बुढ़ापा
यानी रिटायरमेंट कोई रोग नहीं बल्कि यह तो एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत है। अगर आप
नौकरी से रिटायर होने वाले हैं तो कई तरह की योजनाएं बनाइए। कुछ लोग नौकरी से
रिटायर होते ही दु:खी हो जाते हैं कि अब मैं क्या करुंगा। मैं एक 74 साल के आदमी
से मिला। वह एक प्रॉपर्टी डीलर के दफ़्तर पर सहायक की नौकरी कर रहा था। उसने
बताया कि दिन भर बस बैठना पड़ता है उसके एवज़ में कुछ रुपए मिल जाते हैं। इस उम्र
में भी अपने बेटों पर बोझ नहीं हूं साथ ही टाइम भी पास हो जाता है।
असली जिंदगी होती है शुरू - आप यह
मानकर चलें कि असली ज़िन्दगी की शुरुआत साठ के बाद होती है। सबसे पहले तो आप अपनी
पत्नी के साथ घूमने का कार्यक्रम बनाएं। इस क्रम में आप अपने किसी और शहर में काम
कर रहे बेटों के पास जा सकते हैं। आचार्य विनोबा भावे ने रिटायर लोगों के लिए एक
मंत्र दिया था- रिटायर को रि-टायर करो। यानी पुरानी गाड़ी का टायर बदल दो वह तेज़
दौड़ने लगेगी। आप अपने मन से यह विचार निकाल दीजिए कि अब आप बूढ़े हो गए, अब आप क्या कर सकते हैं? आप रिटायर होने के बाद अपने जीवन भर के अनुभवों के आधार पर संभावित
क्षेत्र में सलाहकार का काम कर सकते हैं। इसमें आप अच्छा पैसा कमा सकते हैं,
इसके साथ ही आपकी व्यस्तता भी बनी रहेगी। कई बड़े लेखकों का उत्तम
सृजन उनके साठ के बाद की उम्र में ही हुआ है। वैसे भी भारत में कहावत है साटा सो
पाठा।
साठ के बाद टॉप पर - आप अगर
राजनीति पर नज़र डालें तो अधिकांश राजनीतिज्ञ जो टॉप पर हैं उनकी उम्र साठ को पार
कर चुकी है पर इनकी सक्रियता बनी हुई है। वे चुनाव लड़ते हैं, संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं,
बैठकों में हिस्सा लेते हैं, विदेश यात्राएं
करते हैं। जब राजनीति के लोग सक्रिय हो सकते हैं तो आप क्यों नहीं। अगर आप शिक्षा
के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो ट्यूशन पढ़ाने का काम कर सकते हैं। अगर बैंक से
रिटायर हैं तो वित्तीय सलाह देने का काम कर सकते हैं। आप जहां से ढूंढना चाहेंगे
वहीं से आपको एक राह निकलती हुई नज़र आएगी। कई ऐसे प्रोफेशन हैं जहां रिटायर होने
का कोई मतलब नहीं होता। डॉक्टर, वकील, पत्रकार
अपनी ज़रूरत के हिसाब से लगातार काम जारी रख सकते हैं। हां कुछ ऐसे पेशे हैं जिनसे
लोगों को समस्याएं आती हैं पर वहां भी कोई न कोई विकल्प ढूंढा जा सकता है। अगर
आपको पेंशन मिलती है तो बहुत अच्छी बात है। अगर नहीं मिलती तो भी आप कोई न कोई
रास्ता ढूंढ सकते हैं। इसके लिए आप अपने साथियों से सलाह ले सकते हैं।
नई पीढ़ी को समझें, नए विचारों का सम्मान करें - अक्सर
रिटायर लोगों को अपने बच्चों के साथ समन्वय बैठाने में परेशानी आती है। पर इसको
लेकर आप चिंतित न हों बल्कि अपने बच्चों के साथ मित्रवत् व्यवहार करें। नई पीढ़ी
के पास नवीन विचार होते हैं उनका भी सम्मान करें। अगर ज़रूरत हो तो उन्हें सलाह
दें। वरना तनाव न पालें। हमेशा अपने आप को किसी न किसी बहाने से व्यस्त रखें।
अच्छी किताबों का अध्ययन करें। आपका बुढ़ापा खुशहाल होगा।
-विद्युत
प्रकाश मौर्य
(OLD AGE, PERSON )
2 comments:
The holy place- Varanasi
Nice Post.
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