Wednesday, 30 November 2016

आदमी को चाहिए वक्त से डरकर रहे...

जब आप देश के अलग अलग शहरों में हो रही घटनाओं को नहीं देख पा रहे हों, या देखकर अनदेखा कर रहे हों तो इसे क्या कहेंगे। आप सच सुनने और देखने को तैयार नहीं हैं तो इससे अराजक स्थिति कुछ और नहीं हो सकती। भले आप आत्ममुग्धता की स्थिति में जी रहे हों पर याद रखिए इतिहास आपको माफ नहीं करेगा।  आबादी में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के तकरीबन हर जिले में 29 नवंबर को बैंकों केबाहर अपनी ही नकदी निकालने क लिए लंबी लंबी लाइनों में लोगों के सब्र का बांध टूटता नजर आया। कहीं लोगों ने बैंक अधिकारियों पर गुस्सा निकाला तो कहीं पुलिस पर। पर हुक्मरान इन दृश्यों को बिल्कुल नजर अंदाज कर रहे हैं। बिहार के नौगछिया में और यूपी के हमीरपुर में 29 नवंबर को एक एक किसान अपने रुपये के इंतजार में अल्लाह को प्यारे हो गए। पर उनके दर्द से भला किसे सरोकार है। सत्ता का नशा बड़ा खतरनाक होता है। पर उससे भी खतरनाक होता है जब आप सही फीडबैक लेने और सुनने को तैयार नहीं हों।
बैंक की शाखाओं को लोगों को बांटने के लिए पर्याप्त राशि तो दूर उनकी मांग का 10 फीसदी भी नहीं मिल पा रहा है। लेकिन आप झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं कि कहीं कोई नोटों की कमी ही नहीं है। जबकि हर जिले के बैंक के मैनेजर कह रहे हैं कि 40 लाख मांगों तो 4 लाख भी नहीं मिल रहा है। हम पब्लिक को कहां से रुपये दें। गांव की शाखाओं में तो एक एक बैंक को रोज एक दो लाख रुपये भी नहीं मिल रहे हैं। गांव के हालात कितने विकराल उसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी में हर 20 से 25 गांवों के बीच एक बैंक है। लोग कई किलोमीटर चल कर दो से चार हजार रुपये के लिए आते हैं और निराश लौटकर जाते हैं। आपकी तैयारी नहीं है। पर आपको सच बोलने और सच सुनने में शर्म आ रही है। कोई अगर सच्चाई दिखाना चाहता है तो आप उसका मजाक उड़ा रहे हैं। उन लोगों को जो रोज 200 रुपये भी मुश्किल से कमा पाते हैं उन्हें आप मोबाइल एप से रुपये लेन देन करने और कैशलेस इकोनोमी समझा रहे हैं। यह जमीनी सच्चाइयों से बहुत दूर रहने जैसा ही है। पर ऐसे लोगों को वक्त जवाब देगा जरूर...बकौल शायर
आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे, जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज...


कैशलेस इकोनामी बहुत कठिन है डगर पनघट की...
जो मित्र कैशलेस लेनदेन की वकालत करते फिर रहे हैं वे कैशलेस ट्रांजेक्शन में देखें कि चीन और जापान कहां हैं। चीन आबादी में दुनिया का सबसे बड़ा देश काफी नीचे है, क्योंकि टेक्नोलाजी में आगे होने के बावजूद चीन और जापान इसके खतरे जानते हैं। जर्मनी कहां है जहां 73 फीसदी नकदी का चलन है। कैशलेस सिर्फ 100 फीसदी साक्षर और अमीर देशों में चल सकता है। सिंगापुर और स्वीडन तो हमारे देश के एक राज्य के बराबर भी नही हैं। वहीं कैशलेस के अपने खतरे हैं। सारा डाटा चोरी होने का।आपको पता है न पेटीएम में सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन के अलीबाबा समूह की है। अभी कैशलेस की तरफदारी पेटीएम, जीओ मनी, मोबीक्वीक, ओला मनी, एयरटेल मनी जैसी कंपनियां कर रही हैं क्योंकि ऐसे ट्रांजेक्शन में उनकी 1.5 से 4 फीसदी तक दलाली चलेगी।

- विद्युत प्रकाश मौर्य



2 comments:

कविता रावत said...

आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

Vidyut Prakash Maurya said...

धन्यवाद