Sunday 20 December 2009

गांव की ओर पहुंचे कालोनाइजर

अब तक आप मकान बनाने वाले प्राइवेट बिल्डर या कालोनाइजरों के बड़े महानगरों में होने की बात सुनते आए होंगे पर अब कालोनाइजरों ने गांव की ओर भी रुख करना शुरू कर दिया है। यानी निजी बिल्डर गांव में भी घर बनाकर लोगों को देंगे। जब आप शहरों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और भीड़-भाड़ से दूर रहने की योजना बनाते हैं तो आपकी इच्छा गांव में रहने की होती है। शहरी माहौल में होने वाली कई तरह की बीमरियों से बचने के लिए लोग प्राकृतिक निवास की ओर रुख कर रहे हैं इसमें ख्याल आता है गांव में रहने का। अब आपको गांव में भी शहरों की तरह ही बनी बनाई कालोनी रहने के लि मिले तो फिर क्या बात है।

हम चलते हैं दिल्ली के लगभग 125 किलोमीटर दूर करनाल शहर को।
दिल्ली से यहां आने में डेढ़ घंटे का समय लगता है अगर आपके पास अपनी कार हो। करनाल सेक्टरों में विकसित शहर है। पर यहां लोगों की मांग को देखते हुए एक निजी बिल्डर द्वारा ऐसी कालोनी विकसित की जा रही है जो पूरी तरह गांव की तरह होगी। यहां अच्छी सड़कें और हरियाली तो होगी ही साथ ही गांव की चौपाल भी होगी। पर यह गांव होगा हाईटेक। यानी यहां बिजली, कंप्यूटर इंटरनेट, स्कूल, क्लब, स्विमिंग पूल, अस्पताल आदि सब कुछ होगा।
अब अगर गांव में शहर जैसी सारी सुविधाएं हो तो भला गांव से शहर जाने की क्या जरूरत होगी। यह गांव शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर बसाया जा रहा है। यानी जब आपको जरूरत हो दस मिनट में शहर आ जाएं। कई बड़े महानगरों के आसपास के गांव इतने समृद्ध और सुविधा संपन्न हैं कि वहां के लोगों को शहर जाकर रहने की जरूरत नहीं पड़ती। अब गांवों में ऐसी कालोनियां विकसित की जा रही हैं जहां आप घर खरीदकर रह सकें। खासकर बड़ी नौकरियों से अवकाश प्राप्त करने वाले लोगों की नजर ऐसी कालोनियों पर है। वे अपना बाकी समय चैन से ऐसे गांवों में गुजारना चाहते हैं जहां उन्हें सारी मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो सकें। साथ ही ऐसे गांव देश में विलेज टूरिज्म को भी बढ़ावा दे सकेंगे। विदेशों से आने वाले पर्यटकों को ऐसे गांव में ठहराया जा सकेगा। यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का बेहतर स्रोत सिद्ध होने वाला है। इतना ही नहीं वैसे अनिवासी भारतीय जो भारत में आकर रहना चाहते हैं उनके लिए भी ऐसे गांव पसंद बनते जा रहे हैं। हरिद्वार और देहरादून की बीच भी कुछ बिल्डर लोगों को प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं। हालांकि ये आवास गांव के घरों की तरह नहीं हैं बल्कि फ्लैट की शक्ल में हैं।
हरियाणा सरकार की आवासीय सेक्टर विकसित करने वाली एजेंसी हुडा भी गांवों सेक्टर विकसित करने लगी है। वह गांवों के लोगों की जरूरतों के हिसाब से उनके लिए घर बना रही है। इसके लिए उसने कई गांवों की पहचान की है। यानी कि गांव के लोगों को भी प्लानिंग के हिसाब से बने हुए घर मिलेंगे। इसके कई फायदे हैं। आमतौर पर गांवों कोई घर अच्छा बनावा ले तो वहां की गलियां व सड़कें योजना के हिसाब से नहीं बनती हैं। अब अगर गांव भी योजना के अनुसार बनवाए जाएं तो वे देखने में ज्यादा सुंदर लग सकते हैं। यह योजना पंजाब, हरियाणा, गुजरात जैसे कुछ समृद्ध राज्यों में लागू हो सकती है। पर इससे अन्य राज्यों के रहने वाले लोग प्रेरणा ले सकते हैं। इस योजना के तहत जहां नए गांव विकसित किए जा सकते हैं वही पुराने गांवों की योजना में सुधार भी लाया जा सकता है। इससे किसी भी गांव की सुंदरता में चार चांद लग सकते हैं।
------  विद्युत प्रकाश मौर्य


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