कुछ लोग कह रहे थे कि असंभव...ऐसा तो हो ही नहीं सकता....भला आज के जमाने में एक लाख रूपये में कार कैसे आ सकती है। फिलहाल आटो रिक्सा की कीमत सवा लाख रूपए आ रही है। टाटा समूह इतने ही रूपए में अपनी नई नैनो कार आफर कर रहा है। रतन टाटा का यह सपना था एक सवा लाख रूपये में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए कार सौंपने का। 2008 में उन्होंने यह सपना पूरा कर दिखाया है। भारत के वाहन बाजार में यह मारूति के बाद दूसरी बड़ी क्रांति है। मारूति कार का सपना संजय गांधी ने देखा था। संजय गांधी छोटा परिवार सुखी परिवार के हिमायती थे। हम दो हमारे दो के अनुरूप बनी थी मारूति कार। 1982 में मारुति कार आई तो उसकी कीमत सिर्फ 49 हजार रूपये थी। यानी वह तब एंबेस्डर और फियेट जैसी कारों से सस्ती थी। छोटी कार थी छोटा परिवार सुखी परिवार के लिए बनी थी। जब इंदिरा गांधी इस कार को बाजार में लांच किया तो वे भावुक हो गईं थी। उन्हें अपने बेटे संजय की याद आई जिसने यह सपना देखा था आम आदमी को कार सौंपने का। तब मारूति को जापान की कंपनी सूजुकी के सहयोग से बनाया गया था। लोग आरोप लगाते हैं मारूति बाद में महंगी होती गई और आम आदमी से दूर होती गई। पर ऐसा नहीं है। मारूति तब भी एक बाइक से पांच गुनी महंगी थी आज भी एक बाइक से पांच गुनी महंगी है। मारूति ने मध्यम वर्ग को एक विकल्प दिया। मारूति के बारे में भी तब ये कहा जा रहा था कि ये कार भारतीय बाजारों में सफल नहीं होगी पर ऐसा हुआ नहीं। मारूति सफल भी है और उसका सेकेंड हैंड बाजार भी बहुत अच्छा है। किसी भी कार या बाइक की सफलता का एक बड़ा पैमाना उसकी सेकेंड हैंड मार्केट में वैल्यू भी होती है। इस मामले में भी मारूति बहुत सफल है। अब टाटा की नई कार बाजार में दस्तक देने वाली है तो आलोचकों को यही डर सता रहा है कि यह बाजार में सफल नहीं होगी या ट्रैफिक के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जाएगी। पर उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है।
भारतीय सडकों पर सफल होगी- टाटा की नैनो भी भारतीय सड़कों पर सफल होगी। उसकी लांचिंग से पहले गहराई से शोध किया गया है। उसे भारतीय सड़कों पर चला कर देखा गया है। वह प्रदूषण मानकों पर भी खरी है और कार के बाजार में यूरो -4 और भारत3 जैसे मानकों पर भी खरी उतरती है। जब कोई नई कार या बाइक लांच होती है तो बाजार में ग्राहकों की प्रतिक्रिया के बाद उसमें लगातार सुधार भी होते रहते हैं। वैसे भी नैनो कार को टाटा जैसी कंपनी ने पेश किया है जिसका आटोमोबाइल क्षेत्र में लंबा अनुभव है। ट्रक से लेकर कार के विभिन्न माडल बनाने का। इसलिए लोगों को निराश नहीं होना चाहिए।
रतन टाटा का सपना था- खुद रतन टाटा हवाई जहाज उड़ाने के शौकीन हैं देश के बड़े अमीर हैं। पर टाटा समूह पिछले एक दशक से हर सेक्टर में आम आदमी और मध्यम वर्ग के अनुरूप प्रोडक्ट लांच करने में लगी है। भले ही एक लाख की कार से रतन टाटा का भावनात्मक लगाव है। बताया जाता है कि वे ऐसे वर्ग के लिए एक कार सौंपना चाहते थे जो बाइक या आटो रिक्सा से शिप्ट करके कार में सवारी कर सकें। बाइक आपको हवा और धूप से नहीं बचा पाती पर नैनो आपको गरमी और बरसात में सड़कों पर हवा और धूप से बचाएगी। इसलिए नैनो से मध्यम वर्ग का एक बहुत बड़ा सपना साकार होने वाला है, अपनी कार में बैठकर सवारी करने का।
सस्ती कार बेचने में कोई घाटा नहीं....
ऐसा नहीं है कि वे एक लाख में नैनो कार को घाटे में बेचने जा रहे हैं। हां यह जरूर है इसमें मुनाफा कम होगा। यह बाजार का नियम है जब भी प्रतिस्पर्धा बढ़ती है तो मुनाफे में कमी लानी पड़ती है। अगर आप पिछले आठ साल में बाइक के बाजार पर ही नजर डालें तो फोर स्ट्रोक की बाइक में आठ साल में कीमतोंे में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। उल्टे कीमतों में कमी आई है। हालांकि स्टील और अन्य इन्फ्रास्ट्कर्चर वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है। इसके बाद भी अगर बाइक की कीमतों में कमी आई है तो उसका एक बड़ा कारण बाजार में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा है। आज फोर स्ट्रोक बाइक के बाजार में हीरो होंडा को मुकाबला देने के लिए बजाज, टीवीएस, यामहा और खुद होंडा जैसी कंपनियां इसलिए फोर स्ट्रोक बाइक कीमतें घट रही हैं और लोगों को आसान किस्तों पर बाइक मिल पा रहा है। इसके बावजूद फोर स्ट्रोक बाइक बनाने वाली कंपनियों का मुनाफा बढ़ता जा रहा है। इसका साफ मतलब है कि कार और बाइक कंपनियां बहुत बड़ा मुनाफा और अच्छा खासा डीलर मार्जिन भी रखती हैं। कार के बाजार में भी कई कंप्टिटर आने पर मारूति को अपना मुनाफा कम करना पड़ सकता है, कीमतें कम करनी पड़ सकती हैं। फिलहाल देखें तो मारूति-800 के सिगमेंट में उसका कोई मजबूत कंप्टिटर नहीं है। फिलहाल पहली बार कार खरीदने वाले मारूति की ओर रूख करते हैं। अगर उन्हें उससे कम कीमत में ज्यादा माइलेज देने वाली नैनो कार मिलेगी तो वे जाहिर है नैनो को खरीदना चाहेंगे। कार के बाजार में बाइक की तरह कुछ और
कंप्टिटर आ जाएं तो कार की कीमतें भी भारत में बहुत कम हो सकती हैं। कार बाजार से जुड़े
लोगों का मानना है कि अगर लागत की बात करें तो नई मारूति कार भी कंपनी को सिर्फ 75 हजार रुपये की
पड़ती है। बाकी सब कीमतें में मुनाफा, डीलर मार्जिन और टैक्स
आदि शामिल हैं। ऐसी हालात में सवा लाख रूपये में कार बेचना कोई बड़ी बात नहीं है।
अगर नैनो ने बाजार पर ठीक से कब्जा जमा लिया को मारूति 800 को
भी अपनी कीमतें कम करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। अगर वह अपनी कीमतें नहीं भी
घटाए तो फ्री में बीमा, रजिस्ट्रेशन, फ्री
सर्विसिंग कूपन, फ्री में पेट्रोल जैसे आफर देकर ग्राहकों को
लुभा सकती है।
अगर हम सेकेंड बाजार की ओर नजर डालें
तो नैनो के आने की आहट भर से ही सेकेंड हैंड कार बाजार में कीमतें गिरने लगी हैं। दिसंबर
में चार साल पुरानी मारूति 800 कार दिल्ली के सेकेंड हैंड बाजार में एक लाख में
बिक रही थी उसकी कीमत 20 हजार रुपये नैनो की लांचिंग के साथ ही
गिर गई है। जो लोग एक लाख में पुरानी कार लेने की सोच रहे थे वे अब एक लाख में नई
नैनो लेने की बात सोचने लगे हैं। ऐसे में सितंबर से जब नैनो कार बाजार में आ जाएगी
तब सेकेंड हैंड मारूति कार की कीमतें और भी गिर जाने की उम्मीद है।
वैसे मारूति उद्योग के चेयरमैन रहे
जगदीश खट्टर भी नैनो की आलोचना नहीं करते। उन्हें लगता है कि कार और बाइक के बीच एक
बहुत बड़ी खाई है जिसे नैनो पाट सकती है। इंट्री लेवेल पर एक बाइक 30 से 35 हजार में आती है जबकि मारूति कार दो लाख से ज्यादा की पड़ती है। ऐसे में सवा
से डेढ़ लाख में नई कार मिलेगी तो करोड़ों लोगों के आशाओं और उम्मीदों को पंख लग सकते
हैं।
-विद्युत प्रकाश मौर्य
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