Tuesday, 22 November 2016

चौदह दिन बाद दर्द और बढ़ता जा रहा है....

नोटबंदी के 14 दिन गुजर चुके हैं, देश की कराह बढ़ती जा रही है पर हुक्मरान के आंखों पर ऐसा चश्मा चढ़ा हुआ है कि सच देखने और सुनने को तैयार नहीं हैं। बैंक के अधिकारी अपनी ओर से बेहतर करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वे दिन रात एक करके छुट्टियां भूलाकर काम कर रहे हैं। पर नए नोट छप कर अत्यंत धीमी गति से आ रहे हैं।
बैंक बांट रहे हैं पुराने सड़े गले नोट
ऐसे में आरबीआई उन नोटों को बाजार में फिर से जारी कर रहा है जो तकनीकी भाषा में स्पावाएल यानी नष्ट किए जाने के कगार पर पहुंच चुके थे. मौजूदा संकट से निपटने के लिए अपनी उम्र जी चुके 100-100 के नोटों को दुबारा बाजार में झोंका जा रहा है। इन कटे फटे गले नोटों को परफ्यूम लगाकर बैंक करेंसी चेस्ट के जरिए शाखाओं तक भेज रहे हैं। ऐसे नोट दिल्ली के बैंकों से लेकर गांव तक पहुंच गए। वाराणसी के पास प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव जयापुर के यूनियन बैंक आफ इंडिया के शाखा से लोगों को ऐसे नोट बांटे गए। मजबूरी में लोग ऐसे नोट ले भी रहे हैं। जब आजतक के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने बैंक के स्टाफ से इन नोटों के बारे में पूछा तो उसने कहा बाद में बदल देंगे। अरे बाद में मानोगे तब न कि ये नोट तुमने ही दिए थे।

बैंकों के पास नकदी का संकट बरकरार 
जो लोग ये कह रहे हैं कि बैंक की लाइनें छोटी हो रही हैं वे पूरा सच नहीं देख पा रहे हैं।  दिल्ली के दिलशाद गार्डन इलाके में मृगनयनी चौक पर एक साथ छह बैंकों की शाखाएं हैं। वहां हर बैंक में हर रोज लाइन लंबी हो रही है। बैंकों से माइक लगाकर उदघोषणा की जा रही है कि नकदी खत्म हो गई है, पैसा आएगा तब मिलेगा। शहर लेकर गांव तक लोग परेशान हैं। आप उन ग्रामीण क्षेत्रों तक जाकर देख नहीं पा रहे हैं जहां 40 गांव के बीच एक बैंक की शाखा है। लोग कई किलोमीटर चल कर बैंक पहुंच रहे हैं। लंबी लाइनें लगी हैं। और बैंक के बाहर बोर्ड लटका दिया जाता है कि नकदी नहीं है। हमारे एक वरिष्ठ पत्रकार मित्र लिखते हैं कि बैंक के अधिकारी करेंस चेस्ट से 25 लाख मांग करते हैं तो 5 लाख मिल रहे हैं वह भी दो दिनों में। लोगों की जितनी जरूरत है उसका 10 फीसदी पैसा भी नहीं पहुंच पा रहा है। आखिर कैसी तैयारी थी सरकार की।

कालाधन रखने वालों को कठोर सजा दीजिए न...कौन रोकता है...
नोटबंदी का विरोध करने वालों को प्रधानमंत्री कालाधन का साथ देने वालों के साथ खड़ा देख रहे हैं। आप कालाधन खत्म करें इससे भला किसे विरोध है। पर हमारी मेहनत से कमाया हुआ रूपया काला धन कैसे है। जिनके पास कालाधन है वहां बरामदगी करिए न। कुछदिन पहले महाराष्ट्र के भाजपा सरकार के मंत्री देशमुख साहब की गाड़ी से 91 लाख 50 हजार रुपये बरामद हुए थे उनपर क्या कार्रवाई हुई।
राजस्थान के एक भाजपा विधायक ने कैमरे पर बोला था कि नोटबंदी के बारे में अंबानी जी अडाणी जी को छह महीने पहले से मालूम था। इतना बड़ा झूठ बोलने वाले पर का कार्रवाई हुई।
कब रुकेगा मौतों का ये सिलसिला
उधर, नोट बंदी के बाद हताश निराश लोगों के मरने का सिलसिला जारी है. 14 दिन में ये आंकड़ा 70 को पार कर चुका है। देवरिया में स्टेट बैंक में मची भगदड़ में बुजुर्ग रामानाथ कुशवाहा की कुचलकर मौत हो गई। वे देवरिया में भारतीय स्टेट बैंक की तरकुलवां शाखा में सोमवार सुबह रुपये निकालने गए थे।

नोटबंदी के कारण हुई मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हाथरस में तीन दिनों तक सिर्फ 1500 रुपये बदलवाने के लिए 70 साल के सियाराम बैंक की लाइन में लगे रहे लेकिन आखिरकार वे गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। अब सियाराम का बेटा सरकार से इस मौत का हिसाब मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
उधर बंगाल के बर्दवान के कालना में आदिवासी किसान शिबू ने आत्महत्या कर ली। उसने आरोप लगाया कि नोटबंदी के कारण वह मजदूरों को भुगतान नहीं कर पा रहा था। आखिर ये नोटबंदी और कितने बलिदान लेगी। जब तक ये आंकड़ा जाकर ठहरेगा देश आर्थिक और समाजिक मोर्चे पर काफी नुकसान उठा चुका होगा।
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नोटबंदी के कारण जम्मू के सांबा जिले में एक आठ वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के पिता ने कहा कि बैंक में पुराने नोट न बदलने जाने से वह अपने बीमार बच्चे को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा पाया। ( दैनिक जागरण, 22 नवंबर 2016)


1 comment:

kuldeep thakur said...

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 24/11/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।