Saturday, 3 April 2010

ब्लू अम्ब्रेला- आत्मा की खुशी के लिए फायदा नुकसान नहीं देखते


इधर छुट्टी के दिन एक शापिंग मॉल में गया वहां तीन फिल्मों की सुपर डीवीडी का पैक मुझे बड़े की रियायती कीमत पर मिल गया। इसमें एक फिल्म थी विशाल भारद्वाज की ब्लू अंब्रेला। 

ये फिल्म इसी नाम पर बच्चों के नामचीन लेखक रस्किन बांड की लिखी कहानी पर आधारित है। फिल्म में पंकज कपूर का शानदार अभिनय है। फिल्म की कहानी एक नीली छतरी के आसपास घूमती है। फिल्म को देखना एक अच्छे उपन्यास को पढने जैसा ही है। फिल्म की पात्र बिनिया (श्रेया शर्मा ) को एक नीली छतरी मिल जाती है, जिस छतरी पर पंकज कपूर की बुरी नजर है। वह छतरी पाने में सफल भी हो जाता है। छतरी को पाने के पीछे उसका तर्क भी बड़ा रोचक है। सुनिए----

बारिश के पानी में नाव दौड़ाने से 

कोई फ़ायदा होता है क्या? 
सूरज को उस पहाड़ी के पीछे डूबते हुए
देखने से कोई फ़ायदा है क्या? 
आत्मा की ख़ुशी के लिए 
फ़ायदा-नुकसान नहीं देखा जाता।’


ब्लू अंब्रेला की पूरी शूटिंग हिमाचल प्रदेश के डलहौजी शहर में हुई है। पूरी फिल्म में फोटोग्राफी बहुत शानदार है। कहानी भी....भले ही फिल्म तारे जमीं पर की तरह हिट नहीं हुई लेकिन फिल्म बार बार देखने लायक है। खास कर बच्चों को दिखाई जा सकती है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य।

4 comments:

M VERMA said...

मैने भी देखी है यह फिल्म. और तो और मै सौभाग्यशाली हूँ कि रस्किन बांड की कहानी पर अधारित 'नीली छतरी' नाटक में जो कि 'जश्ने बचपन मे स्टेज हुआ था मैं भी अभिनय कर चुका हूँ.
आभार

Ashok Pandey said...

सीडी उपलब्‍ध हुई तो यह फिल्‍म जरूर देखेंगे।

DHARMENDRA LAKHWANI said...

Jabardast movie hai, maine bhi dekhi hai.

chauthinazar said...

विद्युत जी पंकज कपूर चरित्र को जीते हैं। आपको पढ़ कर लगा कि मुझे भी देखनी चाहिए लेकिन पटना में सीडी मिली नहीं।

असित नाथ तिवारी