04 दिसंबर 2017 को शशि कपूर नहीं रहे। 79 साल की
उम्र में उन्होने अंतिम सांस ली.
श्रीनगर के डल झील में शिकारा चलाते हुए ...वे गीत गातें ..बागों में जब जब फूल खिलेंगे तब तब हरजाई मिलेंगे... कपूर खानदान में शशि कपूर वास्तव में सदाबहार अभिनेता हैं जिन्होंने न सिर्फ रोमांटिक बल्कि गंभीर अभिनय में भी अपना लोहा मनवाया। कुछ लोगों को अगर उनकी शान और सुहाग जैसी फिल्में याद हों तो जरा उत्सव और नई दिल्ली टाइम्स जैसी फिल्मों को भी याद किजिए।
18 मार्च 2015 को अपना 77वां जन्मदिन मनाने वाले शशि कपूर के घर में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के तौर पर एक बार फिर बड़ी खुशी आई। उन्हें 2014 के लिए ये सम्मान दिए जाने का ऐलान किया गया। हालांकि उम्र के इस पड़ाव में आकर वे काफी अस्वस्थ हो गए हैं। चलने फिरने में दिक्कत है। पर शशि कपूर ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। खास तौर पर वे रुमानी फिल्मों में अपने सदाबहार अभिनय के लिए जाने जाते हैं। अमिताभ बच्चन के साथ आई फिल्म ‘दीवार’ में उनका डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ हिंदी सिनेमा का कभी न भुलाया जाने वाला संवाद बन गया। कपूर खानदान में इससे पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर को 1971 में और राज कपूर को 1987 में यह बड़ा पुरस्कार मिल चुका है।
उम्र में उन्होने अंतिम सांस ली.
श्रीनगर के डल झील में शिकारा चलाते हुए ...वे गीत गातें ..बागों में जब जब फूल खिलेंगे तब तब हरजाई मिलेंगे... कपूर खानदान में शशि कपूर वास्तव में सदाबहार अभिनेता हैं जिन्होंने न सिर्फ रोमांटिक बल्कि गंभीर अभिनय में भी अपना लोहा मनवाया। कुछ लोगों को अगर उनकी शान और सुहाग जैसी फिल्में याद हों तो जरा उत्सव और नई दिल्ली टाइम्स जैसी फिल्मों को भी याद किजिए।
18 मार्च 2015 को अपना 77वां जन्मदिन मनाने वाले शशि कपूर के घर में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के तौर पर एक बार फिर बड़ी खुशी आई। उन्हें 2014 के लिए ये सम्मान दिए जाने का ऐलान किया गया। हालांकि उम्र के इस पड़ाव में आकर वे काफी अस्वस्थ हो गए हैं। चलने फिरने में दिक्कत है। पर शशि कपूर ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। खास तौर पर वे रुमानी फिल्मों में अपने सदाबहार अभिनय के लिए जाने जाते हैं। अमिताभ बच्चन के साथ आई फिल्म ‘दीवार’ में उनका डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ हिंदी सिनेमा का कभी न भुलाया जाने वाला संवाद बन गया। कपूर खानदान में इससे पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर को 1971 में और राज कपूर को 1987 में यह बड़ा पुरस्कार मिल चुका है।
शशि कपूर - जीवन का सफर
18 मार्च 1938 को कोलकाता में
जन्म। असली नाम बलबीर राज कपूर। भाई - शम्मी कपूर और राज कपूर।
1950 में गोडफ्रे कैंडल के थियेटर समूह शेक्सपीयराना
में शामिल हुए। इससे पहले पृथ्वी थियेटर्स में भी अभिनय किया।
1951 में आवारा में बाल कलाकार के तौर पर राजकपूर के
बचपन की भूमिका निभाई।
1958 में मात्र 20 साल की उम्र में
गोडफ्रे की बेटी जेनिफर कैंडल से विवाह किया।
1984 में पत्नी जेनिफर की मृत्यु के बाद शशि कपूर
भावनात्मक तौर पर टूट गए। कुणाल कपूर, करण कपूर शशि के
बेटे और संजना कपूर बेटी हैं।
116 हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं शशि कपूर
जिनमें 61 फिल्मों में एकल हीरो के तौर पर आए।
शशि कपूर की कुछ यादगार भूमिकाएं
मेरे पास मां है.. फिल्म दीवार में शशि कपूर निरुपा राय और अमिताभ बच्चन। |
1961 में सांप्रदायिक दंगों पर आधारित ‘धर्मपुत्र’ में मुख्य भूमिका
निभाई।
1965 में आई ‘जब जब फूल खिले’ उनकी लोकप्रिय रोमांटिक फिल्म थी जिसमें वे
कश्मीरी शिकारा वाले की भूमिका में थे
1975 में ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन के साथ दमदार अभिनय किया
1984 में आई फिल्म ‘उत्सव’ में उन्होंने खलनायक भूमिका निभाई
1998 में आई फिल्म ‘जिन्ना’ उनकी आखिरी फिल्म थी जिसमें वे नजर आए।
शशि ब्रिटिश और हॉलीवुड
फिल्मों में
1963 में ‘हाउसहोल्डर’ नामक अंग्रेजी फिल्म में हीरो के तौर पर आए।
1965 में अंग्रेजी फिल्म ‘शेक्सपीयरवाला’ में
मुख्य भूमिका निभाई
1982 में अपनी पत्नी जेनिफर के साथ अंग्रेजी फिल्म ‘हिट एंड डस्ट’ की। इसके अलावा
बांबे टाकीज (1971), सेमी एंड रोजी गेट लेड (1987), द डेसीवर्स (1988), साइट
स्ट्रीट्स (1998) जैसी विदेशी फिल्मों में काम किया।
बेस्ट एक्टर अवार्ड
1985 में आई पीके प्रोडक्शन की फिल्म ‘न्यू
दिल्ली टाइम्स’ के लिए बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
मिला। इस फिल्म में वे एक पत्रकार की भूमिका में थे।
1994 में आई फिल्म ‘मुहाफिज’ में अभिनय के लिए नेशनल जूरी अवार्ड मिला।
फिल्म सिलसिला के दृश्य में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर |
अपनी प्रोडक्शन
कंपनी
1978 में अपनी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी फिल्म वाला शुरू
की। इस बैनर तले जुनून, कलयुग, 36 चौरंगी लेन, विजेता और उत्सव जैसी उल्लेखनीय फिल्में बनाईं।
दादा साहेब फाल्के
पुरस्कार
1969 में दादा साहेब फाल्के की जन्म शताब्दी वर्ष के
मौके पर भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए पुरस्कार की शुरुआत की गई।
पहला सम्मान अभिनेत्री देविका रानी को मिला।
46 सिनेमा हस्तियों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका
है अब तक।
2013 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार निर्देशक गुलजार
को मिला।
2012 में यह सम्मान अभिनेता प्राण को मिला था।
भारतीय सिनेमा के पितामह
: दादा साहेब फाल्के
भारतीय सिनेमा के
पितामह कहे जाने वाले धुंधीराज फाल्के का जन्म नासिक के पास त्रयंबकेश्वर में 1870 में हुआ था। फोटोग्राफर के तौर पर अपना कैरियर
शुरू करने वाले फाल्के ने 1909
में जर्मनी जाकर सिनेमा का इल्म सीखा। फाल्के ने
पहली हिन्दी फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई जिसका पहला प्रदर्शन 1913 में मुंबई में हुआ था।
2 comments:
बढ़िया जानकारी धन्यवाद
www.gyankablog.blogspot.com
थोड़े से ज्ञान के आधार पर, यह ब्लॉग मैं खुद लिख रहा हूँ, इसे और अच्छा बनाने के लिए तथा अधिकतम पाठकों तक पहुँचाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने वालोंका आभारी रहूँगा।
बहुत अच्छी जानकारी ..
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
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