जी हां हो सकता है आप अगली बार जब आप अपने बैंक जाएं तो वहां चौकीदार के अलावा आपको कोभी भी नहीं मिले और आप अपने सारे काम निपटा कर बड़ी आसानी से बाहर आ जाएं। दुनिया के तमाम बड़े बैंक इस व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं जब बैंक बिना स्टाफ के होंगे। अभी यह काम एक श्रेणी तक लागू हो गया है। जैसे आप एटीएम से पैसे निकाल लेते हैं, जमा करा भी देते हैं, अपना मिनी स्टेटमेंट, स्टाप पेमेंट, चेकबुक के लिए आग्रह जैसे काम आप बैंक से करवा लेते हैं।
एटीएम ने बैंकों का काम काफी हद तक आसान तो किया है, इससे स्टाफ पर निर्भरता कम हुई है। पर अब बैंक इससे आगे की भी सोच रहे हैं। देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया अब इस ओर काम कर रहा है कि न सिर्फ मिनी स्टेटमेंट बल्कि पासबुक अपडेट करने का भी काम बैंक एटीएम में ही हो जाए। इससे बैंक के स्टाफ पर और भी बोझ कम हो जाएगा। साथ ही लोगों को सुविधा भी हो जाएगी। बैंक हर काम को एक बिजनेस की तरह देखती है इसलिए वह टेक्नलॉजी का लाभ लेने में बाकी विभागों से आगे रहती है। जैसे बैंक अपना मकान बनाने के बजाए किराये के दफ्तर में शाखा खोलने को प्राथमिकता देती है। क्योंकि जितनी पूंजी से वह मकान बनाएगी उससे वह बिजनेस करना बेहतर समझती है।
ठीक इसी तरह अगर बैंक का एक स्टाफ जितने ग्राहकों को एक दिन में निपटाता है उसकी तुलना में एटीएम ज्यादा लोगों को निपटा देता है। साथ ही एटीएम से 24 घंटे काम कराए जा सकते हैं। इसलिए अब सभी बैंक एटीएम के ज्यादा से ज्यादा उपयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं। पर अब बैंक एटीएम तक ही नहीं रूकना चाहते हैं बल्कि आफिस आटोमेशन पर भी ध्यान दे रहे हैं। भारत में एक्सिस बैंक ने कई शाखाओं में चेक जमा करने और उसके लिए रसीद प्राप्त करने के लिए ओटोमटिक मशीनें लगा दी है। इससे भी एक स्टाफ की बचत हो रही है।
अब कई बैंक नए तरह का मिनी एटीएम लेकर आने वाले हैं। यह मशीन जहां रूपये को गिन सकेगी वहीं नकली और कटे-फटे नोटों को पहचान कर अलग कर सकेगी। कई बैंक बायोमेट्रिक एटीएम भी लगाने लगे हैं। ऐसे एटीएम आपकी उंगली के निशान से सही ग्राहक की पहचान कर सकेंगे। सही ग्राहक के पहचान के बाद मशीन आगे का काम शुरू कर देगी।
आगे ऐसी मशीनें भी आने वाली हैं जो सिर्फ नकदी नहीं बल्कि सिक्के भी जमा कर सकेगी। नए तरह की ये एटीएम मशीने आकार में छोटी हैं जो जगह की बचत करती हैं, साथ ही बैंक का काम भी आसान करती हैं। खाली समय में ये एटीएम मशीनें विज्ञापन भी जारी करती हैं। यानी इनका स्क्रीन किसी एडवरटाइजमेंट कियोस्क की तरह काम करता रहता है।
बैंक मकानो के बढ़ते किराये और स्टाफ के बढ़ते वेतनमान के कारण टेक्नोलॉजी को अपना कर अपना खर्च करने की जुगत लगाने में लगे हुए हैं। एक ग्राहक के बहुत सारे काम मशीन से हो जाते हैं तो ग्राहक काफी खुश रहता है क्योंकि इससे समय की बचत होती है। बैंकों ने इस नई व्यवस्था को लॉबी बैंकिंग का नाम दिया है। भारत का सर्वोच्च बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी चाहता है कि ग्राहकों की सुविधा बढ़ाने के लिए सभी बैंक टेक्नोलॉजी को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं।
- vidyutp@gmail.com
एटीएम ने बैंकों का काम काफी हद तक आसान तो किया है, इससे स्टाफ पर निर्भरता कम हुई है। पर अब बैंक इससे आगे की भी सोच रहे हैं। देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया अब इस ओर काम कर रहा है कि न सिर्फ मिनी स्टेटमेंट बल्कि पासबुक अपडेट करने का भी काम बैंक एटीएम में ही हो जाए। इससे बैंक के स्टाफ पर और भी बोझ कम हो जाएगा। साथ ही लोगों को सुविधा भी हो जाएगी। बैंक हर काम को एक बिजनेस की तरह देखती है इसलिए वह टेक्नलॉजी का लाभ लेने में बाकी विभागों से आगे रहती है। जैसे बैंक अपना मकान बनाने के बजाए किराये के दफ्तर में शाखा खोलने को प्राथमिकता देती है। क्योंकि जितनी पूंजी से वह मकान बनाएगी उससे वह बिजनेस करना बेहतर समझती है।
ठीक इसी तरह अगर बैंक का एक स्टाफ जितने ग्राहकों को एक दिन में निपटाता है उसकी तुलना में एटीएम ज्यादा लोगों को निपटा देता है। साथ ही एटीएम से 24 घंटे काम कराए जा सकते हैं। इसलिए अब सभी बैंक एटीएम के ज्यादा से ज्यादा उपयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं। पर अब बैंक एटीएम तक ही नहीं रूकना चाहते हैं बल्कि आफिस आटोमेशन पर भी ध्यान दे रहे हैं। भारत में एक्सिस बैंक ने कई शाखाओं में चेक जमा करने और उसके लिए रसीद प्राप्त करने के लिए ओटोमटिक मशीनें लगा दी है। इससे भी एक स्टाफ की बचत हो रही है।
अब कई बैंक नए तरह का मिनी एटीएम लेकर आने वाले हैं। यह मशीन जहां रूपये को गिन सकेगी वहीं नकली और कटे-फटे नोटों को पहचान कर अलग कर सकेगी। कई बैंक बायोमेट्रिक एटीएम भी लगाने लगे हैं। ऐसे एटीएम आपकी उंगली के निशान से सही ग्राहक की पहचान कर सकेंगे। सही ग्राहक के पहचान के बाद मशीन आगे का काम शुरू कर देगी।
आगे ऐसी मशीनें भी आने वाली हैं जो सिर्फ नकदी नहीं बल्कि सिक्के भी जमा कर सकेगी। नए तरह की ये एटीएम मशीने आकार में छोटी हैं जो जगह की बचत करती हैं, साथ ही बैंक का काम भी आसान करती हैं। खाली समय में ये एटीएम मशीनें विज्ञापन भी जारी करती हैं। यानी इनका स्क्रीन किसी एडवरटाइजमेंट कियोस्क की तरह काम करता रहता है।
बैंक मकानो के बढ़ते किराये और स्टाफ के बढ़ते वेतनमान के कारण टेक्नोलॉजी को अपना कर अपना खर्च करने की जुगत लगाने में लगे हुए हैं। एक ग्राहक के बहुत सारे काम मशीन से हो जाते हैं तो ग्राहक काफी खुश रहता है क्योंकि इससे समय की बचत होती है। बैंकों ने इस नई व्यवस्था को लॉबी बैंकिंग का नाम दिया है। भारत का सर्वोच्च बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी चाहता है कि ग्राहकों की सुविधा बढ़ाने के लिए सभी बैंक टेक्नोलॉजी को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं।
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