बाबा आम्टे, सच्चे मामलों में भारत रत्न थे। पूरी जिंदगी उन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा में होम कर दिया। नागपुर के पास चंद्रपुर नामक का एक रेलवे
स्टेशन। भारत के नक्शे में चंद्रपुर कोई खास स्थान नहीं रखता है पर यह जगह बहुत खास
भी है। यहां से थोड़ी दूर पर है। वरोरा जहां बसा है आनंदवन। जी हैं आनंदवन वही जगह
है जिसने हजारों ऐसे लोगों को नया जीवन दिया है जिन्हें समाज के लोग तिरस्कार भरी नजरों
से लोग देखते हैं। हां कुष्ठ जैसी बीमारी....इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के आसपास फटकना भी लोग
नहीं पसंद करते हैं।
पर आनंदवन ने ऐसे तमाम लोगों को एक नया जीवन दिया है। जी हां
हम मंदिर में मंदिर में जाकर अपनी औकात के मुताबिक लाखों करोड़ो दान दे आते हैं,
पांच सितारा होटलों में लाखों उड़ा देते हैं। पर किसी कोढ़ से पीडि़त
व्यक्ति को नफरत भरी निगाह से देखकर मुंह फेर लेते हैं। पर ऐसे पीडि़त लोगों को देखकर
एक व्यक्ति का दिल पसीज आया और उसने पीड़ित मानवता की जीवन भर सेवा करने की ठानी ।
उसने कोढ़ से पीडि़त हजारों लोगों को जीवन में आशा किरण भरी। न सिर्फ उन्हें
बीमारी से ठीक करके नई जिंदगी दी बल्कि उनके लिए पुनर्वास के लिए उनके रोजगार का
इंतजाम भी किया। उस महापुरूष का नाम मुरलीधर देवीदास आम्टे है, जिसे लोग बाबा आम्टे के नाम से जानते हैं।
कुष्ठ रोगियों की सेवा
हजारों कुष्ठ रोगियों की जिंदगी में नई
रोशनी देने वाले बाबा आम्टे ने नौ फरवरी 2008 को 94 साल की उम्र में इस
धरती से विदाई तो ले ली पर उनके द्वारा शुरू किया गया प्रकल्प दुनिया भर के लोगों के
लिए हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। बाबा आम्टे ने जो प्रकल्प आनंदवन में शुरू किया वह
दुनिया भर के ऐसे लोगों के लिए खास तौर पर प्रेरणा देता रहेगा जो दूसरों की किसी
भी रूप में सेवा करना चाहते हैं। बाबा द्वारा स्थापित संस्था महारोगी सेवा समिति
को उनके बड़े बेटे डा. विकास आम्टे देखते हैं और यहां कुष्ठ रोगियों
की सेवा का काम अनवरत चलता ही रहेगा। हम अक्सर तीर्थ यात्राओं पर जाते हैं बड़े बड़े
मंदिर और मस्जिद में जाकर मत्ठा टेकते हैं। पर हमें कभी आनंदवन भी जाना चाहिए जो
सही मायने में ऐसा मंदिर है जो लोगों को सेवा करने की प्रेरणा देता है।
जाने माने फिल्म स्टार नाना पाटेकर ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया के बीच से समय निकालकर आनंदवन जाते रहे हैं और दूसरे लोगों को भी वहां जाने की प्रेरणा देते हैं।
जोड़ो जोड़ो भारत जोड़ो
बाबा आम्टे ने न सिर्फ जीवन भर कुष्ठ रोगियों की सेवा की बल्कि देश भर के करोड़ो नौजवानों को प्रेरणा देने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली। उनका नारा जोडो़-जोड़ो भारत जोड़ो..जाति-पाति के बंधन तोड़ो भारत जोड़ो काफी लोकप्रिय हुआ। भारत जोड़ो यात्रा में शामिल कई लोगों ने इस नारे को जीवन में उतारते हुए दूसरे राज्य और दूसरे बिरादरी से अपने लिए जीवन साथी भी चुना। हालांकि बाबा को बाद में स्पाइनल कोर्ड की हड्डी में शिकायत हो गई थी जिससे वे बैठ नहीं सकते थे।
94 साल तक सक्रिय रहे
बाबा की जीजिविषा जबरदस्त थी 94 साल की उम्र तक वे सक्रिय रहे कभी नर्मदा बचाओ आंदोलन को सपोर्ट किया तो कभी किसी और जन आंदोलन को। बाबा की सेवाओं को महत्व प्रदान करते हुए उन्हें टेंपल्टन अवार्ड दिया गया तो प्राइज मनी की दृष्टि से नोबेल प्राइज से भी बड़ा है। इसके अलावा मैग्सेसे पुरस्कार समेत कई बड़े पुरस्कार भी उनकी झोली में गए। बाबा के जाने के साथ धरती से एक सच्चा मानवतावादी हमसे दूर हो गया है पर बाबा का जीवन हमेशा लाखों करोड़ों लोगों को प्रेरणा देता रहेगा।
जाने माने फिल्म स्टार नाना पाटेकर ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया के बीच से समय निकालकर आनंदवन जाते रहे हैं और दूसरे लोगों को भी वहां जाने की प्रेरणा देते हैं।
जोड़ो जोड़ो भारत जोड़ो
बाबा आम्टे ने न सिर्फ जीवन भर कुष्ठ रोगियों की सेवा की बल्कि देश भर के करोड़ो नौजवानों को प्रेरणा देने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली। उनका नारा जोडो़-जोड़ो भारत जोड़ो..जाति-पाति के बंधन तोड़ो भारत जोड़ो काफी लोकप्रिय हुआ। भारत जोड़ो यात्रा में शामिल कई लोगों ने इस नारे को जीवन में उतारते हुए दूसरे राज्य और दूसरे बिरादरी से अपने लिए जीवन साथी भी चुना। हालांकि बाबा को बाद में स्पाइनल कोर्ड की हड्डी में शिकायत हो गई थी जिससे वे बैठ नहीं सकते थे।
94 साल तक सक्रिय रहे
बाबा की जीजिविषा जबरदस्त थी 94 साल की उम्र तक वे सक्रिय रहे कभी नर्मदा बचाओ आंदोलन को सपोर्ट किया तो कभी किसी और जन आंदोलन को। बाबा की सेवाओं को महत्व प्रदान करते हुए उन्हें टेंपल्टन अवार्ड दिया गया तो प्राइज मनी की दृष्टि से नोबेल प्राइज से भी बड़ा है। इसके अलावा मैग्सेसे पुरस्कार समेत कई बड़े पुरस्कार भी उनकी झोली में गए। बाबा के जाने के साथ धरती से एक सच्चा मानवतावादी हमसे दूर हो गया है पर बाबा का जीवन हमेशा लाखों करोड़ों लोगों को प्रेरणा देता रहेगा।
( बाबा आम्टे 26 दिसंबर 1914 - 9 फरवरी 2008)
बाबा आम्टे द्वारा स्थापित संगठन महारोगी सेवा समिति की वेबसाइट - http://www.anandwan.in/ लोक बिरादरी प्रकल्प हेमलकशा की वेबसाइट -http://lokbiradariprakalp.org/ देख सकते हैं। अगर आप आनंदवन जाना चाहते हैं तो संस्था की वेबसाइट पर जाकर वहां आवास व्यवस्था की बुकिंग करा सकते हैं। आप चाहें तो न्यूनतम दो माह के लिए वालंटियर के तौर पर अपनी सेवाएं भी दे सकते हैं।
बाबा को मिले पुरस्कार सम्मान
- 1971 में भारत सरकार से पद्मश्री
- 1971 में भारत सरकार से पद्मश्री
- 1984 मैग्सेसे अवार्ड
- 1990 टेंपलटन पुरस्कार
- 1986 में पद्मभूषण मिला।
- 1986 में पद्मभूषण मिला।
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