खालसा कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेमिनार
भारतीय
जन संचार संघ और दौलतराम कालेज
दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर
से एक राष्ट्रीय सेमिनार का
आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय
के खालसा कालेज सभागार में
12
अगस्त
को कराया गया। इस सेमिनार में
देश के अलग अलग राज्यों से 40
से
ज्यादा विद्वानों,
जन
संचार के शिक्षकों और पत्रकारों
ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम
के उदघाटन सत्र में माखनलाल
चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता
विश्वविद्यालय,
भोपाल
के कुलपति प्रो.बीके
कुठियाला,
लोकसभा
के महासचिव पीडी अचारी,
आकाशवाणी
के पूर्व समाचार वाचक कृष्ण
कुमार भार्गव,
महामंडलेश्वर
संत स्वामी मार्तंड पुरी,
प्रो.
कुमद
शर्मा,
दिल्ली
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग
के अध्यक्ष प्रो.
हरिमोहन
शर्मा,
हंसराज
महाविद्यालय की प्रिंसिपल
डा.
रमा
शर्मा,
दौलतराम
कालेज की प्रिंसिपल सविता
राय वरिष्ठ महिला पत्रकार
अपर्णा द्विवेदी ने अपने विचार
रखे।
भारतीय जन संचार संघ के निदेशक प्रो. रामजीलाल जांगिड ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि ईश्वर ने महिलाएं अपनी भूमिका को लेकर रामायण काल से ही सवाल उठाती रही हैं। लक्ष्मण जब सीता को वन में छोड़ने जा रहे थे तब सीता ने भी राम से कई सवाल किए थे। आज मुद्रित माध्यम में महिलाओं की भागीदारी पर सवाल उठना भी लाजिमी है।
भारतीय जन संचार संघ के निदेशक प्रो. रामजीलाल जांगिड ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि ईश्वर ने महिलाएं अपनी भूमिका को लेकर रामायण काल से ही सवाल उठाती रही हैं। लक्ष्मण जब सीता को वन में छोड़ने जा रहे थे तब सीता ने भी राम से कई सवाल किए थे। आज मुद्रित माध्यम में महिलाओं की भागीदारी पर सवाल उठना भी लाजिमी है।
प्रो.
बीके
कुठियाला ने कहा कि विज्ञान
कहता है कि महिलाओं में संकटकाल
में संघर्ष करने की क्षमता
महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा
है। यानी महिलाओं को प्रकृति
ने ही पुरुषों से बेहतर बनाया
है। आज मीडिया में महिलाओं
की भागीदारी बढ़ रही है।
इलेक्ट्रानिक मीडिया में
जहां 40
फीसदी
महिलाएं काम कर रही हैं वहीं
प्रिंट मीडिया में 22
फीसदी
महिलाएं काम कर रही हैं।
वहीं स्वामी मार्तंड पुरी ने कहा कि महिलाएं पुरुषों से हर मामले में श्रेष्ठ हैं। उन्होंने प्रसंगवश जिक्र किया कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लगा रखी है जिसमें हर दस्वावेज में माता का नाम अनिवार्य रूप से लिखे जाने की मांग की गई है। स्वामी मार्तंड पुरी ने कहा कि मां होने जहां सत्य है वहीं पिता का होना एक विश्वास है।
वहीं स्वामी मार्तंड पुरी ने कहा कि महिलाएं पुरुषों से हर मामले में श्रेष्ठ हैं। उन्होंने प्रसंगवश जिक्र किया कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लगा रखी है जिसमें हर दस्वावेज में माता का नाम अनिवार्य रूप से लिखे जाने की मांग की गई है। स्वामी मार्तंड पुरी ने कहा कि मां होने जहां सत्य है वहीं पिता का होना एक विश्वास है।
सेमिनार
में दिल्ली,
हरियाणा,
पंजाब,
चंडीगढ़,
मुंबई,
उत्तर
प्रदेश समेत देश के अलग अलग
हिस्सों से 40
से
अधिक लोगों ने अपने शोध पत्र
प्रस्तुत किए।
भारतीय जन संचार संघ और दौलत राम कालेज का आयोजन
सेमिनार में प्रो.
शिल्पी
झा ने महिलाओं के नाम टीवी और
अखबारों में होने वाली पत्रकारिता
के संदर्भ में कहा कि महिलाओं
के मुद्दे पर सनसनी फैलाने
वाले या फिर उनके प्रति सहानुभूति
जताने वाली पत्रकारिता नहीं
होनी चाहिए। बल्कि पत्रकारिता
को हमेशा सच के साथ रहना चाहिए।अगर
महिला भी अपराधी है तो हमें
वहीं चेहरा दिखाना चाहिए।
इसी क्रम में निभा सिन्हा ने
महिला पत्रिकाओं के संदर्भ
सामग्री का पाठकों की नजरों
से तुलनात्मक विश्लेषण पेश
किया।
विद्युत प्रकाश मौर्य ने अपने शोध पत्र में मुद्रित माध्यम में महिला पत्रकारों की समाचार पत्रों में उच्च पदों पर कम भागीदारी होने पर चिंता जताई। उनके मुताबिक मुद्रित माध्यम में बड़े पदों पर महिलाओं को मौके कम मिलते हैं। जहां मौका मिला है महिलाओं ने बेहतर काम करके अपनी उच्च दक्षता का परिचय दिया है।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. प्रदीप माथुर ने मीडिया में भाषा के गिरते स्तर पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हमें महिला उत्पीडन और बलात्कार जैसे मामलों की खबरों में संवदेनशील होना चाहिए।सेमिनार के दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के गुरमीत सिंह, गुरनानक देव यूनीवर्सिटी अमृतसर की नवजोत ढिल्लन ने अपने शोध पत्रों में ज्वलंत मुद्दों को उठाया।
विद्युत प्रकाश मौर्य ने अपने शोध पत्र में मुद्रित माध्यम में महिला पत्रकारों की समाचार पत्रों में उच्च पदों पर कम भागीदारी होने पर चिंता जताई। उनके मुताबिक मुद्रित माध्यम में बड़े पदों पर महिलाओं को मौके कम मिलते हैं। जहां मौका मिला है महिलाओं ने बेहतर काम करके अपनी उच्च दक्षता का परिचय दिया है।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. प्रदीप माथुर ने मीडिया में भाषा के गिरते स्तर पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हमें महिला उत्पीडन और बलात्कार जैसे मामलों की खबरों में संवदेनशील होना चाहिए।सेमिनार के दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के गुरमीत सिंह, गुरनानक देव यूनीवर्सिटी अमृतसर की नवजोत ढिल्लन ने अपने शोध पत्रों में ज्वलंत मुद्दों को उठाया।
सेमिनार
की संयोजक डा.
साक्षी
चावला थीं,
जबकि
डा.
सीमा
रानी,
डा.
वंदना
त्रिपाठी,
श्रीमती
गीतांजलि कुमार ने आयोजन में
सक्रिय भागीदारी निभाई।
भारतीय जन संचार संघ के अध्यक्ष
डा.रामजीलाल
जांगिड ने बताया कि सेमिनार
में प्रस्तुत सभी शोध पत्रों
को पुस्तक रुप में प्रकाशित
किया जाएगा।
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रिपोर्ट
– माधवी रंजना
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