दिल्ली में आजकल बीआरटी
कारीडोर को लेकर हंगामा मचा हुआ है। तेज गति से बसें चलाने के लिए खास कारीडोर
सरकार ने बनवा तो दिया है पर लोग हंगामा कर रहे हैं कि यह कारीडोर लोगों के लिए परेशानी
का सबब बन रहा है। यह सही है परेशानी तो हो रही है। पर सरकार भी क्या करे वह मजबूर
है। बढ़ती आबादी के बोझ के मुताबिक उसे नए इंतजाम करने पड़ते हैं। दिल्ली में
आबादी का बोझ जितना बढ़ गया है, उसके के हिसाब से तेज गति से सफर करने वाली
सड़कों का निर्माण जरूरी होता जा रहा है। अब अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपका
घर उत्तरी दिल्ली के किसी मुहल्ले में है और आपकी नौकरी या बिजनेस दक्षिणी दिल्ली
के किसी बाजार में है तो आपका रोज आने जाने में ही छह सात घंटे खत्म हो जाते हैं।
बढ़ती आबादी का बोझ - दिल्ली की आबादी
सवा करोड़ को पार कर चुकी है। अगर इसमें आसपास के महानगरों को भी शामिल कर लें तो
यह आबादी डेढ़ करोड़ के भी उपर जा चुकी है। अब परिवहन और अन्य जरूरतें आने वाले 20 साल की
योजना के अनुरूप जुटानी पड़ती है। ऐसे में दिल्ली को तेज गति वाली सड़कें और रेलगाड़ियां
चाहिए। तभी रोज करोड़ों को लोगों को मंजिल तक पहुंचाया जा सकेगा। मेट्रो रेल के चल
जाने से लोगों की सुविधाएं बढ़ी हैं। अब मेट्रो से 25 से
30 किलोमीटर की दूरी 30 से 40 मिनट में तय की जा सकती है। पहले बसों से यही सफर करने में तीन घंटे तक लग
जाते थे। अब सरकार कुछ प्रमुख सड़कों पर भी तेज गति से चलने वाली बसें चलाना चाहती
है। इसमें व्यवहार में कोई बुराई नहीं दिखाई देती। पर बीआरटी कारीडोर के ट्राएल में
सरकार को असफलता मिली है। पर उम्मीद है कि उसकी समस्या दूर कर ली जाएंगी और लोगों
को मेट्रो के बाद बसों में भी तेज गति से सफर करने का मौका मिल सकेगा।
ब्लूलाइन का दुखद सफर- अगर हम दिल्ली के
बसों सफर पर नजर डालें तो दिल्ली की ब्लू लाइन बसों में चलना किसी दुखद सपने जैसा
है कि वह भी गरमी के दिनों में। अब सरकार इस प्रयास में लगी है कि दिल्ली में बसों
के सफर को भी आरामदेह बनाया जाए। इसी क्रम में लो फ्लोर बसें चलाई गई हैं। जिन रूट
पर नई लो फ्लोर बसें चल रही हैं। उनमें चलने वाले लोगों का अनुभव बड़ा अच्छा है।
अभी तक दिल्ली में मुंबई या हैदराबाद की तरह लोकल ट्रांसपोर्ट के लिए लक्जरी बसें
या फिर एसी बसें नहीं चलाई गई हैं।
आरामदेह बसें चाहिए- अब दिल्ली सरकार
एसी बसें लाने की बात कर रही है। सिर्फ एसी बसें ही नहीं बल्कि लंबी दूरी के लिए
सुपर फास्ट सेवाएँ भी चलानी चाहिए। जैसे दिल्ली में जो प्वाइंट 20 किलोमीटर
या उससे ज्यादा की दूरी पर हैं उनके बीच तेज गति वाली बसें चलनी चाहिए। इस क्रम
में ग्रीन लाइन और ह्वाइट लाइन बसें चलाई गई थीं। पर उनमें समान्य बसों से कुछ खास
अंतर नहीं था।
लंबी यात्रा करने वालों को
वातानुकूलित
(एसी) और आरामदेह बसें मिलनी चाहिए। इससे कार
में सफर करने के बजाए लोगों बसों में सफर करना पसंद करेंगे। भीड़भाड़ वाले इलाकों में
छोटी बसें भी चलाई जा सकती हैं जिसस लोगों को हर थोड़ी देर पर बसें मिल सकें। साथ
ही लंबे दूरी की यात्रा में लगने वाले समय में भी कमी आएगी। इससे महानगरों में
तेजी से बढ़ रही चार पहिया वाहनों की संख्या पर भी रोक लगाई जा सकेगी।
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