गरीब रथ के साथ एक
प्रयोग की शुरुआत हुई है। आने वाले दौर में सभी लंबी दूरी की ट्रेनों को पूरी तरह वातानूकुलित
करने का प्रयास किया जाएगा।
कई साल पहले भारतीय रेल ने जब एसी में थ्री टीयर कोच का प्रावधान किया तो यह काफी लोकप्रिय हुआ। एसी 2 टीयर में जहां
46 लोग ही यात्रा कर पाते थे वहीं उतने ही बड़े डिब्बे में अब
64 लोग यात्रा करते हैं। एसी थ्री से जहां लोगों को 25 फीसदी तक कम किराए में ही वातानूकुलित क्लास में सफर करने का फायदा मिला
वहीं रेलवे का भी राजस्व बढ़ने लगा है। अब वातानूकुलित वर्ग मे एसी थर्ड यात्रियों
को बीच सर्वाधिक लोकप्रिय है। आजकल रेल कोच फैक्ट्रियों में ज्यादा डिब्बे एसी
3 के ही बनाए जा रहे हैं। कई रेलगाड़ियों में एसी-3 के डिब्बे तुरंत भर जाते हैं पर एसी-2 खाली ही रहता
है।
अब गरीब रथ के साथ एक नई शुरूआत हुई
है। अगर वर्तमान रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव का यह प्रोजेक्ट लोकप्रिय हो जाता है
तो आने वाले दिनों में अधिकांश रेलगाडि़यों के सभी डिब्बों को एसी करने का प्रयास
किया जाएगा। यानी आम जनता के लिए चलने वाली सभी ट्रेनें भी राजधानी और शताब्दी की
तरह पूरी तरह से वातानूकुलित हुआ करेंगी। यह सब कुछ स्पेश मैनेजमेंट की नई नीति के
तहत संभव हो सका है। यानी की उतनी ही जगह में ज्यादा सीटें देने की कोशिश करना।
अगर यह सब कुछ सफल रहा तो मध्यम वर्ग क्या फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर वर्ग
के लोग भी वातानूकुलित क्लास में चलने का सुख उठा सकेंगे। अभी तक रेलगाड़ियों में
वातानूकुलित क्लास में सफर सिर्फ उच्च वर्ग के लोग कर पाते हैं। आमतौर पर मध्यम वर्ग
के लोग भी स्लीपर क्लास में ही सफर करते हैं। भारत जैसे देश में जहां पूरे देश का
मौसम एक सा नहीं रहता है वहां सभी लंबी दूरी की गाड़ियों को वातानूकुलित बनाने की
कोशिश स्वागत योग्य है।
लालू का अर्थशास्त्र-
अब यह देंखें की गरीब रथ के मामले में
लालू का अर्थ शास्त्र कैसे काम करता है। अगर 17 डिब्बों वाली को वातानूकुलित रेलगाड़ी है तो एसी
कोच में प्रति यात्री प्रति किलोमीटर 47 पैसे परिचालन दर आती
है। वहीं अगर गरीब रथ हो तो यह परिचालन दर 39 पैसे आ जाती है।
क्योंकि इतनी जगह में गरीब रथ में ज्यादा यात्री सफर करते हैं। रेलवे को अनुमान है
कि इस तरह की व्यवस्था से रेलवे के राजस्व में 63 फीसदी तक
की बढ़ोतरी हो सकती है वहीं लोग रेलगाड़ी में सस्ती यात्रा का भी सुख उठा सकते
हैं।
स्पेश मैनेजमेंट
एसी 3 में जहां एक कोच में कुल
64 यात्रियों के लिए सोने की जगह होती है वहीं गरीब रथ के कोच नए
डिजाइन से तैयार किए गए हैं। इनमें 74 यात्रियों के लिए सोने
की जगह है। कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी ने इन डिब्बों को डिजाइन किया है। अब
इसमें कुछ और बदलाव कर इसे 84 सीटों वाला करने की योजना पर
काम चल रहा है। इसी तरह गरीब रथ में लंबी दूरी की यात्रा करने वालों के लिए भी
चेयरकार की व्यवस्था की गई है। परंपरागत एसी चेयरकार में 70 सीटें
होती हैं पर इसमें 102 सीटों का प्रावधान किया गया है। इसका किराया
लगभग स्लिपर क्लास के बराबर ही रखा गया है। यह अग बात है कि लंबी दूरी की यात्रा कोई
बैठकर नहीं करना चाहता है। पर लंबी दूरी की अधिकांश ट्रेनों में मजदूर वर्ग के लोग
बैठकर क्या आलू प्याज की तरह ठूंसकर सफर करते भी देखे जाते हैं। उनके लिए एसी
सिटिंग बहुत अच्छी रहेगी। इससे गरीब व मध्यमवर्गीय जनता को एक सुखद विकल्प भी मिल
सकेगा।
-माधवी रंजना madhavi.ranjana@gmail.com
No comments:
Post a Comment