Friday, 2 November 2007

मीडिया प्रशिक्षण की खुली दुकानें

जब से घर-घर में टीवी का प्रसार बढ़ा है समाचार चैनलों की दर्शकीयता बढ़ी है। इसके सात ही एक प्रोफेशन के रुप में पत्रकारिता का भी ग्लैमर बढ़ा है। भारी संख्या में लोग पत्रकारिता को कैरियर के रुप में अपनाना चाहते हैं। वह भी खास तौर पर टीवी पत्रकार बनना चाहते हैं।

 टीवी पत्रकार जो स्क्रीन पर दिखाई देते हैं उन्हें लोग घर-घर में सेलिब्रिटी के रुप में पहचानते हैं। जैसे जैसे मीडिया में रोजगार के मौके बढ़े हैं उसके साथ ही देश में मीडिया प्रशिक्षण के नाम पर संस्थानों की संख्या भी बढ़ी है। यहां तक की अब स्टिंग आपरेशन सीखाने वाले संस्थान भी खुल गए हैं। पर मीडिया कर्मी बनने की तमन्ना रखने वाले को किसी भी संस्थान में नामांकन लेने से पहले काफी सोचविचार कर लेना चाहिए। किसी समय में इलेक्ट्रानिक मीडिया में कैरियर बनाने वाले लोग भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) या एमसीआरसी, जामिया मीलिया इस्लामिया से ही निकलते थे। पर अब सिर्फ दिल्ली में ही टीवी पत्रकारिता सीखाने वाले 250 से ज्यादा संस्थान खुल चुके हैं। इनमें से कई संस्थानों की फीस तो लाखों में है।

 आजतक, जी टीवी जैसे टीवी चैनलों के अपने प्रशिक्षण संस्थान खुल चुके हैं। डिप्लोमा तथा डिग्री प्रदान करने वाले और भी कई दर्जन संस्थान है। जिन छात्रों को किसी अच्छे संस्थान में दाखिला नहीं मिलता वे कहीं से भी पढ़ाई कर लेते हैं। पर सभी संस्थानों में प्रैक्टिकल और थ्योरी की पढ़ाई की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण लोग ठगे भी जाते हैं। इन संस्थानों से हर साल जितनी बड़ी संख्या में ट्रेंड प्रोफेशनल निकल रहे हैं उनमें से 10 फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल पा रहा है। बाकी सभी लोग खुद को ठगा हुआ सा महसूस करते हैं। कई बार वे प्रशिक्षण देने वाले संस्थान से ठगी का शिकार होते हैं तो कई बार उनका आधार एक मीडिया कर्मी बनने लायक मजबूत नहीं होता।

जो लोग मीडिया जगत में कैरियर बनाना चाहते हैं पहले उन्हें खुद ही यह आत्म परीक्षण कर लेना चाहिए कि क्या वे इसके लायक हैं। पहली बात आपकी भाषा पर पकड़ मजबूत हो। समान्य ज्ञान अच्छा हो, साथ ही खबरों की समझ बहुत अच्छी हो। इसके बाद आती है अच्छे संस्थान के चयन की बात। अगर आप प्रशिक्षण प्राप्त करते भी हों तो यह मान कर चलें कि कोई भी संस्थान 100 फीसदी प्लेसमेंट की गारंटी नहीं देता। हां मदद जरूर कर सकता है। पत्रकारिता में कैरियर बनाते समय प्रारंभिक दिन बडे़ संघर्ष के होते हैं। बहुत कम लोगों को तुरंत अच्छा ब्रेक मिल पाता है। कई असफलताओं के बात एक मुकाम मिलता है। उसके बाद मुकाम को बनाए रखने के लिए एक अन्तहीन प्रतिस्पर्धा का दौर है। किसी नए आदमी को इन सारी बातों के लिए तैयार होकर आना चाहिए। किसी भी संस्थान में नामांकन से पूर्व वहां की फैकल्टी तथा वहां दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी जांच परख लेना चाहिए। कई लोग बाद में यह कहते हुए पाए जाते हैं कि वहां नामांकन लेकर हम तो ठगे गए। इसलिए आप ठगे जाने से जरूर बचें।

---- विद्युत प्रकाश मौर्य


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