सोना खरीदना और पहनना है भारत के लोगों
का प्रिय शगल है। सदियों से सोना खरीदने पहनने और उसे बुरे दिनों के लिए संभालकर रखने
की भारत के लोगों की मानसिकता है। पर क्या आपको मालूम है कि आपके पास जो सोना है
वास्तव में वह कितना खरा है। क्या आपके खानदानी सुनार ने आपको अगर कोई सोने का
गहना 22 कैरेट का कहकर दिया है तो वास्तव में वह 22 कैरेट ही
है। आप अपनी कमाई का बहुच बड़ा हिस्सा सोना खरीदने पर लगाते हैं तो आपको इसकी
शुद्धता को लेकर जागरुक होना ही चाहिए।
नब्बे फीसदी तक अशुद्ध- आपको यह जानकर अचरज होगा कि सरकार की जांच
में पाया गया है कि जो सोना आप खरीदते हैं वह 90 फीसदी तक अशुद्ध हो सकता है।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया है कि देश के अधिकांश
हिस्सो में ज्वेलरों द्वारा बेचा जाने वाला सोना शुद्धता के पैमाने पर खरा नहीं
उतरता है। कई शहरों में 20 से 30 फीसदी
तो कई शहरों में 90 फीसदी तक सोना अशुद्ध पाया गया है। अगर
आप किसी सुनार से कोई गहना बनवाते हैं तो वह आपको 22 कैरेट
कहकर कोई स्वर्ण आभूषण देता है तो वह कुछ सालों बाद उतनी मात्रा में सोना वापस
लेने की गारंटी देता है। यह गारंटी कोई वास्तविक गारंटी नहीं है। अगर एक सुनार का
बेचा हुआ सोना किसी दूसरे शहर का भी सुनार उतनी ही शुद्धता बताकर खरीद ले तब उसे
ईमानदार सौदा माना जा सकता है। पर अधिकांश सुनार बेइमान का कारोबार सदियों से करते
आ रहे हैं।
कैसी हो सोने की शुद्धता - सोना 24 कैरेट
में अपने शुद्ध फार्म में माना जाता है। पर बिल्कुल शुद्ध सोना में कोई गहना नहीं
बनाया जा सकता है। इसलिए उसमें कुछ फीसदी चांदी, तांबा या
जिंक मिलाया जाता है। इस मिलावट के स्तर को कैरेट में मापते हैं। इसको आम भाषा में
यूं समझा जाए कि किसी चीज को 24 हिस्से में बांट दिया गया तो
अगर इसमें एक हिस्सा मिलावट है तो वह 23 कैरेट का सोना होगा।
अगर इसे फीसदी में देखें तो 95.80 फीसदी शुद्धता होनी चाहिए।
इसी तरह 22 कैरेट की शुद्धता 91.60 फीसदी
होनी चाहिए।
21 कैरेट मे 87.50 फीसदी शुद्धता होनी चाहिए। इसी तरह 18 कैरेट में
75.00 फीसदी शुद्धता यानी इतना हिस्सा सोना होना चाहिए। 14 कैरेट के आभूषण में सोना 58.50 फीसदी और 9 कैरेट मे 37.50 फीसदी सोने का हिस्सा होना चाहिए। इसलिए
जब कभी आप सोना खरीदें तो उसकी शुद्धता के प्रति जरूर आश्वस्त हो लें। नहीं तो आप
22 कैरेट के नाम पर 16 से 17 कैरेट के आभूषण खरीदकर कर बेवकूफ बन सकते हैं।
कैसे मापी जाए शुद्धता- परंपरागत तौर पर सुनार कसौटी पर
सोना को मापते हैं। यह तरीका पूरी तरह मानक नहीं है और इसमें ठगे जाने की भी
संभावना ज्यादा है। अब सोने की जांच के लिए कई नए तरीके आ गए हैं। सबसे लोकप्रिय तरीका
कैरेटोमीटर का है। पर अधिकांश सुनार कैरेटो मीटर नहीं लगाते हैं क्योंकि वे आपको
शुद्ध सोना नहीं बेचना चाहते। अधिकांश सोना खरीदने वाले उपभोक्ताओं को कैरट के बारे
में भी सही जानकारी नहीं होती।
सोने का कारोबार करने वाली टाटा समूह
की कंपनी तानिष्क ने अपने देश भर के शो रूम में कैरेटो मीटर लगा रखा है। वहां आप
कहीं और से भी खरीदे गए सोने की जांच करवा सकते हैं। वहीं आप तानिष्क से खरीदे
जाने वाले सोने की शुद्धता की भी जांच कर सकते हैं। कैरेटो मीटर एक्सरे सिद्धांत
पर काम करता है। यह सोने में मिलावट के स्तर को काफी शुद्धता से पकड़ लेता है।
आप खरा सोना ही खरीदें इसके लिए भारतीय
मानक ब्यूरो ने शुद्ध सोने के ऊपर हालमार्क की व्यवस्था बनाई है। यह व्यवस्था सोने
के खरीद फरोख्त में उपभोक्ता के साथ हो रही ठगी से निजात दिलाने के लिए की गई है।
जैसे खाने पीने की वस्तुओं में एग मार्क की व्यवस्था है उसी तरह सोने की खरीद मे
हालमार्क की व्यवस्था की जा रही है। सोने की हालमार्किंग के लिए देश भर मे लैब की
स्थापना की गई है। वहीं आने वाले समय में तेजी से और भी लैब की स्थापना की जा रही
है। सरकार चाहती है कि देश में 2008 के बाद सिर्फ हालमार्क किया हुआ सोना ही बेचा
जाए। लगभग सभी प्रमुख शहरों में इस तरह की व्यवस्था आने वाले समय में लागू कर दी जाएगी।
इसके लिए सरकार उपभोक्ताओं को बीच जागरुकता अभियान भी चला रही है। उपभोक्ताओं में जागरुकता
को देखते हुए कई बड़े शहरों के ज्वेलरों ने हालमार्क किया हुआ सोना बेचना आरंभ भी कर
दिया है। हालमार्क किया हुआ सोना थोड़ा महंगा हो सकता है पर सस्ते के चक्कर में
अशुद्ध सोना खरीदना समझदारी नहीं है। अगर आप कम कीमत में ही गहने बनवाना चाहते हैं
तो 18 कैरेट या 14 कैरेट में बने गहने
खरीद सकते हैं। यहां तक की आप 9 कैरेट के गहने भी खऱीद सकते
हैं। पर सोना जांच करवाकर ही खऱीदे हैं।
एमएमटीसी लि. - भारत सरकार की संस्था एमएमटीसी लि. सोने का कारोबार करती
है। आमतौर पर विदेशी बाजार से सारा सोना एमएमटीसी के द्वारा ही भारत में आता है।
एमएमटीसी खुद भी हालमार्क ज्वेलरी अपने शो रूम अथवा फ्रेंजाइजी के द्वारा बेचती
है। एमएमटीसी ने सांची नाम से देश के प्रमुख शहरों में अपने शो रूम खोले हैं जहां सोने
व चांदी के आभूषण खरीदे जा सकते हैं। एमएमटीसी के जिम्मे ही देश भर में सोने की शुद्धता
के जांच के लिए हालमार्किंग लैब बनवाने की भी जिम्मेवारी है। इसलिए जब कभी आप सोना
खरीदने की बात करें तो अपने ज्वेलर के हालमार्क की मांग जरूर करें। अगर वह कहता है
कि हालमार्क किया हुआ आभूषण समान्य आभूषण से महंगा आ रहा है तो भी आप हां कहें। जिस
गहने पर हालमार्क लगा हो उस पर हालमार्क का निशान उसकी शुद्धता का प्रतिशत और
निर्माण का साल और निर्माता का कोड नंबर हैंड लेंस की सहायता से देखा जा सकता है।
इसलिए इसको लेकर हमेशा जागरुक रहें।
कितने कैरेट का सोना खरीदें- कोई जरूरी नहीं है कि 23 या 24 कैरेट का सोना ही खरीदा जाए। आप कम मात्रा वाला
भी ले सकते हैं। 23 कैरेट के आभूषण में लगभग 4 फीसदी मिलावट होती है। 24 कैरेट में डिजाइनर आभूषणों
का निर्माण संभव नहीं है। भारत में लोगों में 22 कैरेट का
सोना खरीदने की सर्वाधिक परंपरा है। 22 कैरेट यानी
91.60 फीसदी शुद्धता। पर कोई भी परंपरागत सुनार इतनी शुद्धता नहीं
देता। आप 22 कैरेट के नाम पर 18 से
21 कैरेट का सोना खरीदें इससे तो अच्छा है कि आप सोचसमझकर 18
कैरेट ही खरीदें। इसकी कीमत 22 कैरेट से
15 फीसदी तक कम हो सकती है। वैसे दुनिया के कुछ प्रमुख सोना
विशेषज्ञों का मानना है कि गहने हमेशा 18 कैरेट में ही
बनवाना चाहिए। 18 कैरेट में गहने बनवाना सुविधाजनक है साथ ही
18 कैरेट का गहना 22 कैरेट की तुलना में मजबूत
होता है। इससे टूटने की संभावना कम रहती है यानी यह लंबे समय तक चलेगा। अगर आप
सिर्फ संभालकर रखने के लिए सोना खरीदना चाहते हैं 24 कैरेट का
सोने का सिक्का खरीद सकते हैं। आजकल कई बैंक भी गारंटी के साथ ऐसा सोना बेच रहे
हैं। यह 5 व 10 ग्राम में उपलब्ध है।
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