Monday, 9 February 2009

कैसा हो बॉस का व्यवहार

दफ्तर में बॉस का व्यवहार कैसा हो इस पर ही काफी हद तक दफ्तर के कर्मचारियों की कार्यक्षमा निर्भऱ करती है। इसलिए आजकल मानव संसाधन के तहत बास को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे दफ्तर में अपने मातहत काम करने वाले लोगों के साथ कैसा व्यवहार करें। अगर बास हर बात पर गुस्सा करता हो आंखे चढ़ाता हो तो इसका बुरा प्रभाव उसके अधीन काम करने वाले लोगों पर पड़ता है। इसलिए अब इस बात की जरूरत बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही है कि बास का व्यवहार थोड़ा सा विनोदी होना चाहिए। साथ ही उसे अपने जूनियर लोगों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए।


विनोदी चरित्र - चाहे कितना गंभीर मामला हो उसे बड़े ही आत्मीय और हल्के-फुल्के वातावरण में कहा सुना जा सकता है। इसका सामने वाले पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। एक दार्शनिक ने कहा है कि मनुष्य के लिए विपत्ति का सामना करने के लिए मुस्कान से बढ़कर कोई अस्त्र नहीं है। ऐसे में गंभीर बातों के बीच भी थोड़ी विनोद की फुलझड़ी छोड़ना जरूरी होता है। इससे आपके साथ बैठे लोगों का तनाव कम होता है। लोग ऐसे में अपनी बातें खुलकर रख पाते हैं। इसलिए हमेशा कड़क व्यवहार छोड़कर बॉस को कभी कभी विनोद भी करना चाहिए।
बॉस को भी ट्रेनिंग- अब कई दफ्तरों में बास को भी ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग इस बात की कि वे अपने मुलाजिमों से कैसा व्यवहार करें। आज प्रतिस्पर्धा का दौर है। ऐसे में हर काबिल कर्मचारी के पास कई विकल्प होते हैं। अगर बास का व्यवहार लगातार परेशान करने वाला हो तो कई कर्मचारी नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी ढूंढने में लगे रहते हैं। अगर कई लोग किसी दफ्तर से नौकरी छोड़कर चले जाएं तो इससे उस बास की बदनामी होती है। प्रबंधन की नजर में बास का रिपुटेशन खराब होता है। इसलिए अब हर बास को चिंता करनी चाहिए कि उसका व्यवहार अपने जूनियरों के प्रति अच्छा हो।
छुट्टी देने में आनाकानी- अक्सर बास अपने मुलाजिमों को छुट्टी देने में आनाकानी करते हैं। अगर कोई वाजिब कारण हो तो भी जल्दी छुट्टी पास नहीं करते। इससे कई घाटा होता है। कई बार कर्मचारी झूठ बोलकर छुट्टी लेना चाहता है। कई बार वाजिब काम के लिए छुट्टी नहीं मिलने पर कर्माचारियों में तनाव बढ़ता है। हमने सेना की कई ऐसी खबरें पढ़ी हैं जिसमें सैनिक छुट्टी नहीं मिलने पर अपने साथियों की या अधिकारी ही हत्या कर देता है। इसलिए बास को हमेशा वाजिब कारण होने पर अपने मुलाजिम को छुट्टी दे देनी चाहिए। हां बास को चाहिए कि वह अपने कर्माचारियों को इस बात के लिए जिम्मेवार बनाए कि उसके नहीं रहने पर दफ्तर में कैसे काम चलेगा इसके लिए अपने साथियों को प्रशिक्षित करें।
इंटरैक्टिव प्रोग्राम करें- कई दफ्तरों में सभी कर्मचारियों और बास के बीच अच्छा तालमेल बनाए रखने के लिए इंटरैक्टिव कार्यक्रम कराए जाते हैं। इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके तहत पिकनिक पर ले जाना, अंत्याक्षरी जैसे प्रोग्राम आयोजित करना। बास की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए लंच देना और लंच के दौरान ही दफ्तर की बैठक कर लेना। कर्मचारियों से उनके निजी और परिवार के बारे में जानकारी लेना आदि अच्छे बॉस के लक्षण हैं। कभी कभी हर बॉस को अपने आप से पूछना चाहिए कि क्या वह अपने कर्मचारियों से अच्छा व्यवहार करता है।
-    विद्युत प्रकाश मौर्य



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