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यहां तक तो ठीक था पर अब
इंडिया टीवी और चैनल-7 ने नए किस्म के बदलाव
किए हैं। इसके तहत अब क्राइम
प्रोग्राम के लिए खासतरह का
सेट डिजाइन किया गया है।
इंडिया टीवी का प्रोग्राम है एसीपी
अर्जुन। इसमें एंकर एक
पुलिस अधिकारी की वेशभूषा में आता
है। उसके हाथ में रुल भी
होता है सिर पर टोपी भी। वह सभी
अपराध की खबरों को पुलिसिया अंदाज
में पेश करता है। वह एफआईआर
की भाषा में देश भर में हो
रहे अपराध की खबर लेता है।
उसके संवाददाता भी कुछ इसी अंदाज
में उसे रिपोर्ट करते हैं।
यह खबरों की प्रस्तुति का
नाटकीयकरण है। एक बारगी किसी
नए आदमी के लिए यह समझना
मुश्किल हो जाए कि वह कोई समाचार
चैनल देख रहा है या कोई मनोरंजन
चैनल पर क्राइम धारावाहिक।
ठीक इसी तरह चैनल-7 ने शुरू किया है क्रिमिनल। आपके
ड्राइंग रुम, घर, बाथरुम या दफ्तर कहीं भी हो
सकता है क्रिमिनल। इस तरह
की पंचलाइन आपको आतंकित करने
के लिए काफी है। उसके बाद की
दास्तान को बड़े ही रोमांटिक
अंदाज में एकंर पेश करने की
कोशिश करती है। भला अपराध की
खबरों को रोमानी अंदाज में
कैसे सुना जा सकता है। सो यह
सब कुछ बड़ा ही नाटकीय लगता है।
यहां खबरों को मूल भावना खत्म
हो गई लगती है। एक होड़ सी लगी
है, अपराध को नाटकीय अंदाज में
पेश करने की। इस होड़ में
अपराध को कितना बिकाऊ बनाया जा
सकता है इसकी पूरी कोशिश जारी
है।
मामूली खबरें नाटकीय अंदाज में-
इस होड़ में कई बार अपराध की
मामूली सी खबरों को भी नाटकीय
अंदाज में पेश किया जाता है।
कई घटनाओं को तो किसी टीवी
धारावाहिक की तरह दुबारा शूट
किया जाता है। यह काम सभी
चैनल कर रहे हैं। यहां तक की
क्षेत्रीय चैनल भी इस तरह के
प्रोग्राम लेकर आ गए है।
ईटीवी बिहार और ईटीवी उत्तर प्रदेश
भी इस तरह का कार्यक्रम दिखा
रहे हैं। पुलिस फाइल में जो
अपराधी मोस्ट वांडेट हैं
उन्हें इस तरह के प्रोग्राम
में शूट करके दिखाने की शुरूआत
इंडियाज मोस्ट वांटेड जैसे
प्रोग्राम में की गई थी। पर
अब मामूली अपराधी भी इन
कार्यक्रमों में बहुत ज्यादा
जगह पा लेते हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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