Saturday, 26 August 2017

राजधर्म निभाने में असफल रहे मनोहर लाल

25 अगस्त 2017 के दिन पंचकूला शहर रक्तरंजित हो गया। इस पूरे प्रकरण में सरकारी मशीनरी पूरी तरफ फेल रही। मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपना राजधर्म निभाने में बुरी तरह असफल रहे।

 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। हरियाणा पंजाब, यूपी, दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा हुई। पर इन सबके लिए जिम्मेवार कौन है। पंचकूला में कई दिन पहले से गुरमीत राम रहीम के समर्थक जुटने लगे थे। मीडिया में खबरें आ रही थीं कि वे लोग ईंट, पत्थर, लाठी पेट्रोल आदि जुटा रहे हैं। उनका लक्ष्य साफ था कि अगर उनके गुरु के खिलाफ फैसला आयातो हिंसा फैलाएंगे। तमाम समर्थक ये बातें मीडिया से कह भी रहे थे। तब सरकार ने इससे निपटने की तैयारी नहीं की। अच्छा होता कि पंचकूला शहर की कई दिन पहले नाकेबंदी कर दी गई होती। पंचकूला आने वाले सारे रास्तों को बंद कर दिया गया होता तो हालात इतने बुरे नहीं होते।

पर ये सरकार के खुफिया विभाग की असफलता भर नहीं है। राज्य सरकार की राजनीतिक तौर पर भी असफलता है। राज्य सरकार के एक मंत्री का ये कहना कि लोग एक एक करके आ रहे हैं तो हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं। बड़ा गैर जिम्मेवाराना बयान था। इतना ही नहीं वे ही मंत्री राम रहीम के डेरे में कभी चंदा देने भी गए थे। इसे वे अपना निजी मामला मानते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक डेढ लाख डेरा समर्थक पंचकूला पहुंच गए थे। उनके खाने पीने आदि का इंतजार कहां से कैसे हो रहा था पर इस राज्य प्रशासन की नजर नहीं थी क्या..


 इसी राम रहीम ने 2015 के विधान सभा चुनाव में अपने समर्थकों से भाजपा को वोट देने की अपील की थी। पर ये सारे लोग जानते हैं कि इस धर्मगुरू पर कई गंभीर मुकदमे चल रहे हैं। बलात्कार, हत्या और लोगों को नपुंसक बनाने जैसे संगीन मामले चल रहे हैं। एक टीवी चैनल पर उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायधीश कह रहे थे कि ये कैसा धर्म गुरू है जो अपने भक्तों शांति बनाए रखने की अपील गंभीरता से नहीं कर रहा है। 25 अगस्त के फैसले के बाद हुई हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों की मौत के लिए जिम्मेवार कौन है। निश्चय ही राज्य सरकार को इस असफलता के लिए जिम्मेवार ठहराया जाना चाहिए। जाट आरक्षण आंदोलन के बाद यह राज्य सरकार की दूसरी बड़ी प्रशासनिक विफलता है। 
केंद्र सरकार को तुरंत राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। अगर केंद्र सरकार इन सबके बावजूद मनोहर लाल को क्लीन चीट देती है तो पार्टी के हित में काफी हानिकारक होगा। पहले जाट आंदोलन फिर रामपाल की गिरफ्तारी का मामला हो या फिर अब राम रहीम प्रकरण मनोहर लाल अपनी विश्वनीयता खो चुके हैं। 
ताकि सनद रहे - राम रहीम के आश्रम में रामविलास शर्मा । 


शर्म की बात है कि उनके मंत्रिमंडल में रामविलाश शर्मा जैसे शिक्षा मंत्री हैं जो इसी 16 अगस्त को राम रामहीम के आश्रम में जाकर 51 लाख का दान देकर आए थे और चरणों में लोट कर दंडवत प्रणाम किया था।


गुरमीत राम रहीम डेरा के प्रवक्ता आदित्य इंसा ने 24 तारीख टीवी पर कहा था कि 5 से 7 लाख संगतें पंचकूला पहुंच चुकी है। वहीं हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा था कि पंचकूला में डेरा के लोग हमारे नागरिक हैं उन्हें खानापीना उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेवारी है।
अब जरा इस लिंक पर जाकर उस पीड़िता का पत्र भी पढ़ लिजिए जिसकी बिनाह पर मामला आगे बढ़ा और राम रहीम यौन शोषण के मामले में दोषीकरार दिए गए।  मुझे वेश्या बना दिया गया।    ये महिला विषयों पर केंद्रित स्त्रीकाल वेबसाइट का लिंक है। 
-    विद्युत प्रकाश मौर्य


Thursday, 17 August 2017

ओ कान्हा इस देस में मत आना...

इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अगस्त में आया। और अगस्त में ही गोरखपुर में सैकड़ो नौनिहाल इनसेफेलाइटिस यानी जापानी बुखार से मर गए। रोजाना बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। सारा देश नटवर नागर कान्हा के जन्म की तैयारियां में जुटा था और उधर अस्पताल में एक एक कर नौनिहाल मर रहे थे। भला वह मां कैसे जन्माष्टमी मनाएगी जिसका लाल ठीक से दुनिया भी नहीं देख पाया। हम कान्हा के लिए दूध, मलाई मिश्री और माखन का इंतजाम करते हैं पर ये मां के लाडले तो महज ऑक्सीजन की कमी से मरे जा रहे हैं।

सरकार के पास तो हवा देने के लिए पैसे नहीं हैं तो माखन मिश्री मलाई कहां से आएगी... हम कान्हा के इंतजार में बड़े दिल से स्वागत गान गाते हैं... बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके बृजबाला...पर इस बार हम कान्हा कैसे बुलाएं... जो पहले से आ चुके हैं उनके लिए सांस लेने का भी इंतजाम नहीं है हमारे पास। ऊपर से मंत्री जी कहते हैं कि अगस्त में तो हर साल बच्चे मरते ही हैं। तो इस जन्माष्टमी में यह कहने की इच्छा हुई ओ कान्हा इस देस में मत आना। फिर सुनने में आया कि जन्माष्टमी के बाद भी दो दिन में 34 नौनिहालों ने गोरखपुर के इस अस्पताल में दम तोड़ दिया।

कान्हा तुम पांच हजार साल पहले आए थे, अब दुबारा भले मत आयो और इन नौनिहालों की सांसे तो बचाने का कुछ जुगत लगाओ। इस योगी से कोई उम्मीद नहीं बची अब पर तुम्हे लोग महायोगी कहते हैं। तो अब तुमसे ही उम्मीद बंधी हैं। तुम्ही सच्चे भारत के रखवाले हो तो सारी माताएं तुम्हारी राह ताक रही हैं। कान्हा कुछ करो. चमत्कार करो कुछ, सुदर्शन चक्र चलाओ, उन दुश्मनों का नाश करो जो इन माताओं की लगातार गोद सूनी किए जा रहे हैं। अब कोई भारत का रखवाला नहीं है। कहां हो मुरली वाले...हमारी सुन भी रहे हो या नहीं...
- विद्युत प्रकाश मौर्य


Saturday, 12 August 2017

गोरखपुर के मासूमों का हत्यारा कौन...

यूपी का शहर गोरखपुर। यहां के बीआरडी मेडिकल कालेज हास्पीटल में 32 बच्चों की आक्सीजन की कमी से एक दिन में ही मौत हो गई। आक्सीजन की कमी से 5 दिन में 63 बच्चे दम तोड़ चुके हैं। यूपी में भाजपा की सरकार बनने के छह महीने के अंदर की सबसे बड़ी हृदयविदारक घटना है। इसी पूरी घटना में सरकारी मिशनरी की पूरी लापरवाही नजर आती है। 11 अगस्त को बड़ी संख्या में बच्चों की मौत होती है, वहीं 9 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अस्पताल का दौरा किया था। लेकिन उन्हें अस्पताल में अव्यवस्थाओं की जानकारी नहीं मिली।

अब ये साफ हो चुका है कि 69 लाख का बिल बकाया होने के कारण अस्पताल को आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने सिलेंडरों की सप्लाई बंद कर दी थी। इस संबंध में 30 जुलाई को ही समाचार पत्रों में खबर छपी थी- बीआरडी में ठप हो सकती है लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई... तो इसके बाद भी प्रशासन नहीं चेता था। तो ये बहुत बड़ी लापरवाही का मामला है। 


नियम के अनुसार किसी सरकारी सप्लायर का बकाया 10 लाख रुपये से ज्यादा हो जाए तो वह सप्लाई रोक सकता है। भाजपा सरकार जो बेहतर गवर्ननेंस की बात करती है उसके राज में ये और भी शर्मनाक है। अगर किसी कंपनी का 69 लाख रुपये का बिल रोका गया तो इसमें भ्रष्टाचार, रिश्वत और कमिशनखोरी की भी गंध आती है। भला कंपनी के रुपये क्यों रोके गए। इस पर सरकार को जवाब देना होगा।

अब सरकार की लीपापोती का नमूना देखिए। सरकार ने क्राइसिस मैनेजमैंट की जगह दम तोड़ रहे बच्चों की खबर के बीच यह मैनेज करने की कोशिश में लग गई कि बच्चों की मौत आक्सीजन सिलेंडर की कमी से नहीं हुई है। 

यूपी सरकार के अधिकृत ट्विटर खाते से ट्वीट किया गया - गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से किसी रोगी की मृत्यु नहीं हुई है।

इतना ही नहीं आगे लिखा गया - कुछ चैनलों पर चलाई गई ऑक्सीजन की कमी से पिछले कुछ घंटों में अस्पताल में भर्ती कई रोगियों की मृत्यु की खबर भ्रामक है।
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आधिकारिक ट्विटर खाते - @myogiadityanath से बच्चों की मौत पर कोई ट्वीट नहीं किया गया। कोई शोक नहीं जताया गया। बल्कि वे अपने खाते पर अमितशाह को बधाई देते हुए फोटो पोस्ट करने में व्यस्त रहे।

हाल में एनडीए के परिवार में शामिल हुए हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। वही नीतीश कुमार हैं जो केंद्र में रेल मंत्री रहते हुए 2 अगस्त 1999 में बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के गैसाल रेलवे स्टेशन ( बिहार के किशनगंज से 17 किलोमीटर आगे) पर हुए हादसे में अपनी नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। क्या गवर्ननेंस के मामले में यूपी के सीएम योगी बिहार के सीएम नीतीश से कुछ प्रेरणा लेंगे।
-        विद्युत प्रकाश मौर्य