Wednesday, 25 March 2009

बंद करो ये सरकस

आईपीएल का सर्कस अब दक्षिण अफ्रीका मे होगा, यह अच्छा ही हुआ..वैसे आईपीएल –सीजन 2 टल जाता तो और भी अच्छा होता। सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश में चुनाव ज्यादा जरूरी है या फिर आईपीएल के मैच। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े चुनाव के लिए देश की सेना मुस्तैद रहेगी ऐसे में जाहिर है कि आईपीएल में दुनिया भर से आने वाले क्रिकेटरों के लिए सुरक्षा देना मुश्किल होता। ऐसे में कई राज्यों का मैच कराने से इनकार करना सही कदम था।
सिर्फ सुरक्षा का मुद्दा नहीं
लेकिन सवाल सिर्फ सुरक्षा का नहीं है कि चुनाव के समय में आईपीएल जैसे मैच कहीं भी नहीं होना चाहिए। सब जानते हैं कि भारत में क्रिकेट में लोगों की रूचि ज्यादा रहती है। चुनाव के समय में मैच होने पर जाहिर सी बात है लोग वोट डालने में कोताही कर सकते हैं। मैच को लेकर लोग टीवी से ज्यादा चिपके रहे तो लोकतंत्र के इस महायज्ञ में हवन में लोग आहुति नहीं डाल पाएंगे।

प्राथमिकता तय करें
अब हमें ये सोचना होगा कि हमारे लिए प्राथमिकता क्या होनी चाहिए। अच्छे नेता चुनकर संसद में भेजना, केंद्र में अच्छी सरकार बनवाना या फिर बैठकर टीवी पर मैच देखना....वोटरों को जादरूक करने के लिए देश भर में अभियान चलाए जा रहे हैं और पप्पू नहीं बनने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में अगर चुनाव के दौरान आईपीएल के मैच होते रहे तो वोट न डालने वाले पप्पूओं की संख्या में इजाफा हो सकता है। मैच के कारण वोट डालने कि लिए जागरूक करने वाले अभियान पर बुरा असर पड़ना स्वभाविक है।

देश पहले क्रिकेट बाद में
साल भर सरकार की निंदा करने वाली युवा पीढी अगर क्रिकेट से चिपकी रही तो जाहिर है कि देश की आर्थिक नीति बनाने, आम आदमी के जीवन को समुन्नत बनाने के सरकारी प्रयासों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में हमें चुनाव के दौरान आईपीएल जैसी नाटकबाजी का पूरी तरह बहिष्कार करना चाहिए। नाटकबाजी इसलिए मैं कह रहा हूं कि 20-20 मैच कोई खेल है ही नहीं....यह सिर्फ नाटक हैं जहां चीयर लीडर्स को नचाया जाता है...अगर मेले में चलने वाले कैबरे डांस को बंद करने की बात कर रहे हैं तो चीयर लीडर्स को नचाने वाले खेल को खेल कैसे कहा जा सकता है।

-विद्युत प्रकाश मौर्य

2 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

भाई सर्कस बंद मत करवाओ, बस इसे भारत मैं ही चलने दो -:)

Anil Kumar said...

सैद्धांतिक रूप से आपसे पूरी सहमति है. लेकिन गौर से देखा जाये तो हमारे राजनेता जो कर रहे हैं वो किसी सरकस से कम नहीं है. कभी कांग्रेस, कभी बीजेपी, कभी "तीसरा" - क्या यही सब विकल्प रह गये हैं हमारे पास?

आर्थिक मंदी के दौर में IPL जैसे सरकस को भारत से बाहर भेजना मूर्खता है - दो महीने बाद कर लेते, लेकिन भारत में कुछ अतिरिक्त पैसा तो आता!