Sunday, 15 April 2012

ये ब्रांड का दौर है....हाट बाजार पर खतरा

अब किसी महानगर में जब बाजार को जाएं तो सब कुछ आप किसी ब्रांडेड शाप से खरीद सकते हैं। हो सकता है आने वाले दिनों में महानगरों से हाट बाजार जैसी चीजें विलुप्त हो जाएं। जी हां अब आप आलू प्यार माचिस और चटनी बनाने के लिए धनिया का पत्ता सब कुछ किसी वातानुकूलित मॉल से खरीद सकते हैं।

मजे की बात कि वहां से आप एक रुपये का सामान भी खरीद सकते हैं। यानी की परंपरागत सब्जी बाजार जिसे उत्तर भारत में हाट या दक्षिण में रायतु बाजार बोलते हैं इस पर बड़े उद्योगपतियों का तेजी से कब्जा हो रहा है। इससे बाजार की तस्वीर तेजी से बदल रही है। अब जब आप सब्जी खरीदने जाते हैं तो बाजार की भीड़भाड़ गंदगी से आपको निजात मिलती है।

वातानुकूलित चमचमती रिलायंस की दुकान रिलायंस फ्रेश पर आपका स्वागत किया जाता है और आप हर प्रकार की सब्जियां और फल अपनी मर्जी के वजन से खरीद सकते हैं। यहां परंपरागत हाट की तरह मोलजोल करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आपके पास रुपए नहीं हैं तो आप भुगतान क्रेडिट कार्ड से भी कर सकते हैं। माल का स्टाफ आपका सामान आपकी कार तक ले जाकर रख आएगा। 

रिलायंस फ्रेश की शुरआत हैदराबाद से हुई पर उसने अब देश की राजधानी दिल्ली में दस्तक दे दी है। हैदराबाद शहर में तो सिर्फ रिलायंस ही नहीं कई और ब्रांडेड शाप शहर के हर हिस्से में खुल चुके हैं जो बाजार के लगभग हर हिस्से पर कब्जा जमा चुके हैं। यहां दक्षिण की सबसे पुरानी त्रिनेत्रा डिपार्मेंटल स्टोर की चेन है जो अब आदित्य विक्रम बिड़ला समूह का हिस्सा बन चुकी है।

वहीं शुभिक्षा, फूड लैंड, हेरिटेज, फूड लैंड जैसे स्टोरों की चेन हर जगह खुल चुकी है। यहां दवाएं, घरेलू राशन और सब्जियां तथा क्राकरी आदि सब कुछ उपलब्ध है। बिग बाजार और स्पेंसर की तुलना में इनकी उपस्थिति महानगर के बाहर इलाकों और विकसित हो रही कालोनियों में भी है।

लोगों का एक बड़ा वर्ग इनसे शापिंग कर रहा है। ये दुकानें जहां अपने नियमित ग्राहकों को लायल्टी प्वाइंट प्रदान करती हैं वहीं किसी ने मुफ्त में स्वास्थ्य बीमा देने का आफर भी आरंभ किया है। विभिन्न प्रकार के सामन को कम कीमत पर बेजने के लेकर इनके बीच एक प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिल रही है। जाहिर है कि इसका फायदा ग्राहकों को ही मिलता है। परंपरागत किराना के दुकानदारों के लिए इन बड़े ब्रांडेड स्टोरों के सामने टिकपाना मुश्किल हो रहा है। वहीं अब सब्जी के हाट में जाने वाले ग्राहक भी बड़े रिटेल स्टोरों के चेन की ओर ही रुख कर रहे हैं। महानगरों में किराने की दुकान चलाने वाले कई दुकानों की रोजाना की सेल में गिरावट आने लगी है वहीं उनमें से कई अपना शटर गिराने की भी सोचने लगे हैं।

अगर हम किराना के दुकानों के मामले में देखें तो इस तरह की खरीददारी में ग्राहकों को लाभ है क्योंकि उसे कई तरह के सामान पहले की तुलना में सस्ती दरों पर मिल रहे हैं। वहीं बड़े रिटेल स्टोर ग्राहकों को कई बड़े सामान के साथ छोटे सामान मुफ्त का भी आफर मिलता रहता है। फिर भी ग्राहकों को किसी रिटेल चेन से सामान खरीदने से पहले दूसरे रिटेल स्टोर से दरों की तुलना करते रहना चाहिए। वहीं हमेशा किसी एक स्टोर से खरीददारी करने के बजाए कभी कभी दूसरे स्टोर में जाकर वहां के दरों की भी तुलना करते रहना चाहिए। कई बार अलग अलग स्टोरों में एक ही सामान के रेट में अंतर हो सकता है। इसलिए यहां से आंखें बंद करके खरीददारी करना उचित नहीं है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य  ( साल 2007 ) 



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