विनम्र कपूर ने सूचित किया है कि उनके दादा डॉक्टर बद्रीनाथ कपूर का 21 जनवरी 2021 को 89 साल की अवस्था में निधन हो गया है। वाराणसी में सन 1994-95 के दौर में हिंदी प्रचारक संस्थान में काम करते हुए मेरी डॉक्टर बद्रीनाथ कपूर से कई मुलाकातें थीं। उनके घर जाकर उनका साक्षात्कार करने का भी मौका मिला था।
डॉक्टर बद्रीनाथ कपूर जन्म 16 सितंबर 1932 को अकालगढ़, जिला - गुजरांवाला में (अब पाकिस्तान) में हुआ था। वे देश आजाद होने के बाद मुश्किल परिस्थियों में 14 साल का उम्र में अकेले गुजरांवाला से अमृतसर, दिल्ली होते हुए वाराणसी पहुंचे। माता पिता की हत्या हो चुकी थी। वाराणसी में मामा रामचंद्र वर्मा के सानिध्य में पढ़ाई शुरू की। वे हरिश्चंद्र कॉलेज के छात्र रहे। उन्होंने एमए और पीएचडी तक शिक्षा प्राप्त की ।
डॉ. कपूर ने अपना सारा जीवन हिंदी भाषा, व्याकरण और कोश प्रणयन के क्षेत्र में लगा दिया। डॉक्टर कपूर 1956 से 1965 तक हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा प्रकाशित ‘मानक हिंदी कोश’ पर सहायक सम्पादक के रूप में काम करते रहे। डॉ. कपूर ने आचार्य रामचंद्र वर्मा के तीन महत्त्वपूर्ण कोशों का संशोधन-परिवर्द्धन कर उनकी स्मृति और अवदान को अक्षुण्ण बनाए रखने का स्थायी महत्त्व का कार्य किया है।
कोश कला के आचार्य रामचंद्र वर्मा के सुयोग्य शिष्य डॉक्टर बदरीनाथ कपूर हिंदी की शब्द सामर्थ्य को प्रकट और प्रतिष्ठापित करने के अनुष्ठान में बड़ा योगदान रहा। उनकी 32 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुईं। इनसे अधिकांश शब्दकोश, तीन जीवनियां और पांच अनुवाद ग्रंथ हैं।
बाद में जापान सरकार के आमंत्रण पर टोक्यो विश्वविद्यालय में 1983 से 1986 तक अतिथि प्रोफेसर के रूप में सेवा प्रदान की।
प्रकाशन : प्रभात बृहत् अंग्रेजी-हिंदी कोश, प्रभात व्यावहारिक अंग्रेजी-हिंदी कोश, प्रभात व्यावहारिक हिंदी-अंग्रेजी कोश, प्रभात विद्यार्थी हिंदी-अंग्रेजी कोश, प्रभात विद्यार्थी अंग्रेजी-हिंदी कोश, बेसिक हिंदी, हिंदी पर्यायों का भाषागत अध्ययन, वैज्ञानिक परिभाषा कोश, आजकल की हिंदी, अंग्रेजी-हिंदी पर्यायवाची कोश, शब्द-परिवार कोश, हिंदी अक्षरी, लोकभारती मुहावरा कोश, परिष्कृत हिंदी व्याकरण, सहज हिंदी व्याकरण, नूतन पर्यायवाची कोश, लिपि वर्तनी और भाषा, हिंदी व्याकरण की सरल पद्धति, आधुनिक हिंदी प्रयोग कोश, बृहत् अंग्रेजी-हिंदी कोश, व्यावहारिक अंग्रेजी-हिंदी कोश, मुहावरा तथा लोकोक्ति कोश, व्याकरण- मंजूषा, हिंदी प्रयोग कोश आदि।
सम्मान और अलंकरण : डॉक्टर कपूर की अनेक पुस्तकें उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कार मिला। 2019 में उन्हें उत्तर प्रदेश शासन ने हिंदी गौरव सम्मान मिला। इससे पूर्व उन्हें ‘श्री अन्नपूर्णानन्द वर्मा अलंकरण’ 1997, ‘सौहार्द सम्मान’ 1997, ‘काशी रत्न’ 1998, ‘महामना मदनमोहन मालवीय सम्मान’ 1999 एवं ‘विद्या भूषण सम्मान’ 2000 मिल चुके हैं।