दुनिया में 70 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं
मिल पाती। साल 2019 का अर्थ शास्त्र का नोबेल पुरस्कार पाने
वाले भारतवंशी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी पिछले 30 सालों से
ऐसे लोगों के लिए ही काम कर रहे हैं।
दुनिया के विकासशील देशों के 568 कलस्टर
में दस साल तक शोध करके उन्होंने गरीबी के असली कारण जानने की कोशिश की.
फिर कई उपाय सुझाए, जिन्हें कई सरकारों
लागू किया जिसके बेहतर परिणाम आए। उन्हें भारत के 50
लाख दिव्यांग बच्चों के जीवन में उजाला लाने का श्रेय जाता है।
अभिजीत बनर्जी मानते हैं कि बचपन को सेहतमंद बनाना सबसे जरूरी है।
इसलिए उनका सारा जोर टीकाकरण अभियान और पौष्टिक भोजन दिए जाने पर है।
मुंबई में जन्मे कोलकाता में पले बढ़े अभिजीत ने खुद कभी गरीबी का
दंश नहीं झेला पर उनका दिल हमेशा गरीबों के लिए धड़कता है। वे खुद शानदार रसोइया
भी हैं, पर वे चाहते हैं कि दुनिया का कोई बच्चा भूखा
न सोए. उनकी अब तक प्रकशित छह में से तीन किताबे गरीबी पर ही केंद्रित हैं।
गरीबी पर केंद्रित तीन
पुस्तकें
अभिजीत बनर्जी की 2006
में अंडरस्टैंडिंग पावर्टी नामक पुस्तक आई। 2011 में आई पुस्तक – पूअर
इकोनोमिक्स ए रेडिकल रिथिंकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पावर्टी। साल 2019 में एक
और पुस्तक – ए शार्ट हिस्ट्री ऑफ पावर्टी मेजरमेंटस।
नवीनतम पुस्तक – 2019
में उनकी पुस्तक ह्वाट द इकोनोमी निड्स नाउ आई है जिसमें अभिजीत के साथ गीता
गोपीनाथ, रघुराम राजन और मिहिर एस शर्मा सह लेखक हैं।
568 स्थलों पर प्रयोग
अभिजीत बनर्जी की
अध्यक्षता में अब्दुल जमील लतीफ पावर्टी एक्शन लैब ने 10 सालों में भारत समेत
विकासशील देशों में 568 स्थलों पर प्रयोग किए, जिससे गरीबी के कारणों को समझने में मदद मिली।
गरीबी दूर करने के
सूत्र दिए
अभिजीत बनर्जी के इन
सुझावों पर अमल से लाभ हुआ
स्कूल में बच्चों को
मुफ्त भोजन
कमजोर बच्चों को खास
तौर पर मदद
गरीब बच्चों के लिए
मोबाइल क्लिनिक
समय पर सारे टीकाकरण
बच्चों के लिए पौष्टिक
भोजन का इंतजाम
vidyutp@gmail.com
(ABHIJIT BANARJEE, NOBEL PRIZE 2019, ECONOMICS)
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