अभी हाल में मुझे एक पुस्तक पढ़ने को मिली - मूरतें माटी और सोने की... पुस्तक के लेखक हिंदी के जाने माने आलोचक नंद किशोर नवल हैं। अपने जीवन का लंबा समय पटना में गुजारने वाले नवल जी का मूल ग्राम वैशाली जिले का चांदपुरा था। संयोग से मेरा भी बचपन वैशाली जिले में गुजरा है। पुस्तक का शुरुआती हिस्सा उनके गांव और बचपन के पात्रों से होकर गुजरता है जो किसी उपन्यास सदृश प्रतीत होता है। वे अपने बचपन के मित्र सिद्धिनाथ मिश्र को पुस्तक में बार बार याद करते हैं। उन्ही सिद्धिनाथ मिश्र से जिनसे मैं हाजीपुर की सड़कों पर बार बार मिलता था, पर तब मैं उनकी महानता और साहित्य में गहरी अभिरूचि के बारे में नहीं जानता था।
पुस्तक के आगे अध्याय में बाबा नागार्जुन, डॉक्टर रामविलास शर्मा, त्रिलोचन शास्त्री , प्रोफेसर नलिन विलोचन शर्मा और डॉक्टर नामवर सिंह के बारे में लेखक के संस्मरण हैं। ये सभी संस्मरण अनमोल हैं। इनमें ऐसी जानकारियां और लेखकों के व्यक्तित्व के ऐसे पहलुओं के बारे में लिखा गया है जो कोई बहुत करीबी ही जानता होगा। इन तमाम प्रसंगों को लेखक ने सुंदर शब्दों में पिरोया है। हर हिंदी के अध्येता के लिए ये ज्ञान बढ़ाने वाली पुस्तक है। बीच बीच में पुस्तक में कई और साहित्यिक पात्रों से भी आपका मिलना होता है। लेखक और आलोचक नंद किशोर नवल का 13 मई 2020 को पटना में 83 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। यह संभवतः उनकी अंतिम पुस्तक होगी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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पुस्तक - मूरतें - माटी और सोने की
लेखक - नंद किशोर नवल
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन , 2017, मूल्य - 495 रु. हार्ड बाउंड
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