सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की दिशा में कदम आगे बढ़ते हुए रेलवे ने 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर दौड़ने वाला पहला एयरोडायनामिक
लोकोमोटिव को बना लिया है। ऐसा पहला इंजन भोपाल शताब्दी एक्प्रेस में लगाया जाएगा।
2014 में डब्ल्यूएपी-5 यात्री इंजन की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रतिघंटा बढ़ाने
काम चितरंजन लोकोमोटिव वकर्स ने शुरू किया था।
2000 से बन रहे इस लोकोमोटिव में तकनीकी सुधार कर इसकी गति बढ़ाई गई है।
05 लोकोमोटिव को 200 किलोमीटर तक स्पीड बढ़ाने पर सीएलडब्लू
में काम चल रहा है।
131 इलेक्ट्रिकल इंजन बनाने की योजना है सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए
160 किलोमीटर प्रतिघंटा अधिकतम स्पीड है वर्तमान में पुरानी तकनीक के डब्ल्यूएपी
लोकोमोटिव की।
तेज गति और सुरक्षित सफर
-15 फीसदी तक बढ़ेगी ट्रेन की औसत रफ्तार इस बदलाव से।
- 7 फीसदी तक ऊर्जा की बजत होगी इस इंजन से रेल मंत्रालय के दावों के मुताबिक।
- तकनीकी में बदलाव से हाई स्पीड इंजन का पिकअप बढ़ेगा साथ ही ब्रेक सिस्टम तेज
हो जाएगा।
- इंजन को एयरोडायनिमक बनाने के साथ ही ट्रैक्शन मोटर व्हील बदले गए हैं।
- इंजन में वॉयस और वीडियो रिकॉर्डर होगा। लोको पायलट संरक्षा नियमों की अनदेखी
नहीं कर पाएंगे।
- इंजन अत्याधुनिक आईजीबीटी आधारित प्रोपल्सन सिस्टम से लैस। ड्राइवर केबिन में
भी बदलाव।
23 साल बाद अपग्रेडेशन
- 1995 में जर्मनी से डब्ल्यूएपी-5 मॉडल के 10 इंजन खरीदे थे। इन इंजनों की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर
प्रतिघंटा थी।
- 2000 में सीएलडब्लू में डब्लूएपी -5 मॉडल का निर्माण शुरू
किया गया।
- 95 लोको डब्लूएपी -5 के अब तक बनाए जा चुके हैं।
- 75 प्रमुख यात्री गाड़ियां दौड़ती हैं डब्लूएपी -5 से,
यह देश का सबसे तेज गति का इंजन है।
- 23 साल बाद अब इस मॉडल के लोको की गति बढ़ाने पर काम किया गया है।
सेमी हाईस्पीड के लिए ट्रैक अपग्रेडेशन
भारतीय रेल के नेटवर्क के वर्तमान ट्रैक सेमी हाईस्पीड के इंजन दौड़ाने के लिए
तैयार नहीं हैं। पर अब प्रमुख ट्रैक को अपग्रेड करने पर काम चल रहा है।
- 20 हजार करोड़ खर्च किए जा रहे हैं दिल्ली-हावड़ा व दिल्ली-मुंबई रूट को सेमी हाई स्पीड बनाने के लिए।
- 2020 तक सेमी हाईस्पीड के लायक हो जाएंगे दो प्रमुख रेल मार्ग
- 09 प्रमुख रेल मार्ग को देश में सेमी हाईस्पीड किए जाने की योजना है।
- 6400 किलोमीटर का ट्रैक को सेमी हाईस्पीड में अपग्रेड किए जाने की योजना है।
भारतीय उप महाद्वीप में भारत पहला देश होगा जहां सेमी हाईस्पीड वाली ट्रेने रफ्तार
भरेंगी। पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के मुकाबले भारतीय रेल का नेटवर्क तकनीक के मामले में काफी आगे है।
सेमी हाईस्पीड बनाम हाईस्पीड
ट्रेन
160 से 245 किलोमीटर प्रति घंटा गति मानी जाती है सेमी हाईस्पीड
रेल की।
110 से 140 किमी स्पीड मानी जाती है एक्सप्रेस ट्रेन की।
250 किलोमीटर से ज्यादा होती है हाईस्पीड (बुलेट
) ट्रेन की गति।
भारत कितने पीछे
हाईस्पीड रेल नेटवर्क वाले देश
1964 में पहली हाईस्पीड ट्रेन जापान में चली थी।
( जापान, चीन, इटली, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका,
सऊदी अरब, स्पेन, ग्रेट ब्रिटेन,
तुर्की, रुस, उजबेकिस्तान,
आस्ट्रिया, बेल्जियम, नीदरलैंड
में है हाईस्पीड ट्रेन नेटवर्क )
एशियाई देशों में हाईस्पीड नेटवर्क
भारत के अलावा इंडोनेशिया, ताइवान,
और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देशों में भी हाईस्पीड रेल नेटवर्क पर
काम चल रहा है।