे में ही जानते हैं। श्री हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की यात्रा का वृतांत काफी सुंदर हैं। ये यात्रा थोड़ी मुश्किल भी है।

पुस्तक को पढ़ते हुए ये पता चलता है कि लेखक ने पहाडों पर ट्रैकिंग करने के लिए बेसिक कोर्स भी किया है। हिमाचल प्रदेश में लेखक पाराशर झील की यात्रा भी काफी रोमांचित करती है। पुस्तक के आखिरी हिस्से में लेखक हमें कुल्लू की हसीन वादियों में ले जाते हैं। यहां वे कुल्ले के चप्पे-चप्पे के बारे में बताते हैं। लेखक डॉक्टर सुखनंदन सिंह देव संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उनकी कई यात्राएं छात्रों के समूह के साथ की गई हैं। वे न सिर्फ खुद अनवरत यात्री हैं बल्कि अपने छात्रों को भी यात्राओं के लिए प्रेरित करते हैं।

पुस्तक – हिमालय की वादियों में

लेखक – डॉक्टर सुखनंदन सिंह

प्रकाशक – ईवीन्सपब पब्लिकेशनंस

मूल्य -   369 रुपये, पृष्ठ – 243

पुस्तक विभिन्न प्लेटफार्म से ऑनलाइन मंगाई जा सकती है।

 

Evincepub: https://evincepub.com/.../himaalay-ki-vaadiyon-mein.../

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Tuesday 2 March 2021

बहुत याद आएंगे- ओम गुप्ता


वरिष्ठ पत्रकार ओम गुप्ता, 28 फरवरी 2021 को 73 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनका जन्म 25 नवम्बर,1948 को हुआ था। वे मेरी पहली नौकरी के तीसरे संपादक थे। कुबेर टाइम्स में घनश्याम पंकज उन्हें दिल्ली संस्करण के संपादक के तौर पर लेकर आए थे। तब मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला था। सन 1998-99 के दौर में उनके साथ काफी कुछ सीखने समझने का मौका मिला। एक बार उनके साथ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उमेश सहगल से मिलने जाना हुआ था। उमेश सहगल उनके दोस्त थे। वे बाद में दिल्ली के मुख्य सचिव बने। पर उनकी रूचि दूरदर्शन के लिए टीवी कार्यक्रम बनाने में हुआ करती थी।

ओम गुप्ता देश के उन दुर्लभ पत्रकारों में थे जिनका अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं  पर समान अधिकार था।वे अंग्रेजी व हिंदी के कई अखबारों के सम्पादक रहे। वे अपने पीछे पत्नी आरती थापा, पुत्र संजोग, संकल्प और पुत्री सिया छोड़ गए हैं।

ओम गुप्ता मूलतः फ़िल्म के पत्रकार थे पर राजनीति की खोजी खबरों ने उन्हें शिखर का पत्रकार बनाया। वे शर्मिला टैगोर द्वारा प्रकाशित की गई टेक 2 व सुपर जैसी फिल्मी पत्रिका के संपादक रहे। वे मिड डे (दिल्ली) के सम्पादक रहे। वे इंडिया टुडे, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, पायनियर, कैरेवान आदि में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके थे। वे हिंदी में दिनमान टाइम्स व कुबेर टाइम्स के दिल्ली संस्करण के सम्पादक रहे। दिल्ली में स्वतंत्र भारत समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ भी रहे। उनका पूरा नाम ओम प्रकाश गुप्ता था। पर इंडिया टूडे में उनके नाम का संक्षिप्तीकरण होकर ओम गुप्ता रह गया। 

बाद में वे पत्रकारिता के अध्यापन से जुड़ गए और मीडिया व मैनेजमेंट के चार विद्यालयों में वे डीन रहे। उन्होने एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, नोएडा फिल्म सिटी, जिम्स, वाईएमसीए, भारतीय विद्या भवन जैसे संस्थानों में पढाया। उनके पढ़ाए हुए छात्रों की एक लंबी फेहरिस्त है जो अलग अलग विधाओं के सफल पत्रकार हैं।

ओम गुप्ता ने ' धूप की लकीरें'  और 'पूर्वी वसंती'  जैसे टीवी कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया। वे मनोहर श्याम जोशी के लोकप्रिय धारावाहिक हमलोग के सह लेखक भी हुआ करते थे। पत्रकारिता पर उनकी 23 किताबें प्रकाशित हुईं। इनमें मीडिया और सृजन, मीडिया और विचार व मेरे 15 नाटक जैसी पुस्तकें खासी लोकप्रिय हैं। उनका एक व्यंग्य संग्रह प्रधानमंत्री की धोबन भी काफी लोकप्रिय हुआ था।

कई सालों बाद ओम गुप्ता सर से अचानक मिलना हुआ 2010 में जब मैं फिल्म सिटी में महुआ चैनल में बतौर प्रोड्यूसर कार्यरत था। वे इसी भवन में एशियन अकादमी में पढ़ाने आया करते थे। उसके बाद कभी कभी फोन पर बात हुआ करती थी। कई बार घर बुलाया पर मैं मिलने नहीं जा सका। पर अब तो कभी मुलाकात नहीं हो सकेगी।   

- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com 

( OM GUPTA, JOURNALIST, KUBER TIMES )