नोटबंदी
यानी 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के सात दिन गुजर चुके हैं। मैं अपने घर में
चौका बरतन करने वाली को उसकी 10 तारीख को दी जाने वाली तनख्वाह नहीं दे पाया हूं।
उसने कहा है कि जब आपके पास 100 वाले नोट आएं तो दे देना मैं इंतजार कर लूंगी।
उसने पूछने पर बताया कि वह जिन छह घरों में काम करती है कहीं से भी मेहनताना नहीं
मिला है। क्योंकि किसी को भी 100 वाले नोट हासिल नहीं हो सके हैं। एक सज्जन के
यहां तो पैसों का इतनी परेशानी हो गई कि उन्होंने पुराने 500 को नोट दिए जिसे
हमारी कामवाली ने एक आटो वाले के पास ले जाकर पुराने 500 नोट के बदले 400 के 100 वाले नोट लाकर दिए। यानी 20 फीसदी घाटा।
इस तरह के कमीशन पर हर मुहल्ले में लोग नोट बदलवाने पर मजबूर हैं।
नोटबंदी
के सात दिनों बाद मेरे पास भी छोटे नोट बिल्कुल खत्म हो चुके हैं। अब आटो बस का किराया
देने के लिए भी पैसा नहीं बचा। कई दिन से बैंको के एटीएम के आगे लंबी लाइन देख रहा
हूं। हलांकि हमारी कालोनी में हमारे घर के आसपास आठ एटीएम हैं। पर किसी भी एटीएम
में पैसा आने के कुछ घंटे बाद खत्म हो जाता है। लोग पैसे आने के इंतजार में खाली
एटीएम के बाहर लंबी लाइन लगाए रहते हैं। बुधवार 16 नवंबर को बारी बारी से तीन
एटीएम में मैं भी लाइन में लगा पर किसी में भी पैसे निकाल पाने में सफलता नहीं
मिली। जाहिर है इससे निराशा बढ़ रही है। लाइन में लगे लोग बता रहे हैं कि तीन दिन
से वे रुपये पाने की कोशिश में लाइन में लग रहे हैं।
हमारे
घर के पास भोपुरा चौक में केनरा बैंक की शाखा में लोग सुबह 4 बजे पहुंच जाते हैं
लाइन लगाने के लिए हालांकि बैंक की शाखा सुबह 9.30 बजे खुलती है। सुबह 10 बजे से
आए कई लोगों को दोपहर के तीन बजे तक बैंक में प्रवेश पाने में भी सफलता नहीं मिली।
एक
दिन पहले दफ्तर आते हुए शेयरिंग आटो में दो ढलाई करने वाले दिहाड़ी मजदूर मिले।
बोले मालिक 500 रुपये की दिहाड़ी के एवज में 500 रुपये के पुराने
नोट दे रहा है। अब इन पुराने 500 के नोट को दलाल को देकर 400
ले रहा हूं। बच्चों के पेट पालना है इसलिए मजबूरी में ऐसा करना पड़
रहा है। दिन भर नोट बदलने की लाइन में लगा तो अगले दिन की दिहाड़ी कैसे करूंगा।
( 08 नवंबर 2016 को शाम 08 बजे आदरणीय प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 के नोट को बंद
किए जाने का ऐलान किया )
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विद्युत प्रकाश मौर्य
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