सन 2016
की नोट क्रांति के दौरान बैंक कीलाइन में लगे लगे वीरगति को प्राप्त
करने वाले लोगों को शहीद का दर्जा मिले। साथ ही मेरी मांग है कि परिवार को 10
लाख रुपये मुआवजा मिले। परिवार के एक सदस्य को बैंक में नौकरी भी मिले।
कुछ लोगों ने हमारी इस मांग पर
सवाल उठाए हैं उनसे मेरा कहना है कि सन 2016 के नोटक्रांति के दौरान परेशानी में मरने वाला हर व्यक्ति शहीद है. यम के
दरबार में सबका हिसाब रखा जा रहा है. ये शहीद आत्माएं अपने सताने वालों से चुन चुन
कर बदला लेंगी. याद रखिएगा। रही बात सीमा पर शहीद होने वालों की तो उनका मैं पूरा
सम्मान करता हूं। पर जो व्यक्ति फौज में भर्ती होने जाता है उसे ये भली प्रकार
मालूम होता है कि गोली सामने से आ सकती है और वह शहीद हो सकता है। यह सब जानते हुए
वह फौज में भर्ती होने जाता है। शहीद होने पर फौजी भाई के परिवार को 35 से 60 लाख
रुपये तक मिल जाते हैं। पर जो लोग नोट की लाइन में लगे हैं, वे अपने ही मेहनत के
कमाए हुए पांच से 10 हजार रुपये निकालने के लिए परेशान हैं। उन्हे नहीं पता कि वे
शहीद हो सकते हैं। उनके अकाल चलाना होते ही उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट
पडता है उनकी मदद के लिए कोई सरकार आगे नहीं आ रही है। क्या यह चिंताजनक बात नहीं
है।
हमारे एक साथी ने सहमति जताते
हुए कहा है क नोट क्रांति में शहीद होने वाले परिवारों को जीवन भर रेल में एसी 2
का मुफ्त सफर का पास भी दिया जाए। ठीक है पर ऐसा पास रेल हादसा में अल्लाह के
प्यारे होने वाले परिवारों को भी मिलना चाहिए।
मैं मांग कर रहा हूं उधर नोट
क्रांत में शहीद होने वालों की संख्या रोज बढ़ती जा रही है। 10 से 25 नवंबर के बीच
80 से ज्यादा लोग शहीद हो चुके हैं। पर सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। हाल में
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के महान विचारक केएन गोविंदाचार्य ने भी कहा कि गोविंदाचार्य
ने कहा कि सरकार ने आर्टिकल 21 (राइट टू
लाइफ) का उल्लघंन किया है, इसलिए पीड़ितों को उचित मुआवजा
देने का कोर्ट निर्देश दें। बीजेपी के पूर्व नेता और संघ विचारक के.एन.
गोविंदाचार्य ने नोटबंदी से हो रही मौतों को लेकर मुख्य न्यायाधीश को चिठ्ठी लिखकर
लैटर पेटीशन को स्वीकार करने की मांग की है। कमसे कम सरकार गोविंद जी के विचारों
को तो गंभीरता से ले।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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