यात्राएं
करना जितना आह्लादकारी होता है, यात्रा साहित्य पढ़ने का सुख भी उससे कुछ कम नहीं।
जहां आप जा नहीं पाते वहां लेखक के साथ यात्रा कर रहे होते हैं। हाल में मैंने एक
नई पुस्तक पढ़ी – गंगा तीरे। इसके लेखक हैं वरिष्ठ पत्रकार अमरेंद्र कुमार राय।
पुस्तक की शुरुआत उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से होती है, जहां लेखक का बचपन गुजरा
है। गंगा के तट पर ग्रामीण परिवेश में बड़े होते हुए लेखक ने गंगा के बारे में उन
तमाम पहलुओं से परिचित कराया है जिससे शहरी लोग तो बिल्कुल अनजान होंगे।
पर
गंगा तीरे पुस्तक की खास बात यह है कि पुस्तक गंगा के उदगम स्थल गौमुख से लेकर
गंगा के सागर में मिलने तक की 2525 किलोमीटर की यात्रा पर प्रकाश डालती है। वह
गंगा के सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष ही नहीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और
पर्यावरण के पक्ष को भी गंभीरता से छूती है।
पुस्तक
में गाजीपुर में गंगा की धारा और उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव पर
गंभीरता से प्रकाश डालती है। पर पुस्तक का सबसे मजबूत पक्ष है इसका गंगोत्री पक्ष।
लेखन गंगोत्री में अपने लंबे प्रवास के दौरान गंगा के उदगम स्थल से जुड़े कई
पहलुओं पर प्रकाश डाला है।
स्वामी
सुंदरानंद जी का आश्रम का परिवेश, गंगोत्री से गौमुख तक की यात्रा का प्रसंग काफी
रोचक और जानकारी परक है। गंगोत्री में रहने वाले साधुओं के जीवन को लेखक ने काफी
निकटता से देखा है। साधुओं से जुड़े तमाम ऐसे प्रसंग हैं जिनके बारे में हम बहुत
कम जानते हैं।
हालांकि
पुस्तक में गाजीपुर से आगे फरक्का, गंगासागर तक के गंगा के बारे में ज्यादा
विस्तार नहीं है। पर गंगा पर केंद्रित यह एक अनमोल पुस्तक है। यात्रा वृतांत में
रुचि रखने वाले, पर्यावरण अध्ययन करने वाले और पानी के की कहानी पर ज्यादा कुछ
जानने की इच्छा रखने वालों को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।
पुस्तक
– गंगा तीरे
लेखक
अमरेंद्र कुमार राय
प्रकाशक
–नेशनल बुक ट्रस्ट
मूल्य
– 150 रुपये ( बुक क्लब का सदस्य होने पर 20 फीसदी छूट मिलेगी )
-
विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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