Saturday 31 December 2011

साल 2011 ने जिन्हे हमसे छीन लिया..

सबको एक दिन इस दुनिया से एक दिन कूच कर जाना है, पर कुछ लोगों का जाना उदास कर जाता है। कुछ लोगों की जाने के बाद हमेशा याद आती है। यह समय है जो हर साल कुछ लोगों को हमेशा छीन लेता है। साल 2011 ने भी कुछ लोगों को हमसे जुदा कर दिया। 

सबसे पहले बात बालीवुड की -
 1. देवानंद – तीन दिसंबर को लंदन में बालीवुड के सदाबहार अभिनेता देवानंद ने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। पर उनका संदेश हमेशा याद आएगा- मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया....
2. भूपेन हजारिका – ( पांच नंवबर ) बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे
जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्हें दक्षिण एशिया के
श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने
कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" सुना वह इससे इनकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला।

3. जगजीत सिंह – 10 अक्टूबर को गजल की मखमली आवाज नहीं रही। देश भर में लाखों फैन उनके जाने से निराश हैं। 
4. शम्मी कपूर – 14 अगस्त। फिल्म जंगली का गीत याहू काफी लोकप्रिय हुआ। हर उम्र के लोगों के पसंदीदा एक्टर रहे। 
5. नवीन निश्चल – 19 मार्च को टीवी और फिल्मों के जाने माने कलाकार नवीन निश्चल का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 65 साल के थे।  निश्चल अपने करीबी मित्र रंधीर कपूर के साथ पुणे रवाना हुए थे। वह
अभी मध्य मुंबई ही पहुंचे थे कि निश्चल को दिल का दौरा पड़ा। उन्हें पास
के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया। 
6. जगमोहन मूंदड़ा – ( 5 सितंबर 2011 ) फिल्मकार जगमोहन मूंदड़ा का निधन हो गया। वह 62 वर्ष के थे। मूंदड़ा ने 'बवंडर' एवं 'प्रोवोक्ड' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था।
7. मणि कौल – 6 जुलाई 2011 फिल्म निर्माता और लेखक

8. बालेश्वर यादव - भोजपुरी गायक - 9 जनवरी 2011, बालेश्वर के गीत बड़े लोकप्रिय हुए और भोजपुरी जन मानस पर व्यापक प्रभावकारी रहे। एलपी रिकार्ड के जमाने में बालेश्वर के रिकार्ड खूब बिकते और बजते थे।
9. मंसूर अली खान पटौदी- महान क्रिकेटर और टीम इंडिया के कैप्टन रहे
मंसूर अली खान पटौदी अक्टूबर में हमे छोडकर चले गए। उन्होने बालीवुड की अपने समय की सबसे खूबसूरत हीरोइन शर्मिला टैगोर से शादी की थी। पटौदी के बेटे सैफ अली खान और सोहा अली भी फिल्मों में हैं।


10.सत्यदेव दूबे ( 25 दिसंबर ) - मशहूर रंगमंच निर्देशक, अभिनेता और पटकथा लेखक सत्यदेव दुबे का रविवार को मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सत्यदेव दूबे का जन्म हुआ था।  
11. मकबूल फिदा हुसैन  ( 9 जून ) को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1973 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। महाराष्ट्र के पंढ़रपुर में 17 सितंबर 1915 को जन्मे हुसैन का 9 जून 2011 को लंदन में निधन हुआ.
साहित्य पत्रकारिता
1. जानकी वल्लभ शास्त्री ( मुजफ्फरपुर , बिहार ) हिंदी संस्कृत के
प्रकांड विद्वान जानकी वल्लभ शास्त्री 8 अप्रैल 2011 को नहीं रहे।
उन्होने लंबा और स्वस्थ जीवन जीया।
2. डा. फजलुर रहमान हाशमी - 21जुलाई साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भवानंदपुर निवासी डा. फजलुर रहमान हाशमी का निधन। साल 2002 में हाशमी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

3. अतुल सवानी - गुजराती लेखक - नहीं रहे - 10 नवंबर को मशहूर प्रगतिशील गुजराती लेखक और समाजसेवी अतुल सवानी का रूस की राजधानी मास्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे।
4. श्री लाल शुक्ल ( 28 अक्टूबर ) साहित्यकार – राग  दरबारी से चर्चित।
श्रीलाल शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश में सन् 1925 में हुआ था तथा उनकी
प्रारम्भिक और उच्च शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। उनका पहला
प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 मे पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया ।

 5. डाक्टर कुमार विमल – ( 26 नवंबर ) पटना में हिंदी के जाने माने आलोचक का निधन
6. इंदिरा गोस्वामी ( गुवाहाटी 29 नवंबर)  - असमिया की साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता।
7. अतुल माहेश्वरी – (3 जनवरी, पत्रकार)  अतुल जी 55 साल के थे। बावजूद इसके उनका 37 वर्षों का मीडिया का गहरा अनुभव उन्हें एक अलग ही श्रेणी में लाकर खड़ा करता है।  राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट अतुल माहेश्वरी ने अमर उजाला को नई ऊंचाई तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मीडिया इंडस्ट्री के गुर अपने पिता और अमर उजाला के संस्थापक स्वर्गीय श्री मुरारीलाल माहेश्वरी से बरेली में सीखा। इसके बाद वे 1986 में मेरठ संस्करण स्थापित करने के लिए मेरठ चले गए। उन्होंने अमर उजाला पब्लिकेशन का चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दिल्ली के अलावा अन्य शहरों में भी विस्तार किया। श्री अतुल माहेश्वरी मीडिया इंडस्ट्री से संबद्ध अन्य संस्थानों से भी जुड़े थे और साथ ही वैश्विक मीडिया इंडस्ट्री पर गहरी पकड़ रखते थे।

8. घनश्याम पंकज, ( 24 जनवरी ) – पत्रकार। दिनमान टाइम्स, स्वतंत्र भारत समेत कई अखबारों के संपादक रहे। बड़ी संख्या में नए पत्रकारों को ब्रेक दिया था। बेटे कबीर कौशिक फिल्म निर्माता हैं।
9. राम दयाल मुंडा - 1 अक्टूबर को रांची में निधन।  पद्म श्री से
सम्मानित और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य तथा झारखंड के संस्कृति वाहक डा. रामदयाल मुंडा का आज लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया।
10. मारियो मिरांडा – ( 12 दिसंबर, कार्टूनिस्ट ) जिंदगी के विभिन्न
रंगों को अपने कैनवास पर जीवंतता के साथ उकरने वाले चर्चित कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा अपनी जिंदगी के कैनवास से ओझल हो गए। लम्बी बीमारी के बाद मिरांडा कागोवा के लौटोलिम स्थित 300 वर्ष पुराने उनके पैतृक  घर में निधन हो गया।

10. सत्य साईं बाबा - 24 अप्रैल - पुट्टपर्थी के सत्य साईं
बाबा के का निधन। साईं बाबा के देश विदेश में करोड़ो भक्त हैं।
11. महेंद्र सिंह टिकैत-  के किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत का निधन - 15 मई 2011...किसी जमाने में यूपी की राजनीति में टिकैत की तूती बोलती थी।
12. 25 नवंबर 2011 - किशनजी ( कोटेश्रर राव ) माओवादी नेता को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया।

13. एस बंगारप्पा  ( 26 दिसंबर ) कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा का सोमवार तड़के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार थे । उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। 79 वर्षीय बंगारप्पा के परिवार में उनकी पत्नी दो बेटे तथा तीन बेटियां हैं । गुर्दे संबंधी बीमारी और मधुमेह से पीड़ित बंगारप्पा का सात दिसंबर से इलाज चल रहा था। 
विदेश
1. ओसामा बिन लादेन – लादेन को पाकिस्तान में अमेरिका सेना ने मार
गिराया। अमेरिका के लिए बड़ी सफलता।

2. कर्नल मुअम्मर गद्दाफी- लीबीया के तानाशाह - कर्नल मुअम्मर गद्दाफी को विद्रोहियो ने मार डाला। गद्दाफी ने लंबे समय तक शासन किया।
 3. किम जोंग इल – उत्तर कोरिया के तानाशाह शासनाध्यक्ष का निधन 20 दिसंबर को 69 साल की उम्र में हो गया। लादेन, गद्दाफी, और किम की मौत अमेरिका के लिए बहुत फायदेमंद रही। क्योंकि तीनों ही अमेरिका के लिए खतरा थे।
4 स्टीव जॉब्स  ( 5 अक्टूबर ) एप्पल के संस्थापक। एक ऐसा सख्श जिसका दुनिया को बदलने में बड़ा योगादन रहा। - स्टीवन पॉल "स्टीव" जाब्स एक अमेरिकी बिजनेस टाईकून और आविष्कारक थे। वे एप्पल इंक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। अगस्त २०११ में उन्होने इस पद से त्यागपत्र दे दिया। जाब्स पिक्सर एनीमेशन स्टूडियोज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे। सन 2006 में वह दी वाल्ट डिज्नी कम्पनी के निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे, जिसके बाद डिज्नी ने पिक्सर का अधिग्रहण कर लिया था। 1995 में आई फिल्म टॉय स्टोरी में उन्होंने बतौर कार्यकारी निर्माता काम किया।


5. नुसरत भुट्टो - 24 अक्टूबर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार
अली भुट्टो की पत्नी एवं पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की मां नुसरत
भुट्टो का लंबी बीमारी के बाद दुबई में निधन ।

6. हरगोविंद खुरानाभारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक, हालांकि कि खुराना विदेश में रहते थे। भारत की नागरिकता छोड़ दी थी लेकिन उनका विज्ञान जगत को योगदान हमेश याद किया जाएगा।
7. श्वेतलाना – स्टालिन की बेटी। नवंबर की एक सुबह गुमनाम मौत। भारत में कलाकांकर के राजा ब्रजेश सिंह से किया था तीसरा विवाह। पति की मौत के बाद भारत आई थीं लेकिन भारत सरकार ने शरण नहीं दी थी। तब समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने ये मुद्दा संसद में उठाया था। उन्होंने श्वेतलाना को भारत की बेटी कहते हुए उसे भारत में शरण देने की मांग की थी। लेकिन तब रूस के नाराज होने के कूटनीतिक कारणों से भारत सरकार ने श्वेतलाना को पनाह नहीं दी थी। अब 2011 की एक सुबह श्वेतलाना ने 85 साल की उम्र में चुपके से दुनिया को अलविदा कह दिया।

- जाते हुए साल को अलविदा...

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