अब सभी बैंक व व्यापारिक संस्थान वी सेट के
बजाय लीज्ड लाइन को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। बैंक एटीएम और अखबारों के दफ्तरों
में डाटा ट्रांसमिशन का काम लीज्ड लाइनों पर ही तेजी से चल रहा है। भारत में जब
नेटवर्किंग की शुरूआत हुई तो अधिकतर डाटा ट्रांशमिशन का काम वीसेट के द्वारा हो
रहा था। वीसेट के लिए मकान की छत पर एक बड़ा सा डिश लगाना पड़ता है। पर अब टेलीफोन
लाइनों पर स्पीड में इजाफा होने के कारण वीसेट जैसी स्पीड लीज्ड लाइनों से ही
प्राप्त होने लगी है। यह तकनीक वीसेट से सस्ती पड़ रही है।
आप जब रेल का टिकट बनवाते हैं तो यह किसी भी
स्टेशन पर किसी भी स्टेशन का बन जाता है। एटीएम से रुपए आप किसी भी शहर में निकाल
लेते हैं। एक साथ अखबार के कई संस्करण अलग अलग शहरों से प्रकाशित हो रहे हैं। इन सब
प्रक्रिया में नेटवर्किंग का बहुत बड़ा योगदान है। यह नेटवर्किंग या तो वीसेट या लीज्ड
लाइन के द्वारा हो रही है। प्रारंभ में रेलवे, बैंक और कुछ अन्य बडे़ दफ्तरों ने इस नेटवर्किंग
के लिए वीसेट का सहारा लिया था। वीसेट में आमतौर पर 512 केबीपीएस
(किलोबाइट प्रति सेकेंड) की गति से डाटा
ट्रांसफर होता है। पर अब इतनी या इससे ज्यादा गति लीज्ड लाइनों से भी मिलने लगी है।
भारत संचार निगम लि. की लीज्ड लाइन सेवा जिला हेडक्वार्टर और
कई गांवों में भी उपलब्ध होने लगी है। रिलायंस, टाटा जैसी कंपनियां
भी लीज्ड लाइन की सेवा उपलब्ध करा रही हैं।
सस्ता विकल्प है लीज्ड लाइन - किराया की दृष्टि से जहां वीसेट महंगा पड़ता
था वहीं उसके रखरखाव में भी खर्च था। पर लीज्ड लाइन के लिए कोई डिश नहीं लगाना पड़ता
है। वहीं खराब मौसम में वीसेट कई बार काम करना बंद कर देता है वहीं लीज्ड लाइनों में
खराबी आने की संभवना कम रहती है। इसलिए अब कई बड़े बैंक भी वीसेट के बजाए लीज्ड लाइन
नेटवर्क का सहारा ले रहे हैं। लीज्ड लाइन तभी फेल हो सकती है जब किसी कारण से उसकी
तार कट जाए।
जिन शहरों में अथवा पहाड़ी इलाकों में जहां
किसी भी कंपनी की लीज्ड लाइन सेवा उपलब्ध नहीं है वहां अभी भी वीसेट से नेटवर्क बनाना
ही एक मात्र विकल्प है। पर कई बड़े बैंक और व्यापारिक संस्थान अपनी शाखाओं की नेटवर्किंग
के लिए लीज्ड लाइन का ही सहारा ले रहे हैं। इसकी स्थापना में खर्च कम है तथा इसके
रखरखाव में भी कोई परेशानी नहीं है। लीज्ड लाइन ने नेटवर्क के काम को आसान और
सस्ता भी बनाया है। अभी कई बैंकों में बड़ी संख्या में नेटवर्क स्थापित करने का
काम बाकी है। ऐसे में अब सभी दफ्तर लीज्ड लाइनों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।
आमतौर पर कंपनियां लीज्ड लाइनों का किराया
मासिक तौर पर लेती हैं जिस पर
24 घंटे असीमित डाटा भेजा जा सकता है। अब 2 एमबी
तक की लीज्ड लाइन सेवाएं उपलब्ध हैं। इन लाइनों पर अपने नेटवर्क में बातचीत भी की
जा सकती है। इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता है। इसके अलावा लोकल
इंटरनेट पर चलने वाली सेवाएं चलाई जा सकती हैं। कई कंपनियों ने देश भर के प्रमुख शहरों
को आप्टिकल फाइबर के जाल से जोड़ दिया है जिससे लीज्ड लाइन की सेवा देना आसान हो
गया है।
-विद्युत प्रकाश vidyutp@gmail.com
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