Saturday 12 December 2015

काशी के संगीत और जयपुर की कला को वैश्विक पहचान मिली

देश के दो प्राचीन शहरों वाराणसी और जयपुर के यूनेस्को के क्रिएटिव नेटवर्क शहरों की सूची में शामिल होने से यहां की संगीत परंपरा और कला शिल्प को वैश्विक पहचान मिली है। भारत के दो शहरों को पहली इस सूची में जगह मिलने से न सिर्फ इन शहरों पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि इससे सांस्कृति आदान-प्रदान को भी नया आयाम मिलेगा।
वाराणसी और संगीत
वाराणसी की संगीत परंपरा बहुत पुरानी है। शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना जहां प्रसिद्ध है वहीं पूरबी अंग की ठुमरी के लिए काशी की पहचान है। गौहर जान, गोदई महाराज, किशन महराज, पंडित ओंकारनाथ ठाकुर, गिरिजा देवी, छन्नू लाल मिश्र, राजन साजन मिश्र से लेकर मालिनी अवस्थी तक तमाम प्रतिष्ठित नाम हैं जिन्होंने काशी की संगीत संगीत परंपरा को मजबूत बनाया है। आज भी बनारस की गलियां सुर और साज प्रतिध्वनित होता रहता है। अब उसे यूनेस्को से एक प्रमाण पत्र मिल गया है।
जयपुर का शिल्प
गुलाबी शहर के नाम से विख्यात जयपुर की पहचान उसकी कला शिल्प के लिए भी है। सवाई जयसिंह के जमाने में जयपुर ने मूर्तिकारों को शरण दिया और जयपुर की मूर्तिकला आज विश्व प्रसिद्ध है। शहर के खजानेवालों का रास्ता में बड़ी संख्या में मूर्तिकार रहते हैं जिन्होंने शहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। कला शिल्प को बढ़ावा देने के लिए शहर में जवाहर कला केंद्र की स्थापना की गई है। इसके अलावा जयपुर शहर की पहचान हस्तशिल्प और लोकरंग के लिए भी है।

सूची में शामिल होने से लाभ
- सृजनशीलता और सांस्कृतिक परंपरा से जुड़े उद्योगों को नई पहचान मिलेगी।
- सांस्कृतिक जीवन से जुड़े कार्यक्रम में सहभागिता का मौका मिलेगा
- शहरी विकास योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी
- अंतराष्ट्रीय मंचों पर सांसकृतिक आदान प्रदान का बेहतर मौका मिलेगा।

सात श्रेणियों का है मानदंड
यूनेस्को की टीम हर साल अपनी बैठक में शहरों की समीक्षा करती है। शहरों के विशिष्ट गुण और उनकी परंपराओं का अध्ययन किया जाता है। सात तरह के मापदंड हैं - संगीत, फिल्म, कलाशिल्प, पाककला, डिजाइन, साहित्य और मीडिया आर्टस जिनके आधार पर नए शहरों को इस सूची में शामिल किया जाता है।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क
69 शहर अभी तक शामिल थे क्रिएटिव शहरों की सूची में
2015 में भारत के दो शहरों के साथ कुल 47 शहर और जोड़े गए
22 देश ऐसे हैं नई सूची में जिनके शहरों को पहली बार जोड़ा गया है।
2016 के सितंबर में अगली बैठक में नए शहरों को लेकर समीक्षा होगी
32 स्थल शामिल हैं भारत के यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों की सूची में

विश्व विरासत शहर में भारतीय शहर नहीं
1993 में गठित यूनेस्को से संबद्ध संस्था आर्गनाइजेशन ऑफ वल्र्ड हेरिटेज सिटीज(ओडब्लूएचसी) विश्व विरासत के शहरों की सूची तैयार करता है।

250 शहरों को अब तक शामिल किया गया है विश्व विरासत शहरों की सूची में इस सूची में, पर भारत किसी शहर को जगह नहीं मिली है। जबकि नेपाल के भक्तापुर, काठमांडू और ललितपुर इस सूची में हैं। भारत से राजधानी दिल्ली के पुराने हिस्से शाहजहानाबाद ( दीवारों से घिर शहर) और तेलंगाना के वारंगल की दावेदारी इस सूची के लिए रही है। पर ये कई कारणों से शामिल नहीं किए जा सके। विश्व विरासत शहरों के मेयर को एक सालाना फीस देनी होती है। हर दो साल पर इन शहरों के मेयरों का सम्मेलन भी आयोजित होता है।




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