Monday, 9 March 2009

हाई प्रोफाइल नशा - कोकीन

कोकीन एक हाई प्रोफाइल नशा है। इसकी एक डोज ही 4000 रुपए में आती है। जाहिर है कि कोई निम्न या मध्यम वर्ग का आदमी इस नशे को नहीं ले सकता। पहले फिल्म स्टार फिरोज खान के बेटे फरदीन खान के बाद प्रमोज महाजन के बेटे राहुल महाजन इसकी गिरफ्त में हैं। वहीं हेरोइन भी इसी तरह का महंगा नशा है। जाहिर की मध्यम वर्ग के लोग इस तरह का नशा नहीं कर सकते। यह उच्च आय वर्ग के लोगों के ही वश की बात है। गरीब लोगों का तो नशा स्मैक है। अक्सर दिल्ली के फुटपाथ पर रिक्से वाले और खोमचे वाले तथा इसी प्रोफाइल के दूसरे लोग स्मैक लेते हुए दिखाई दे जाते हैं। स्मैक उन्हें गरीबी से थोड़ी देर सपनीली दुनिया में ले जाता है शायद...


पर हम बात कर रहे हैं इन हाई प्रोफाइल नशेड़ियों की। ये लोग फाइव स्टार होटलों में बड़ी बड़ी पार्टियां करते हैं। बड़े घरों के इन बिगड़ैल युवाओं का मासिक खर्च लाखों में होता है। ये लोग पार्टियों के बाद हाई प्रोफाइल स्मग्लरों से अपने लिए नशे का इंतजाम करवाते हैं। प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन को नशे की डोज सप्लाई करने वाला कश्मीरी युवक साहिल भी बड़े घर का बेटा है। उसके पिता का मुंबई में पांच सितारा होटल व कश्मीर इम्पोरियम है। अब इस तरह के लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है। मुंबई के सबसे बड़े कोकीन के तस्कर का दावा है कि मशहूर अभिनेत्री मनीषा कोईराला भी उनकी ग्राहक है। वह उनसे कोकीन की डोज लेकर जाती है। फरदीन खान इस मामले में पहले ही फंस चुके हैं। ये तो काली स्याह रात के कुछ ऐसे नाम हैं जो पकड़े जाने पर लोगों के सामने आ गए हैं। अभी इसके अलावा बहुत से ऐसे नाम हो सकते हैं जिनपर से पर्दा नहीं हट पाया है। ऐसे हाई प्रोफाइल नशेड़ी अपने रसूख के बल पर मुकदमों से छूट भी जाते हैं। अगर मीडिया उनकी खबर नहीं ले तो मामला कई बार ले देकर रफादफा हो जाता है। वैसे भी उच्च वर्ग में यह कारोबार बड़ी सफाई से चलता है। क्योंकि बेचने वाले खरीदने वाले और दलाल सभी हाई प्रोफाइल के हैं । कोई इनके मूवमेंट पर जल्दी शक नहीं करता। अगर राहुल महाजन का मामला कुछ महीने बाद प्रकाश में आया होता तो शायद भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा कलंक लगता क्योंकि भाजपा उन्हें जल्द ही अपने पिता प्रमोद महाजन की विरासत का वारिस घोषित करने वाली थी। वे पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में शामिल भी हुए थे। अब पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने उनसे कन्नी काट ली है। हालांकि इस मामले मे अटल बिहारी वाजपेयी के बयान की जवानी में गलती हो जाती है पर उमा भारती की आपत्ति जायज है। क्या एक 31 साल के आदमी के गंभीर अपराध को जवानी गलती समझ कर खारिज किया जा सकता है। नहीं.. उन्हें तो ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो दूसरों के लिए नजीर बने। उस देश में 40 फीसदी लोगों को आदमी जैसा भोजन नहीं मिलता वहां एक करोड़ रुपए किलो बिकने वाला नशा करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। वैसे लोग अगर किसी तरह जन प्रतिनिधि बन जाएं तो यह और भी खतरनाक है। यह बहुत अच्छा हुआ कि कोई ऐसा आदमी संसद की सीढ़ियों पर कदम रखने से पहले ही नंगा हो गया। पर राहुल महाजन, साहिल या फरदीन खान तो स्याह रात रंगीन बनाने वाले अमीर घरों के बिगड़ेल शोहदों में चंद नाम ही हैं जो लोगों को पचा चल सके हैं। अभी यह फेहरिस्त बहुत लंबी हो सकती है उन्हें बेनकाब किए जाने की जरूरत है खुद को संभ्रांत घोषित करने में लगे हैं और हर समस्या का इलाज खानदानी पैसे से ढूंढ लेना चाहते हैं। हालांकि इस पैसे को कमाने में उन्होंने खुद मेहनत नहीं की होती है।

-माधवी रंजना madhavi.ranjana@gmail.com




No comments: