देश में सिर्फ मसजिद और पीरों
की मजार ही नहीं कई बड़े प्रसिद्ध मंदिर भी हैं जहां महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी
लगाई गई है। कई मंदिरों में तो ये पाबंदी सैकड़ो साल से चली आ रही है। इस पाबंदी
के पीछे अलग अलग किस्म के तर्क हैं।
2011 में लगी
हाजी अली में महिलाओं पर पाबंदी
पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद
में मुंबई के वरली समुद्र तट पर एक छोटे से टापू पर हाजी अली दरगाह स्थित है। देश
दुनिया से मुस्लिम और बड़ी संख्या में हिन्दू श्रद्धालु यहां जियारत करने आते हैं।
1431 में सूफी संत की याद में
इस दरगाह की स्थापना की गई थी। हाजी अली उजबेकिस्तान के बुखारा से भारत पहुंचे थे।
4500 वर्ग मीटर में विस्तार
है दरगाह का, 85 फीट ऊंची है मीनार।
2011 में ट्रस्ट ने हाजी अली
के दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई।
2012 में भारतीय मुस्लिम
महिला आंदोलन ने इसके खिलाफ अदालत में अर्जी लगाई
5.30 बजे सुबह से रात्रि 10 बजे
तक है जियारत का समय
- यहां रोक नहीं है
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (
अजमेर) और कलियर शरीफ ( रुड़की) में
महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। यह दोनों बड़ी दरगाह हैं।
- दरगाह आला हजरत (बरेली) और
खानकाह-ए-नियाजिया में महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं है।
- यहां रोक है
- हजरत निजामुद्दीन
(दिल्ली) और सरहिंद शरीफ (पंजाब) में
मुस्लिम महिलाओं के दरगाह में जाने पर रोक है।
- महिलाओं के कब्रिस्तान में
जाने पर भी रोक है।
- फिलहाल सभी दरगाहों में
महिलाओं के चादरपोशी करने से रोका जाता है।
- दिल्ली जामा मस्जिद में
मगरिब की नमाज के बाद महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।
इन मंदिरों में भी प्रवेश नहीं
मिलता
1. अय्यपा स्वामी मंदिर ( सबरीमाला,
केरल) में 10 से 50 साल की महिलाओं के
प्रवेश पर रोक है। माना जाता है कि इस उम्र की महिलाएं रजस्वला होती हैं।
2. बारपेटा सत्र ( असम) में
महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी कई सदियों से है। राज्य के बाकी वैष्णव मंदिरों में
रोक नहीं। बारपेटा में कई बार आंदोलन भी हुए पर मंदिर प्रबंधन महिलाओं को प्रवेश
देना परंपरा के खिलाफ मानता है। बारपेटा में इतिहास के प्रोफेसर हेम बहादुर क्षेत्री
बताते हैं कि असम में महिला संगठनों का आंदोलन कमजोर है। यहां भी बारपेटा सत्र
मठ-मंदिर में प्रवेश के लिए बड़ा आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है।
3. मवाली माता मंदिर (धमतरी,
छत्तीसगढ़) में तर्क दिया जाता है कि माता कुंआरी हैं इसलिए महिलाओं
के दर्शन पर रोक है।
4. कार्तिकेय मंदिर (पिहोवा,
कुरुक्षेत्र)- सदियों से प्रवेश वर्जित है। इस मंदिर में प्रवेश
करने पर विधवा होने का शाप मिलता है। मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर साफ लिखा है कि
महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
5. जगन्नाथ मंदिर (पुरी,
ओडिशा) परिसर में बिमला खांडा शक्तिपीठ में महिलाओं को प्रवेश नहीं
मिलता। इसके पीछे तर्क है कि महिलाएं खुद शक्ति का रूप हैं इसलिए वे मंदिर में
नहीं आ सकतीं।
6. बिहार के नालंदा जिले के
पावापुरी के पास आशापुरी मंदिर में महिलाओं केप्रवेश पर नवरात्र के समय पाबंदी
रहती है। यह परंपरा भी इस मंदिर में सदियों से चली आ रही है।
इन मंदिरों में नहीं जा सकते
पुरुष
राजस्थान के पुष्कर तीर्थ में
रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्मा जी की पत्नी देवी सावित्री का मंदिर हैं। इस मंदिर
में केवल महिलाएं जा सकती हैं और माता की गोद भराई करती हैं। आंध्रप्रदेश के विशाखापटनम
में कामख्या देवी मंदिर है यहां सिर्फ महिलाएं जाती हैं और यहां की पुजारी भी
महिला ही हैं। उत्तर प्रदेश चंदौली जिले के शहर सकलडीहा में लगभग 120
साल प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण संत श्रीपथ की स्मृति
में करवाया गया था। कहते हैं की इस मंदिर में पुरूष प्रवेश पर रोक है।
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