नब्बे साल से ज्यादा की उम्र में संप्रदा सिंह 2018 में सौ अमीर भारतीयों की फोर्ब्स-2018 की सूची
में 46वें स्थान पर थे। उनकी कुल संपत्ति 179 अरब रुपये आंकी गई थी। संप्रदा 2017 की फोर्ब्स की सूची में 43वें
स्थान पर थे। वे 2018 में फोर्ब्स की द
वर्ल्ड बिलियनेयर्स लिस्ट में 1,867वें पायदान पर थे।
सादगी भरा जीवन
चार दशक में अपनी दवा कंपनी को शीर्ष पर ले जाकर अंतरराष्ट्रीय जगत में ख्याति
प्राप्त करने वाले संप्रदा सिंह मुंबई में सादगी भरा जीवन जीते थे। उन्होंने कभी
अपने वैभव का प्रदर्शन नहीं किया। वे कभी राजनीति के गलियारे में भी सक्रिय नहीं
देख गए।
बिहार के जहानाबाद में जन्म
1925 में बिहार के
जहानाबाद में मोदनगंज प्रखंड के ओकरी गांव के एक
किसान परिवार में संप्रदा सिंह का जन्म हुआ। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई की थी।
1973 में 8 अगस्त को उन्होंने अल्केम लेबोरेटरीज लिमिटेड की स्थापना की, जो देश की
पांचवीं सबसे बड़ी दवा कंपनी है। संप्रदा
बिहार से महज एक लाख रुपये पूंजी लेकर मुंबई गए थे
और दवा कंपनी शुरू की। उनकी
कंपनी इस वक्त भारत समेत यूरोप, एशिया और अमेरिका में संचालित होती है। अल्केम फार्मास्युटिकल्स को फार्मा लीडर अवार्ड
मिल चुका है। 2009 में फार्मा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम
के लिए संप्रदा सिंह को सत्या ब्रह्मा की फार्मास्युटिकल लीडरशिप समिट द्वारा
लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया था।
पटना से
शुरुआत
26 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की टर्नओवर वाली
कंपनी खड़ी करने वाले संप्रदा सिंह कभी पटना के अशोक राजपथ पर केमिस्ट की दुकान में नौकरी किया करते थे।
केमिस्ट की दुकान की थी
1953 में संप्रदा सिंह ने पटना में रिटेल
केमिस्ट के तौर पर एक छोटी शुरुआत की। उसके बाद उन्होंने लक्ष्मी शर्मा के साथ
पटना में दवा की दुकान शुरू की। इसी दौरान वे अस्पतालों
में दवा की सप्लाई भी करने लगे। 1960 में पटना में मगध
फार्मा के बैनर तले उन्होंने फार्मा डिस्ट्रीब्यूशन का कारोबार शुरू किया। सत्तर के दशक में उन्होंने
मुंबई का रुख किया उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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