अगर आप आयकर में राहत चाहते हैं तो पीपीएफ या एनएससी जैसे परंपरागत
साधनों के बजाय म्युचुअल फंड के इएलएसएस ( इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम)के बारे में भी सोच सकते हैं। ये आकर्षक रिटर्न देते हैं। जब आप डाकघर या
बैंक की बचत योजना में निवेश करते हैं तो आपका रुपया आठ साल के लिए ब्लाक हो जाता
है जबकि इक्वीटी में आपका रुपया तीन साल बाद निकाला जा सकता है, यानी यहां तीन साल का लाक इन पीरियड होता है।
डाकघर से बेहतर निवेश- मान लिजिए आप पीपीएफ
खाते में निवेश करते हैं तो आपको आठ फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है। वहीं
राष्ट्रीय बचत पत्र में अधिकतम ब्याज की राशि 8.14 फीसदी तक होती है। साथ ही इसमें
निवेश के तरीके भी सीमित ही हैं। पर आपको म्युचुअल फंड के इक्विटी में निवेश के लिए
तमाम विकल्प मौजूद हैं। अधिकांश म्युचुअल फंड कंपनियों के पास कई टैक्स सेविंग
प्लान मौजूद हैं। आप किसी पुराने प्लान में निवेश कर सकते हैं वहीं आप किसी नए फंड
आफर (एनएफओ) में भी निवेश कर
सकते हैं। एनएफओ में आपको 10 रुपए का यूनिट सम
मूल्य पर ही प्राप्त होता है जबकि पुराने फंडों में आपको यूनिट बाजार मूल्य यानी
नव (नेट एसेट वैल्यू) पर
खरीदना होगा। अक्सर एनएफओ में निवेश फायदे का सौदा साबित होता है। आमतौर पर कोई भी
एनएफओ तीन साल की अवधि में दुगुना या अधिक जरूर हो जाता है। अगर हम इस साल देंखे
तो अगस्त में खुला रिलायंस का टैक्स सेवर फंड अभी 14 रुपए से अधिक का हो गया है। यानी चार महीने में 40 फीसदी की वृद्धि। यहां हम आपको दो लोकप्रिय इएलएसएस का उदाहरण देना
चाहेंगे। फ्रैंकलिन टैक्सशील्ड प्लान जो 1999 में
खुला था आज 122रुपए यूनिट के आसपास है। यानी 90 फीसदी से भी ज्यादा ग्रोथ। इसी तरह बिड़ला का 96 प्लान आज 200 रुपएके करीब पहुंच गया है।
अब इन प्लान की तुलना आप पीपीएफ या एनएससी से करें। किसी व्यक्ति
ने बिड़ला के टैक्स सेवर प्लान में 1996 से लगातार 1000 रुपए मासिक निवेश आरंभ किया होगा तो अभी तक वह 1.30 लाख रुपए निवेश कर चुका होगा। 8 फीसदी
ग्रोथ से यह राशि 3 लाख रुपए के आसपास घूम रही
होगी। जबकि यही राशि बिड़ला सनलाइफ के प्लान में 14 लाख रुपए से ज्यादा हो चुकी होगी।
योजना बद्ध तरीके से करें टैक्स बचत- आप किसी भी वित्तीय
वर्ष में टैक्स के लिए सेविंग की योजना बनाएं मान लिजिए आपको साल में 60 हजार रुपए बचत के लिए निवेश करने की जरूरत है तो आप पांच हजार रुपए मासिक
की दर से हर माह निवेश किया करें। इससे आपको वित्तीय वर्ष के आखिरी महीनों यानी
फरवरी और मार्च में परेशान नहीं होना पड़ेगा जो लोग प्लानिंग नहीं करते उन्हें
अक्सर मार्च महीने का वेतन टैक्स सेविंग और कटौती के बाद शून्य ही प्राप्त होता
है। जब इएलएसएस में बचत की योजना बनाएं तो फंड का चयन सोच समझ कर करें। पुरानी
कहावत है कि सभी अंडों को एक ही टोकरी में नहीं रखना चाहिए ठीक उसी तरह अपने रुपए
को अलग फंडों में लगाएं। मान लिजिए आपके 30 हजार
रुपए हैं तो उन्हे 10 हजार के अलग अलग तीन फंडों
में निवेश करें।
यह मान कर चलें कि म्युचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा
होता है। इसलिए यहां गारंटिड रिटर्न की उम्मीद नहीं है। प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर
भी हो सकता है तो खराब भी। इसलिए आप जोखिम सोच समझ कर ही उठाएं।
- vidyutp@gmail.com
(MONEY, MUTUAL FUNDS )
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